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प्रदेश के 90 फीसदी निकायों में अब तक लागू नहीं हो सके संशोधित बिल्डिंग बायलॉज

प्रदेश के 90 फीसदी निकायों में अब तक संशोधित बिल्डिंग बायलॉज लागू नहीं किए गए. स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों को 4 मार्च तक ये बायलॉज लागू करने का अल्टीमेटम दिया है और इसके बाद ये बायलॉज स्वतः लागू माने जाएंगे.

Modified Building Bylaws,  Rajasthan Autonomous Government Department
स्वायत्त शासन विभाग
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Published : Feb 28, 2021, 10:36 PM IST

जयपुर. प्रदेश के 90 फीसदी निकायों में अब तक संशोधित बिल्डिंग बायलॉज लागू नहीं किए गए. 196 में से 176 नगरीय निकायों में अभी भी पुराने बायलॉज के तहत ही काम हो रहे हैं. हालांकि, स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों को 4 मार्च तक ये बायलॉज लागू करने का अल्टीमेटम दिया है और इसके बाद ये बायलॉज स्वतः लागू माने जाएंगे.

पढ़ें- Reality check: बिल्डिंग बायलॉज में नहीं है सुरक्षा के मानक, आवासन मंडल के अपार्टमेंट रहवासियों के लिए कितने सुरक्षित

राज्य सरकार की ओर से बीते दिनों संशोधित बिल्डिंग बायलॉज की अधिसूचना जारी की गई. व्यवस्थित विकास का दावा करने के लिए संशोधित किए गए ये बिल्डिंग बायलॉज शहरवासियों के परेशानी का सबब बनेंगे या इससे उन्हें सहूलियत होगी, ये तो तब निर्धारित होगा जब बिल्डिंग बायलॉज इन शहरी निकायों में लागू होंगे.

आलम ये है कि प्रदेश के 196 नगरीय निकायों में से महज 20 में ही ये मॉडल लागू हो पाया है. विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि कुछ निकायों में चुनाव के कारण प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी तो कहीं सहायक नगर नियोजक और ड्राफ्टमैन नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया की अब तक जहां बिल्डिंग बायलॉज लागू नहीं हो पाए हैं, वहां 4 मार्च के बाद स्वतः लागू माने जाएंगे.

बता दें कि संशोधित बिल्डिंग बायलॉज के तहत अब एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में 15 मीटर की बजाए 18 मीटर ऊंचे भवन बहुमंजिला भवन कहलाएंगे. जबकि 2500 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर डीम्ड बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम लागू होगा. वहीं, 20 हजार वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र और 18 मीटर ऊंचाई तक निर्माण पर ही डीम्ड अप्रूवल सिस्टम लागू होगा जबकि 250 के बजाय 500 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर निर्माण करने पर निकाय के मानचित्र अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी.

पढ़ें- पटवारियों की सरकार से चौथे दौर की वार्ता विफल, 1 से 4 मार्च तक पेनडाउन हड़ताल का एलान

ये सभी प्रावधान संशोधित बिल्डिंग बायलॉज में जोड़े गए हैं. वहीं, 500 वर्ग मीटर से अधिक, लेकिन 550 वर्ग मीटर से कम आकार की भूखंडों पर अब 8 की बजाए 12 बहु आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा सकेगा. इसी तरह 9 मीटर चौड़ी सड़क पर 225 वर्ग मीटर से लेकर 750 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर 12 के बजाय 15 मीटर तक ऊंचाई के भवन बन सकेंगे जबकि 12 मीटर चौड़ी सड़क पर 750 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों पर 18 मीटर ऊंचाई तक भवन बन सकेंगे.

हालांकि, शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां पर सीवरेज और पानी की समस्या होती है. पार्किंग की समस्या भी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में ये संशोधन आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकते हैं.

जयपुर. प्रदेश के 90 फीसदी निकायों में अब तक संशोधित बिल्डिंग बायलॉज लागू नहीं किए गए. 196 में से 176 नगरीय निकायों में अभी भी पुराने बायलॉज के तहत ही काम हो रहे हैं. हालांकि, स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों को 4 मार्च तक ये बायलॉज लागू करने का अल्टीमेटम दिया है और इसके बाद ये बायलॉज स्वतः लागू माने जाएंगे.

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राज्य सरकार की ओर से बीते दिनों संशोधित बिल्डिंग बायलॉज की अधिसूचना जारी की गई. व्यवस्थित विकास का दावा करने के लिए संशोधित किए गए ये बिल्डिंग बायलॉज शहरवासियों के परेशानी का सबब बनेंगे या इससे उन्हें सहूलियत होगी, ये तो तब निर्धारित होगा जब बिल्डिंग बायलॉज इन शहरी निकायों में लागू होंगे.

आलम ये है कि प्रदेश के 196 नगरीय निकायों में से महज 20 में ही ये मॉडल लागू हो पाया है. विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि कुछ निकायों में चुनाव के कारण प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी तो कहीं सहायक नगर नियोजक और ड्राफ्टमैन नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया की अब तक जहां बिल्डिंग बायलॉज लागू नहीं हो पाए हैं, वहां 4 मार्च के बाद स्वतः लागू माने जाएंगे.

बता दें कि संशोधित बिल्डिंग बायलॉज के तहत अब एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में 15 मीटर की बजाए 18 मीटर ऊंचे भवन बहुमंजिला भवन कहलाएंगे. जबकि 2500 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर डीम्ड बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम लागू होगा. वहीं, 20 हजार वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र और 18 मीटर ऊंचाई तक निर्माण पर ही डीम्ड अप्रूवल सिस्टम लागू होगा जबकि 250 के बजाय 500 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर निर्माण करने पर निकाय के मानचित्र अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी.

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ये सभी प्रावधान संशोधित बिल्डिंग बायलॉज में जोड़े गए हैं. वहीं, 500 वर्ग मीटर से अधिक, लेकिन 550 वर्ग मीटर से कम आकार की भूखंडों पर अब 8 की बजाए 12 बहु आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा सकेगा. इसी तरह 9 मीटर चौड़ी सड़क पर 225 वर्ग मीटर से लेकर 750 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर 12 के बजाय 15 मीटर तक ऊंचाई के भवन बन सकेंगे जबकि 12 मीटर चौड़ी सड़क पर 750 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों पर 18 मीटर ऊंचाई तक भवन बन सकेंगे.

हालांकि, शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां पर सीवरेज और पानी की समस्या होती है. पार्किंग की समस्या भी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में ये संशोधन आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बन सकते हैं.

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