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अलवर-धौलपुर पंचायत राज चुनाव में इन दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर, 29 अक्टूबर को आने वाले नतीजों का है इंतजार

अलवर-धौलपुर पंचायत राज चुनाव में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. दोनों जिलों में मतदान हो चुके हैं ऐसे में अब नेताओं को 29 अक्टूबर को आने वाले परिणाम का इंतजार है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 27, 2021, 9:41 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 11:00 PM IST

अलवर और धौलपुर चुनाव,  पंचायत चुनाव, reputation at stake,  panchayat election result,  BJP leader
अलवर-धौलपुर पंचायत राज चुनाव

जयपुर. अलवर और धौलपुर जिले में पंचायत राज चुनाव के लिए मतदान पूरा होने के बाद अब सबकी निगाहें 29 अक्टूबर को आने वाले नतीजों पर टिकी है. दोनों ही जिलों में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. दोनों जिलों में भाजपा के 2 विधायक और 2 सांसदों के साथ बनाए गए चुनाव प्रभारियों की साख भी दांव पर लगी है.

अलवर में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

अलवर में जिला परिषद के कुल 9 वार्ड हैं और 16 पंचायत समितियां इसके अंतर्गत आती हैं. पिछले जिला परिषद चुनाव में भाजपा के अधिक पार्षद जीते थे लेकिन जिला प्रमुख कांग्रेस का बना था. भाजपा को क्रॉस वोटिंग का दंश झेलना पड़ा था. हालांकि वर्तमान में यदि इस जिले की बात की जाए तो यहां कुल 10 विधानसभा क्षेत्र इन पंचायत राज चुनाव के तहत आ रहे हैं जिनमें से एक मात्र मुंडावर में भाजपा विधायक मनजीत धर्मपाल चौधरी है.

अलवर-धौलपुर पंचायत राज चुनाव

पढ़ें. राजस्थान उपचुनाव : BJP के इन स्टार प्रचारकों ने उपचुनाव से बनाई दूरी..राजे, माथुर और यादव की कमी इन नेताओं ने की दूर

संसदीय क्षेत्र की बात की जाए तो यहां भाजपा सांसद बाबा बालक नाथ हैं. मतलब इन दोनों की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर दांव पर है. वहीं भाजपा ने अलवर पंचायत राज चुनाव के लिए प्रदेश महामंत्री और विधायक मदन दिलावर को प्रभारी जबकि विधायक रामलाल शर्मा वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र गहलोत और नारायण मीणा को सह प्रभारी बनाया है. ऐसे में इन नेताओं की प्रतिष्ठा भी सीधे तौर पर दांव पर है. इसके अलावा जिले के 7 कांग्रेस और 2 निर्दलीय विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.

अलवर और धौलपुर चुनाव,  पंचायत चुनाव, reputation at stake,  panchayat election result,  BJP leader
दांव पर प्रतिष्ठा

धौलपुर में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा लगी दावं पर

बात करें धौलपुर जिले की तो यहां पंचायत राज चुनाव में कुल 23 जिला परिषद वार्ड हैं और 6 पंचायत समितियां हैं. पिछली बार यहां जिला परिषद पर भाजपा का कब्जा था लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. जिले में पंचायत राज चुनाव जिन क्षेत्रों में हो रहा है वहां कुल 4 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें से एक मात्र धौलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा की विधायक शोभारानी कुशवाहा हैं जबकि तीन अन्य विधायक कांग्रेस के हैं.

पढ़ें. क्रॉस वोटिंग का डर: अलवर-धौलपुर के पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों की कांग्रेस ने की बाड़ाबंदी

वहीं भाजपा सांसद मनोज राजोरिया के संसदीय क्षेत्र में यह पंचायत राज चुनाव है. मतलब विधायक शोभारानी कुशवाह और सांसद मनोज राजोरिया की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दांव पर लगी है. इसी तरह धौलपुर चुनाव के लिए भाजपा ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को प्रभारी बनाया है, वहीं वरिष्ठ नेता कन्हैया लाल चौधरी और अनुसूचित जनजाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र मीणा को सह प्रभारी का दायित्व सौंपा गया है. ऐसे में संगठनात्मक रूप से भी इन नेताओं के लिए यह चुनाव साख का सवाल बन गया है.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा भी धौलपुर में दांव पर है

धौलपुर पंचायत राज चुनाव में भाजपा के इन नेताओं के साथ ही पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा भी सीधे तौर पर दांव पर लगी है. वसुंधरा राजे का निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन है लेकिन वसुंधरा राजे धौलपुर राज परिवार की महारानी भी रही है. वहीं आज भी धौलपुर में उनका महल है जिसमें वे आती-जाती रहती हैं. ऐसे में धौलपुर पंचायत राज चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हों वह सीधे तौर पर वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा से भी जुड़े होंगे.

पढ़ें. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने की वसुंधरा राजे की प्रशंसा, बोले- भाजपा में वसुंधरा से बड़ा कोई नेता नहीं

भाजपा के बड़े नेताओं ने नहीं किया इस बार अलवर धौलपुर का रुख

इस बार धौलपुर और अलवर पंचायत राज चुनाव में प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार के लिए यहां का रुख नहीं किया. इसका बड़ा कारण यह रहा कि 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीख और इन दोनों ही जिलों में पंचायत राज चुनाव की तारीख आसपास थी. ऐसे में बड़े नेताओं का पूरा ध्यान और फोकस धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव पर ही केंद्रित रहा जबकि पंचायत राज चुनाव के लिए पार्टी ने जिन नेताओं को जिम्मेदारी दी उन्होंने इन क्षेत्रों में अपना फोकस किया.

29 को आएंगे नतीजे 30 अक्टूबर को प्रधान और जिला प्रमुख के चुनाव

संगठनात्मक रूप में बीजेपी ने इन पंचायत राज चुनाव में खूब पसीना बहाया है लेकिन यहां भाजपा का कमल खिल पाएगा या नहीं यह तो 29 अक्टूबर को आने वाले चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. वहीं 30 अक्टूबर को जिला प्रमुख, प्रधान और उपप्रधान के चुनाव और परिणाम आएंगे.

जयपुर. अलवर और धौलपुर जिले में पंचायत राज चुनाव के लिए मतदान पूरा होने के बाद अब सबकी निगाहें 29 अक्टूबर को आने वाले नतीजों पर टिकी है. दोनों ही जिलों में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. दोनों जिलों में भाजपा के 2 विधायक और 2 सांसदों के साथ बनाए गए चुनाव प्रभारियों की साख भी दांव पर लगी है.

अलवर में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

अलवर में जिला परिषद के कुल 9 वार्ड हैं और 16 पंचायत समितियां इसके अंतर्गत आती हैं. पिछले जिला परिषद चुनाव में भाजपा के अधिक पार्षद जीते थे लेकिन जिला प्रमुख कांग्रेस का बना था. भाजपा को क्रॉस वोटिंग का दंश झेलना पड़ा था. हालांकि वर्तमान में यदि इस जिले की बात की जाए तो यहां कुल 10 विधानसभा क्षेत्र इन पंचायत राज चुनाव के तहत आ रहे हैं जिनमें से एक मात्र मुंडावर में भाजपा विधायक मनजीत धर्मपाल चौधरी है.

अलवर-धौलपुर पंचायत राज चुनाव

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संसदीय क्षेत्र की बात की जाए तो यहां भाजपा सांसद बाबा बालक नाथ हैं. मतलब इन दोनों की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर दांव पर है. वहीं भाजपा ने अलवर पंचायत राज चुनाव के लिए प्रदेश महामंत्री और विधायक मदन दिलावर को प्रभारी जबकि विधायक रामलाल शर्मा वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र गहलोत और नारायण मीणा को सह प्रभारी बनाया है. ऐसे में इन नेताओं की प्रतिष्ठा भी सीधे तौर पर दांव पर है. इसके अलावा जिले के 7 कांग्रेस और 2 निर्दलीय विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.

अलवर और धौलपुर चुनाव,  पंचायत चुनाव, reputation at stake,  panchayat election result,  BJP leader
दांव पर प्रतिष्ठा

धौलपुर में इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा लगी दावं पर

बात करें धौलपुर जिले की तो यहां पंचायत राज चुनाव में कुल 23 जिला परिषद वार्ड हैं और 6 पंचायत समितियां हैं. पिछली बार यहां जिला परिषद पर भाजपा का कब्जा था लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. जिले में पंचायत राज चुनाव जिन क्षेत्रों में हो रहा है वहां कुल 4 विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें से एक मात्र धौलपुर विधानसभा सीट पर भाजपा की विधायक शोभारानी कुशवाहा हैं जबकि तीन अन्य विधायक कांग्रेस के हैं.

पढ़ें. क्रॉस वोटिंग का डर: अलवर-धौलपुर के पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों की कांग्रेस ने की बाड़ाबंदी

वहीं भाजपा सांसद मनोज राजोरिया के संसदीय क्षेत्र में यह पंचायत राज चुनाव है. मतलब विधायक शोभारानी कुशवाह और सांसद मनोज राजोरिया की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दांव पर लगी है. इसी तरह धौलपुर चुनाव के लिए भाजपा ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को प्रभारी बनाया है, वहीं वरिष्ठ नेता कन्हैया लाल चौधरी और अनुसूचित जनजाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र मीणा को सह प्रभारी का दायित्व सौंपा गया है. ऐसे में संगठनात्मक रूप से भी इन नेताओं के लिए यह चुनाव साख का सवाल बन गया है.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा भी धौलपुर में दांव पर है

धौलपुर पंचायत राज चुनाव में भाजपा के इन नेताओं के साथ ही पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा भी सीधे तौर पर दांव पर लगी है. वसुंधरा राजे का निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन है लेकिन वसुंधरा राजे धौलपुर राज परिवार की महारानी भी रही है. वहीं आज भी धौलपुर में उनका महल है जिसमें वे आती-जाती रहती हैं. ऐसे में धौलपुर पंचायत राज चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हों वह सीधे तौर पर वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा से भी जुड़े होंगे.

पढ़ें. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने की वसुंधरा राजे की प्रशंसा, बोले- भाजपा में वसुंधरा से बड़ा कोई नेता नहीं

भाजपा के बड़े नेताओं ने नहीं किया इस बार अलवर धौलपुर का रुख

इस बार धौलपुर और अलवर पंचायत राज चुनाव में प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार के लिए यहां का रुख नहीं किया. इसका बड़ा कारण यह रहा कि 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीख और इन दोनों ही जिलों में पंचायत राज चुनाव की तारीख आसपास थी. ऐसे में बड़े नेताओं का पूरा ध्यान और फोकस धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव पर ही केंद्रित रहा जबकि पंचायत राज चुनाव के लिए पार्टी ने जिन नेताओं को जिम्मेदारी दी उन्होंने इन क्षेत्रों में अपना फोकस किया.

29 को आएंगे नतीजे 30 अक्टूबर को प्रधान और जिला प्रमुख के चुनाव

संगठनात्मक रूप में बीजेपी ने इन पंचायत राज चुनाव में खूब पसीना बहाया है लेकिन यहां भाजपा का कमल खिल पाएगा या नहीं यह तो 29 अक्टूबर को आने वाले चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. वहीं 30 अक्टूबर को जिला प्रमुख, प्रधान और उपप्रधान के चुनाव और परिणाम आएंगे.

Last Updated : Oct 27, 2021, 11:00 PM IST
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