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विधानसभा में फिर गूंजा नागौर दलित युवकों के उत्पीड़न का मामला, RLP विधायकों ने सदन में दिया धरना

नागौर में दो दलित युवकों के साथ अमानवीय तरीके से हुई मारपीट और वीडियो वायरल होने का मामला एक बार फिर विधानसभा में गूंजा. सोमवार को शून्यकाल में आरएलपी विधायक नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग ने यह मामला उठाते हुए सरकार से नागौर एसपी को एपीओ करने की मांग की. पढ़ें विस्तृत खबर....

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नागौर दलित उत्पीड़न मामले को लेकर विधानसभा में हंगामा
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Published : Feb 24, 2020, 2:45 PM IST

जयपुर. नागौर में दो दलित युवकों के साथ अमानवीय तरीके से हुई मारपीट और वीडियो वायरल होने का मामला एक बार फिर विधानसभा में गूंजा. सोमवार को शून्यकाल में आरएलपी विधायक नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग ने यह मामला उठाते हुए सरकार से नागौर एसपी को एपीओ करने की मांग की. साथ ही इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की भी मांग की गई.

नागौर दलित उत्पीड़न मामले को लेकर विधानसभा में हंगामा

मांग के समर्थन में आरएलपी के तीनों ही विधायक वेल में धरने पर बैठ गए. शून्यकाल में आरएलपी विधायक नारायण बेनीवाल ने मामला उठाते हुए कहा कि इस घटना के बाद पुलिस अधिकारियों ने कमजोर धाराओं में मामले दर्ज किए, लेकिन जब आरएलपी ने इस मामले को उठाया और दबाव बनाया तो बाद में धराएं बदली गई.

बेनीवाल का आरोप था कि पुलिस अधिकारी लगातार पीड़ित परिवार पर दबाव बना रहे हैं कि वह पैसे लेकर मामला शांत कर लें. बेनीवाल ने मांग की कि इस मामले में सरकार सदन में जवाब दे, और दोषी पुलिस अधीक्षक को एपीओ करे. यही मामला आरएलपी के विधायक पुखराज गर्ग ने भी सदन में उठाते हुए पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: भीलवाड़ा का एकमात्र क्षय रोग निवारण अस्पताल खुद 'बीमार'

वहीं इस मामले पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी सदन में सरकार को घेरा. कटारिया ने कहा इसका वीडियो वायरल हो गया जिसमें सब कुछ साफ था, बावजूद इसके पुलिस ने आखिर कमजोर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और बाद में धाराएं क्यों बढ़ाई गई.

कटारिया ने कहा इस प्रकार की पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए, क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम में प्रदेश की छवि पूरे देश में धूमिल की है. वहीं इस मामले में स्पीकर सीपी जोशी ने वैल में धरना दे रहे आरएलपी विधायकों से कहा कि वे चेंबर में आकर इस मामले में मुझसे बात कर सकते हैं, सरकार से जवाब दिलवाना है या नहीं, चर्चा कर लेंगे.

वहीं सदन में मौजूद यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि 4 बजे हम इस मामले में जवाब देंगे. लेकिन स्पीकर ने साफ तौर पर कहा पहले इन्हें मेरे पास चेंबर में आने दीजिए, मामला क्या है समझेंगे, उसके बाद सदन में जवाब को लेकर निर्णय लिया जाएगा.

जयपुर. नागौर में दो दलित युवकों के साथ अमानवीय तरीके से हुई मारपीट और वीडियो वायरल होने का मामला एक बार फिर विधानसभा में गूंजा. सोमवार को शून्यकाल में आरएलपी विधायक नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग ने यह मामला उठाते हुए सरकार से नागौर एसपी को एपीओ करने की मांग की. साथ ही इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की भी मांग की गई.

नागौर दलित उत्पीड़न मामले को लेकर विधानसभा में हंगामा

मांग के समर्थन में आरएलपी के तीनों ही विधायक वेल में धरने पर बैठ गए. शून्यकाल में आरएलपी विधायक नारायण बेनीवाल ने मामला उठाते हुए कहा कि इस घटना के बाद पुलिस अधिकारियों ने कमजोर धाराओं में मामले दर्ज किए, लेकिन जब आरएलपी ने इस मामले को उठाया और दबाव बनाया तो बाद में धराएं बदली गई.

बेनीवाल का आरोप था कि पुलिस अधिकारी लगातार पीड़ित परिवार पर दबाव बना रहे हैं कि वह पैसे लेकर मामला शांत कर लें. बेनीवाल ने मांग की कि इस मामले में सरकार सदन में जवाब दे, और दोषी पुलिस अधीक्षक को एपीओ करे. यही मामला आरएलपी के विधायक पुखराज गर्ग ने भी सदन में उठाते हुए पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की.

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वहीं इस मामले पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी सदन में सरकार को घेरा. कटारिया ने कहा इसका वीडियो वायरल हो गया जिसमें सब कुछ साफ था, बावजूद इसके पुलिस ने आखिर कमजोर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और बाद में धाराएं क्यों बढ़ाई गई.

कटारिया ने कहा इस प्रकार की पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए, क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम में प्रदेश की छवि पूरे देश में धूमिल की है. वहीं इस मामले में स्पीकर सीपी जोशी ने वैल में धरना दे रहे आरएलपी विधायकों से कहा कि वे चेंबर में आकर इस मामले में मुझसे बात कर सकते हैं, सरकार से जवाब दिलवाना है या नहीं, चर्चा कर लेंगे.

वहीं सदन में मौजूद यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि 4 बजे हम इस मामले में जवाब देंगे. लेकिन स्पीकर ने साफ तौर पर कहा पहले इन्हें मेरे पास चेंबर में आने दीजिए, मामला क्या है समझेंगे, उसके बाद सदन में जवाब को लेकर निर्णय लिया जाएगा.

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