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REPORT : 95 फीसदी ब्लैक फंगस के ऐसे मरीज जिनको नहीं लगी थी Vaccine की दोनों डोज

राजस्थान में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए एक बोर्ड का गठन किया गया था. ऐसे में बोर्ड की ओर से ब्लैक फंगस (Black Fungus Infection) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई. बोर्ड का कहना है कि 95 फीसदी ऐसे मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आए हैं, जिनको कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) की दोनों डोज नहीं लगी थी.

म्युकोर माइकोसिस बोर्ड का गठन, Sawai Mansingh Medical College
म्युकोर माइकोसिस बोर्ड की रिपोर्ट जारी
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Published : Jun 13, 2021, 11:26 AM IST

Updated : Jun 13, 2021, 2:07 PM IST

जयपुर. प्रदेश में बढ़ते म्युकोर माइकोसिस (Mucor Mycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) के संक्रमण के बाद राज्य सरकार (State Government) की ओर से एक बोर्ड का गठन किया गया था. जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (Sawai Mansingh Medical College) के अधीन इस म्युकोर माइकोसिस बोर्ड (Constitution of Mucor Mycosis Board) का गठन किया गया था, जिसमें मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक शामिल थे.

ऐसे में हाल ही में बोर्ड की ओर से ब्लैक फंगस संक्रमण (Black Fungus Infection) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है. बोर्ड का कहना है कि 95 फीसदी ऐसे मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आए हैं, जिनको कोविड-19 वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगी थी. इसके अलावा स्टेरॉयड के बेतहाशा उपयोग की बात भी सामने आई है.

म्युकोर माइकोसिस बोर्ड की रिपोर्ट जारी

पढ़ेंः Corona Review Meeting: कोरोना रोगियों में मानसिक समस्याओं को लेकर सरकार सतर्क, उपचार की व्यवस्था के लिए सीएम ने दिए निर्देश

मामले को लेकर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (Sawai Mansingh Medical College) के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के बाद सरकार की ओर से एक बोर्ड के गठन का निर्देश दिया गया था और एसएमएस मेडिकल कॉलेज की ओर से इस बोर्ड का गठन किया गया. जिसमें ब्लैक फंगस के कारणों का विश्लेषण किया गया.

म्युकोर माइकोसिस बोर्ड का गठन, Sawai Mansingh Medical College
आंखों तक पहुंचा ब्लैक फंगस

सबसे पहले तो यह कारण सामने आया कि कोविड-19 संक्रमण होने के बाद मरीजों में स्टेरॉयड का काफी उपयोग किया गया, जिसके चलते जिन मरीजों को डायबिटीज नहीं थी, उन्हें भी संक्रमण ने अपनी चपेट में ले लिया. इसके अलावा डायबिटीज भी फंगस का एक मुख्य कारण रहा. वहीं, डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा कि 95 फीसदी ऐसे मरीज संक्रमण की चपेट में आए, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगवाई थी.

35 फीसदी मरीजों की आंखों तक पहुंचा फंगस...

डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि एसएमएस अस्पताल में डेडिकेटेड ब्लैक फंगस यूनिट (Black Fungus Unit) का संचालन किया जा रहा है. ऐसे में अब तक 400 मरीज अब तक अस्पताल में भर्ती हुए हैं, जिनमें से 315 मरीजों की सर्जरी हुई और 35 फीसदी मरीजों की आंखों तक यह संक्रमण पहुंच गया. जिसमें से 10 फीसदी मरीजों की आंख बचा ली गई, लेकिन 20 फीसदी मरीजों की आंख निकालनी पड़ी. डॉ. सुधीर भंडारी ने यह भी माना है कि तय प्रोटोकॉल के हिसाब से स्टेरॉइड का उपयोग निजी अस्पतालों में नहीं किया गया, जो एक संक्रमण का मुख्य कारण बना.

पढ़ेंः युवा अगर अनुशासित हैं तो खुद को फिट रखकर देश को फिट रख सकते हैं : राज्यवर्धन राठौड़

सरकारी कोविड-19 सेंटर्स से मामले नहीं...

डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि बोर्ड ने जब फंगस से जुड़े मामलों की जानकारी ली तो सामने आया कि तकरीबन 99 फीसदी मरीज निजी अस्पतालों से रेफर होकर सरकारी अस्पताल पहुंचे. डॉक्टर भंडारी ने दावा किया है कि जयपुर के सरकारी कोविड-19 सेंटर से ब्लैक फंगस का एक भी मामला सामने नहीं आया. इसके अलावा मरीजों की टिशू बायोप्सी करवाई जा रही है, ताकि ब्लैक फंगस के कारण ब्लड में क्लॉट और थ्रोम्बोसिस की जानकारी मिल सके. इसके अलावा डॉ. सुधीर भंडारी ने यह भी दावा किया है कि अस्पताल में बाहर के राज्यों से भी मरीज इलाज करवाने पहुंचे हैं, जिनमें अधिकतर मरीजों ने झोलाछाप चिकित्सकों से इलाज करवाया.

जयपुर. प्रदेश में बढ़ते म्युकोर माइकोसिस (Mucor Mycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) के संक्रमण के बाद राज्य सरकार (State Government) की ओर से एक बोर्ड का गठन किया गया था. जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (Sawai Mansingh Medical College) के अधीन इस म्युकोर माइकोसिस बोर्ड (Constitution of Mucor Mycosis Board) का गठन किया गया था, जिसमें मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक शामिल थे.

ऐसे में हाल ही में बोर्ड की ओर से ब्लैक फंगस संक्रमण (Black Fungus Infection) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है. बोर्ड का कहना है कि 95 फीसदी ऐसे मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आए हैं, जिनको कोविड-19 वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगी थी. इसके अलावा स्टेरॉयड के बेतहाशा उपयोग की बात भी सामने आई है.

म्युकोर माइकोसिस बोर्ड की रिपोर्ट जारी

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मामले को लेकर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (Sawai Mansingh Medical College) के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के बाद सरकार की ओर से एक बोर्ड के गठन का निर्देश दिया गया था और एसएमएस मेडिकल कॉलेज की ओर से इस बोर्ड का गठन किया गया. जिसमें ब्लैक फंगस के कारणों का विश्लेषण किया गया.

म्युकोर माइकोसिस बोर्ड का गठन, Sawai Mansingh Medical College
आंखों तक पहुंचा ब्लैक फंगस

सबसे पहले तो यह कारण सामने आया कि कोविड-19 संक्रमण होने के बाद मरीजों में स्टेरॉयड का काफी उपयोग किया गया, जिसके चलते जिन मरीजों को डायबिटीज नहीं थी, उन्हें भी संक्रमण ने अपनी चपेट में ले लिया. इसके अलावा डायबिटीज भी फंगस का एक मुख्य कारण रहा. वहीं, डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा कि 95 फीसदी ऐसे मरीज संक्रमण की चपेट में आए, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगवाई थी.

35 फीसदी मरीजों की आंखों तक पहुंचा फंगस...

डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि एसएमएस अस्पताल में डेडिकेटेड ब्लैक फंगस यूनिट (Black Fungus Unit) का संचालन किया जा रहा है. ऐसे में अब तक 400 मरीज अब तक अस्पताल में भर्ती हुए हैं, जिनमें से 315 मरीजों की सर्जरी हुई और 35 फीसदी मरीजों की आंखों तक यह संक्रमण पहुंच गया. जिसमें से 10 फीसदी मरीजों की आंख बचा ली गई, लेकिन 20 फीसदी मरीजों की आंख निकालनी पड़ी. डॉ. सुधीर भंडारी ने यह भी माना है कि तय प्रोटोकॉल के हिसाब से स्टेरॉइड का उपयोग निजी अस्पतालों में नहीं किया गया, जो एक संक्रमण का मुख्य कारण बना.

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डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि बोर्ड ने जब फंगस से जुड़े मामलों की जानकारी ली तो सामने आया कि तकरीबन 99 फीसदी मरीज निजी अस्पतालों से रेफर होकर सरकारी अस्पताल पहुंचे. डॉक्टर भंडारी ने दावा किया है कि जयपुर के सरकारी कोविड-19 सेंटर से ब्लैक फंगस का एक भी मामला सामने नहीं आया. इसके अलावा मरीजों की टिशू बायोप्सी करवाई जा रही है, ताकि ब्लैक फंगस के कारण ब्लड में क्लॉट और थ्रोम्बोसिस की जानकारी मिल सके. इसके अलावा डॉ. सुधीर भंडारी ने यह भी दावा किया है कि अस्पताल में बाहर के राज्यों से भी मरीज इलाज करवाने पहुंचे हैं, जिनमें अधिकतर मरीजों ने झोलाछाप चिकित्सकों से इलाज करवाया.

Last Updated : Jun 13, 2021, 2:07 PM IST
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