जयपुर. एक ओर जहां सरकार जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग योजना चला रही है. तो दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जो जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. इन लोगों पर न तो विभाग और न ही सरकार का कोई नियंत्रण है. जयपुर शहर में चल रहे आरओ प्लांट से पानी बेचने का धंधा लगातार फल फूल रहा है. इन सैंकड़ों आरओ प्लांट पर न तो जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग ध्यान दे रहा है और न ही कोई अन्य विभाग. जिसका नतीजा है कि लोग मनमानी कर जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं.
जयपुर शहर में आरओ प्लांट लगाकर पानी बेचने का काम लगातार फैलता जा रहा है. सरकार का नियंत्रण नहीं होने से लोगों को गुणवत्तापूर्ण पानी पीने के लिए नहीं मिल रहा. इसके चलते उन्हें नुकसान भी हो रहा है. सरकार का नियंत्रण नहीं होने से आरओ प्लांट के पानी की गुणवत्ता की जांच नहीं हो पा रही है. न ही इनके द्वारा कोई लाइसेंस लिए जा रहे हैं. इसके कारण लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. पीएचईडी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आरओ प्लांट लगाने वालों को इंडस्ट्री डिपार्टमेंट की ओर से लाइसेंस लेने होते हैं और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से एनओसी लेना जरूरी है.
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आरओ प्लांट के पानी की न जांच, न प्लांट की सर्विस
आरओ प्लांट से पानी सप्लाई करने वाले लोग पानी को लेकर लापरवाही बरतते हैं. लोगों तक गुणवत्तापूर्ण पानी नहीं पहुंचा रहे. अपने आरओ प्लांट की पानी की जांच भी यह लोग नहीं कराते. न ही आरओ प्लांट की सर्विस करवाते हैं. इसके अलावा अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में ये लोग आरओ से साफ किये गए पानी में सादा पानी मिला देते हैं. इस पर भी विभाग ध्यान नहीं दे रहा. कुछ लोग टैंकर से पानी मंगवा कर भी आरओ के नाम से पानी बेच रहे हैं. कुछ लोग ट्यूबवेल और बोरिंग का पानी कैन में भरकर आरओ के नाम से बेच रहे हैं.
बीसलपुर का पानी बेचना अवैध
पीएचईडी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि बीसलपुर के पानी को कोई भी व्यक्ति बेचान नहीं कर सकता. इसके लिए सख्त नियम भी बने हुए हैं. यदि ऐसा कोई करता हुआ पाया जाता है तो उस पर विभाग की ओर से कार्यवाही भी की जाती है. आरओ प्लांट के मालिक ने बताया उनके पास पानी की गुणवत्ता मापने का यंत्र हैं जिससे पता लग जाता है कि पानी साफ है या नहीं. उसने अधिक जानकारी देने से इंकार कर दिया. एक अन्य आरओ प्लांट मालिक ने बताया कि आरओ प्लांट लगाने वाली कंपनी ही समय-समय पर उनके आरओ की सर्विस करती है, लेकिन इस पर भी संशय है.
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इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने पीएचईडी विभाग के अफसरों से बात की तो उन्होंने आरओ प्लांट को जानकारी होने से इंकार कर दिया और यह भी कहा कि विभाग की ओर से उनके पानी की जांच भी नहीं कि जाती और न ही उन पर कोई कार्यवाही होती है.
बीसलपुर के पानी की शुद्धता का मापदंड
टीडीएस (टोटल डिसोल्वड सॉलि़ड) | 250 से 275 पीपीएम |
फ्लोराइड | 1.42 पीपीएम |
नाइट्रेट | 2 पीपीएम |
क्लोराइड | 30 से 35 पीपीएम |
(पीपीएम-पार्ट्स पर मिलियन)
गुणवत्तापूर्ण पानी नहीं पीने से यह होते हैं नुकसान
एसएमएस हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग के डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण पानी नहीं पीने से लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गंदा पानी पीने से हैजा, टाइफाइड, हेपेटाइटिस और अन्य इन्फेक्शन, डायरिया जैसे रोग हो जाते हैं. अन्य कई तरह के संक्रमण भी हो सकते हैं. गंदा पानी पीने से बुखार भी हो सकता है. शर्मा ने कहा कि आरओ के अलावा पानी को उबालकर भी पीया जा सकता है. जिससे कई तरह के संक्रमण से बचा जा सकता है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी
अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि आरओ प्लांट से होने वाले पानी सप्लाई की जांच की जिम्मेदारी पीएचईडी विभाग की होती है. यही विभाग इसकी जांच भी करते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का पानी चाहे वह बीसलपुर का हो या किसी ओर सप्लाई से लोगों तक पहुंचता है, उसकी जांच पीएचईडी ही करेगा. पानी शुद्ध हो इसकी पूरी जिम्मेदारी पीएचईडी विभाग की होती है. उन्होंने कहा कि आरओ प्लांट के पानी की जांच यदि पीएचईडी विभाग नहीं करता है तो उनको इसके लिए निर्देश दिए जाएंगे.
अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में होने वाली साप्ताहिक समीक्षा बैठक में भी आरओ प्लांट से होने वाले पानी सप्लाई की गुणवत्ता का मामला उठाया जाएगा और इसके लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए जाएंगे. चौधरी ने कहा कि बिना लाइसेंस चलने वाले आरओ प्लांट के बारे में भी पीएचडी को कहा जाएगा और वह इसकी जांच करेंगे.