जयपुर. फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री में भूखंड को शामिल किए जाने वाला अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट अब तक लागू नहीं हो पाया है. बीते डेढ़ दशक से राजस्थान के फ्लैट खरीदारों को इंतजार है कि उन्हें फ्लैट के साथ-साथ भूखंड का भी मालिकाना हक मिलेगा. बीते नवंबर ये बिल लास्ट स्टेज में था, लेकिन फिलहाल इंतजार बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि, अब एक्ट के तहत बनाए गए नियमों को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की मंजूरी के लिए भेजा गया है.
अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को उनका हक दिलाने के लिए साल 2003 में बीजेपी सरकार ने अपार्टमेंट ओनरशिप बिल का प्रारूप तैयार किया था. इसके बाद कई बार राज्य सरकार ने इसे केंद्र को भेजा, लेकिन हर बार बिल में सुधार की बात कहकर इसे वापस लौटा दिया गया.
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हालांकि, अप्रैल 2018 में जब प्रदेश सरकार ने इस बिल को केंद्र सरकार के पास भेजा तो उनका जवाब पॉजिटिव आया. बीते साल 3 जुलाई को राष्ट्रपति की ओर से इस बिल को मंजूरी दे दी गई थी. जिसके 3 महीने बाद राज्य सरकार ने इस बिल के तहत नियम बनाने को लेकर सोची. इस संबंध में नगरीय विकास विभाग की मीटिंग भी हुई और एक महीने के अंदर इसके प्रावधान तय कर इसे लागू करने का फैसला लिया गया था.
अक्टूबर-नवंबर में अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट का प्रारूप तैयार किया गया और आपत्तियां मांगी गई थी. 30 नवंबर 2019 में ही राज्य में अपार्टमेंट ओनरशिप बिल लागू होना था, लेकिन फिलहाल राजस्थान के फ्लैट ओनर्स को सिर्फ इंतजार नसीब हो रहा है.
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चीफ टाउन प्लानर आरके विजयवर्गीय की माने तो इस बिल के लागू होने से राज्य के लाखों फ्लैट धारकों का जमीन पर भी मालिकाना हक होगा. जिसके तहत फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री में भूखंड को भी शामिल किया जाएगा. इसके लिए बिल्डर के पास 6 महीने का समय होगा, जिसमें उसे फ्लैट खरीददार को भूमि का मालिकाना हक देना होगा.
इसके अलावा अपार्टमेंट में रहने वाले लोग एक रेजिडेंट एसोसिएशन बनाएंगे, जो बिल्डर के साथ मेंटेनेंस की व्यवस्था को लेकर प्रावधान तय करेगा. हालांकि, अब एक्ट के तहत बनाए गए नियमों को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की मंजूरी के लिए भेजा गया है. वहां से मंजूरी मिलने के बाद इन नियमों को विधि विभाग के पास भेजा जाएगा, जहां से हरी झंडी मिलते ही इन्हें लागू कर दिया जाएगा.
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बता दें कि अब तक बिल्डर फ्लैट खरीददार के नाम पर रजिस्ट्री कराता रहा है, लेकिन रजिस्ट्री को स्वामित्व का आधार नहीं माना जाता है. ऐसे में अपार्टमेंट ओनरशिप बिल लागू होने के बाद बिल्डर्स को फ्लैट खरीदारों की लिस्ट जेडीए या निगम को सौंपनी होगी. उसी के आधार पर डीड ऑफ अपार्टमेंट जारी होगी, जिससे खरीदार को फ्लैट के साथ-साथ बिल्डिंग की जमीन पर भी अनुपातिक हक मिलेगा.