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UPSC परीक्षाओं में बढ़ रहा राजस्थान का वर्चस्व, राज्य सरकार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए शुरू कर रही विशेष छात्रवृत्ति - preparation for competitive exams

यूपीएससी की परीक्षा में राजस्थान का वर्चस्व बना हुआ है. प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा में राजस्थान के अभ्यर्थियों के सलेक्शन का दायरा लगातार बढ़ रहा है. छात्रों का रुझान इस दिशा में करने के लिए हाल ही में प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने मेधावी छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष छात्रवृत्ति का प्रावधान किया है.

UPSC परीक्षाओं में राजस्थान
UPSC परीक्षाओं में राजस्थान
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Published : Sep 28, 2021, 9:33 PM IST

Updated : Sep 29, 2021, 2:20 PM IST

जयपुर. हाल ही में यूपीएससी ने सिविल सर्विसेज 2020 का रिजल्ट जारी किया. जिसमें 761 उम्मीदवार पास हुए. इस बार भी राजस्थान के कई छात्रों ने परीक्षा में अपना परचम फहराया. जयपुर के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान के निदेशक के अनुसार आईएएस निकालने में देश में राजस्थान दूसरे पायदान पर है.

निदेशक के मुताबिक यदि जनसंख्या के औसत से परिणाम की बात की जाए तो राजस्थान अव्वल है. हालांकि हिंदी भाषी राष्ट्र में इंग्लिश मीडियम के छात्र बड़ी संख्या में यूपीएससी क्रेक करते हैं. वहीं प्रदेश सरकार ऐसे मेधावी छात्र जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए विशेष छात्रवृत्ति भी शुरू करने जा रही है.

UPSC परीक्षाओं में बढ़ रहा राजस्थान का वर्चस्व...

प्रतिभाओं के लिए बजट का निर्धारण..

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा में राजस्थान के अभ्यर्थियों के सलेक्शन का दायरा लगातार बढ़ रहा है. छात्रों का रुझान इस दिशा में करने के लिए हाल ही में प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने मेधावी छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष छात्रवृत्ति का प्रावधान किया है. उससे राजस्थान की प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. इसके तहत एक बड़ा बजट निर्धारित किया गया है, जल्द ही इसे धरातल पर उतारा जाएगा.

पढ़ें- रेगिस्तान होगा रोशन : सौभाग्य योजना के तहत मरुस्थल के 5 घरों की ढाणी को भी मिलेगा बिजली कनेक्शन

राजस्थान की जनसंख्या 6 प्रतिशत, सलेक्शन 10 प्रतिशत

जयपुर के एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान के निदेशक दिलीप महेचा ने बताया कि यूपीएससी में सबसे ज्यादा सलेक्शन उत्तर प्रदेश से होते हैं. उसके बाद राजस्थान का ही नंबर आता है. पहले बिहार दूसरे पायदान पर रहता था, लेकिन इन दिनों राजस्थान से सलेक्शन बिहार की तुलना में ज्यादा हो रहे हैं. यदि जनसंख्या से तुलना करें तो राजस्थान की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या की करीब 6% है. लेकिन यूपीएससी में सलेक्शन की अगर बात की जाए तो राजस्थान के करीब 10% अभ्यर्थी सलेक्ट होते हैं. ऐसे में आनुपातिक दृष्टि से राजस्थान का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश से भी बेहतर है.

सिविल सर्विसेज में इंग्लिश मीडियम छात्रों का जोर..

उन्होंने बताया कि बिहार और उत्तर प्रदेश बड़े राज्य हैं. वहां सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का प्रचलन भी ज्यादा है. लेकिन ये दोनों ही राज्य विशुद्ध रूप से हिंदी भाषी ज्यादा हैं. जबकि यूपीएससी में इन दिनों इंग्लिश मीडियम का वर्चस्व ज्यादा है. हालांकि राजस्थान भी हिंदी भाषी प्रदेश है, लेकिन यहां इंग्लिश मीडियम के छात्र भी बड़ी संख्या में हैं. खास बात ये है कि राजस्थान में इंजीनियरिंग की तरफ छात्रों का झुकाव ज्यादा है. इन दिनों जो यूपीएससी क्रेक कर रहे हैं उनमें अधिकतर इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हैं.

दिलीप महेचा ने हिंदी भाषी राष्ट्र में हिंदी मीडियम छात्रों का यूपीएससी में सलेक्शन कम होने को विडंबना बताते हुए कहा कि करीब 42 से 45 फ़ीसदी भारतीयों की मातृभाषा हिंदी है. बावजूद इसके यूपीएससी परीक्षाओं में हिंदी मीडियम के छात्रों के साथ पूरा न्याय नहीं हो पा रहा है.

जयपुर. हाल ही में यूपीएससी ने सिविल सर्विसेज 2020 का रिजल्ट जारी किया. जिसमें 761 उम्मीदवार पास हुए. इस बार भी राजस्थान के कई छात्रों ने परीक्षा में अपना परचम फहराया. जयपुर के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान के निदेशक के अनुसार आईएएस निकालने में देश में राजस्थान दूसरे पायदान पर है.

निदेशक के मुताबिक यदि जनसंख्या के औसत से परिणाम की बात की जाए तो राजस्थान अव्वल है. हालांकि हिंदी भाषी राष्ट्र में इंग्लिश मीडियम के छात्र बड़ी संख्या में यूपीएससी क्रेक करते हैं. वहीं प्रदेश सरकार ऐसे मेधावी छात्र जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए विशेष छात्रवृत्ति भी शुरू करने जा रही है.

UPSC परीक्षाओं में बढ़ रहा राजस्थान का वर्चस्व...

प्रतिभाओं के लिए बजट का निर्धारण..

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा में राजस्थान के अभ्यर्थियों के सलेक्शन का दायरा लगातार बढ़ रहा है. छात्रों का रुझान इस दिशा में करने के लिए हाल ही में प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने मेधावी छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष छात्रवृत्ति का प्रावधान किया है. उससे राजस्थान की प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. इसके तहत एक बड़ा बजट निर्धारित किया गया है, जल्द ही इसे धरातल पर उतारा जाएगा.

पढ़ें- रेगिस्तान होगा रोशन : सौभाग्य योजना के तहत मरुस्थल के 5 घरों की ढाणी को भी मिलेगा बिजली कनेक्शन

राजस्थान की जनसंख्या 6 प्रतिशत, सलेक्शन 10 प्रतिशत

जयपुर के एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान के निदेशक दिलीप महेचा ने बताया कि यूपीएससी में सबसे ज्यादा सलेक्शन उत्तर प्रदेश से होते हैं. उसके बाद राजस्थान का ही नंबर आता है. पहले बिहार दूसरे पायदान पर रहता था, लेकिन इन दिनों राजस्थान से सलेक्शन बिहार की तुलना में ज्यादा हो रहे हैं. यदि जनसंख्या से तुलना करें तो राजस्थान की जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या की करीब 6% है. लेकिन यूपीएससी में सलेक्शन की अगर बात की जाए तो राजस्थान के करीब 10% अभ्यर्थी सलेक्ट होते हैं. ऐसे में आनुपातिक दृष्टि से राजस्थान का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश से भी बेहतर है.

सिविल सर्विसेज में इंग्लिश मीडियम छात्रों का जोर..

उन्होंने बताया कि बिहार और उत्तर प्रदेश बड़े राज्य हैं. वहां सिविल सर्विसेज की तैयारी करने का प्रचलन भी ज्यादा है. लेकिन ये दोनों ही राज्य विशुद्ध रूप से हिंदी भाषी ज्यादा हैं. जबकि यूपीएससी में इन दिनों इंग्लिश मीडियम का वर्चस्व ज्यादा है. हालांकि राजस्थान भी हिंदी भाषी प्रदेश है, लेकिन यहां इंग्लिश मीडियम के छात्र भी बड़ी संख्या में हैं. खास बात ये है कि राजस्थान में इंजीनियरिंग की तरफ छात्रों का झुकाव ज्यादा है. इन दिनों जो यूपीएससी क्रेक कर रहे हैं उनमें अधिकतर इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हैं.

दिलीप महेचा ने हिंदी भाषी राष्ट्र में हिंदी मीडियम छात्रों का यूपीएससी में सलेक्शन कम होने को विडंबना बताते हुए कहा कि करीब 42 से 45 फ़ीसदी भारतीयों की मातृभाषा हिंदी है. बावजूद इसके यूपीएससी परीक्षाओं में हिंदी मीडियम के छात्रों के साथ पूरा न्याय नहीं हो पा रहा है.

Last Updated : Sep 29, 2021, 2:20 PM IST
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