जयपुर. सावधान ! आप दिनभर ड्यूटी करके घर लौट रहे हैं तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है. घर कभी न पहुंचने से अच्छा है कि आप 5 मिनट देरी से पहुंच जाएं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि परिवहन विभाग के ताजा आंकड़े (Road Condition in Rajasthan) इस बात की तस्दीक करते हैं कि राजस्थान में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या शाम को 6 बजे से रात 9 बजे के बीच है. खास बात यह है कि सड़क दुर्घटनाएं मृतक के घर के नजदीक हुई हैं, यानी घर जल्दी पहुंचने के चक्कर में लोग दुर्घटना का शिकार हुए.
हर साल 10500 से ज्यादा मौतें : सड़क दुर्घटनाएं बेहद ही खतरनाक हैं. न जाने कितने लोगों को असमय ही जान गंवानी पड़ती हैं और न जाने कितने लोग दिव्यांग हो जाते हैं. प्रदेश में भी सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की तादाद बेहद ज्यादा है. आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में हर साल 10500 से ज्यादा मौतें सड़क हादसों में हो रही हैं. इसके पीछे तमाम कारण हैं. खराब रोड या रोड बनाने में तकनीकी खामियां या लोगों की खुद की लापरवाही भी सड़क हादसों की बड़ी वजह है. गलत समय पर यात्रा करना भी कई बार हादसे का कारण बनता है, लेकिन कई प्रयासों के बावजूद इन आंकड़ों में कमी नहीं आना चिंता का विषय है.
ये समय खतरनाक : परिवहन विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि शाम को 6 बजे से रात 9 बजे के बीच सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं. रोड सेफ्टी पर कदम उठाते हुए सरकार की ओर से डाटा कलेक्शन कर हादसे के कारणों, समय और लोगों की जानकारी सहित सभी तथ्य एकजुट किए गए. जिसके लिए बृजेन्द्र ओला ने बताया कि विभाग (Transport Minister Brijendra Singh Ola) ऑनलइन सिस्टम पर काम कर रहा है. जनवरी से जून 2022 तक प्रदेश में 39 हजार से अधिक हादसे हुए हैं, जिसमें करीब 50 हजार लोग हादसे का शिकार हुए. प्राप्त डाटा से की गई स्टडी में पता चला है कि सबसे अधिक हादसे शाम 6 से रात 9 के बीच हुए हैं, जिसमें 8 हजार 900 से अधिक हादसे इस टाइम पीरियड में हुए हैं. साढ़े सात हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं, साथ ही तीन हजार से अधिक मौतें हुई हैं.
घर के नजदीक ज्यादा मौतें : परिवहन विभाग की स्टडी में ये भी सामने आया कि सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना और दुर्घटनाओं में जिन लोगों की मौत हुई है, वे घर से 15 से 5 किलोमीटर के दायरे में हुई हैं. परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्यसचिव अभय कुमार ने बताया कि स्टडी में सामने आया कि घर जल्दी पहुंचने के चक्कर में (Death in Road Accident) सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना हुई है. इसमें खास तौर पर घर के आस-पास होना बड़ी चिंता का विषय है. ऐसे में हमें इस बात को समझने की जरूरत है कि घर कभी न पहुंचने से अच्छा है कि 5 मिनट देरी से पहुंच जाएं.
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आंकड़ों में नहीं आ रही कमी : राजस्थान में सड़क दुर्घटनाओं में एक साल में करीब 30 फीसदी मामले बढ़े हैं. सबसे अधिक दुर्घटनाएं राष्ट्रिय राजमार्गों पर हो रही है. ऐसे में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार की ओर से तमाम उपाय (Gehlot Government on Road Accidents) किए जा रहे है. परिवहन, पुलिस, चिकित्सा और पीडब्ल्यूडी, एनएचआई के सहयोग से रोड सेफ्टी पर काम किया जा रहा है. जिसमें सड़क दुर्घटनाओं के कारणों का पता लगाकर उन्हें ठीक करने, दुर्घटनाओं में घायलों के इलाज, जागरूकता सहित डाटा कलेक्शन जैसे कार्य किए जा रहे हैं, ताकि दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके.
सड़क दुर्घटनाओं में जयपुर सबसे आगे : प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में करीब 10500 से अधिक लोग काल का ग्रास बनते हैं. सबसे अधिक दुर्घटनाएं और मरने वालों की बात करें तो जयपुर पहले पायदान पर है. जिसके बाद उदयपुर में सबसे अधिक हादसे हुए हैं. 42 फीसदी हादसे युवाओं के दोपहिया वाहनों से हुए हैं. मंत्री बृजेन्द्र ओला ने बताया कि अधिकांश हादसे नेशनल हाईवे पर हो रहे हैं, जिसके प्रमुख कारण ओवर स्पीड, नशे में वाहन चलाने और आवारा पशुओं से हो रहे हैं. साथ ही रोड की डिजाइन भी हादसों का कारण बन रही है. सर्वे में पता लगा है कि 24 फीसदी हादसे ओवर स्पीड की वजह से हो रहे हैं. हादसों में मरने वालों की बात करें तो धौलपुर में 77 फीसदी और चित्तौड़गढ़ में 67 फीसदी मरने वालो की संख्या बढ़ी है.
जनवरी से जून 2022 तक सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौत वाले जिले :
वर्ष 2021 और 2022 में जून तक दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या में वृद्धि वाले जिले :