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कांग्रेस सदस्यता अभियान में हकीकत आई सामने: 108 विधानसभा क्षेत्रों में बने 5 हजार से भी कम सदस्य

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Published : Apr 26, 2022, 9:14 PM IST

कांग्रेस सदस्यता अभियान में प्रदेश के कुल 200 में से 108 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कांग्रेस 5 हजार से कम सदस्य बना पाई (Congress Digital Membership campaign in Rajasthan) है. हालांकि इन 108 में से ज्यादातर जगह कांग्रेस विधायक नहीं हैं, लेकिन प्रदेश की आधी से ज्यादा विधानसभा सीटों पर विधायकों और संगठन की निष्क्रियता सामने आई है. इनमें से भी 30-40 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित विधायक हैं, लेकिन इन सीटों पर भी पार्टी सदस्यता अभियान में फिसड्डी साबित हुई है.

Report of Congress Digital Membership campaign in Rajasthan
कांग्रेस सदस्यता अभियान में हकीकत आई सामने: 108 विधानसभा क्षेत्रों में बने 5 हजार से भी कम सदस्य

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के सदस्यता अभियान में कांग्रेस पार्टी भले ही किसी तरह से 40 लाख सदस्य बनाने के दावे कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ और है. इन दावों के बीच ही पार्टी के सामने 30 से 40 विधानसभा सीटों की जमीनी हकीकत आ गई है. ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां पार्टी के विधायक और समर्थक विधायक हैं, लेकिन फिर भी पार्टी कमजोर है.

प्रदेश के कुल 200 में से 108 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कांग्रेस 5 हजार से कम सदस्य बना पाई (Poor performance of Congress in 108 constituencies) है. हालांकि इन 108 में से ज्यादातर जगह कांग्रेस विधायक नहीं हैं, लेकिन प्रदेश की आधी से ज्यादा विधानसभा सीटों पर विधायकों और संगठन की निष्क्रियता सामने आई है. इनमें से भी 30-40 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित विधायक हैं, लेकिन इन सीटों पर भी पार्टी सदस्यता अभियान में फिसड्डी साबित हुई है. इनमें सदस्यता का आंकड़ा 2000 से भी कम रहा है. इनमें से भी करीब 20 विधानसभा ऐसी हैं जहां आंकड़ा 1000 से भी कम रहा. कई क्षेत्रों में तो 500 से भी कम सदस्य बने हैं.

पढ़ें: कांग्रेस ने सदस्यता अभियान की तारीख 15 अप्रैल तक बढ़ाई, अब तक प्रदेश में 10 लाख मेंबर ही बने

कांग्रेस प्रत्याशियों की शिकायतें हुईं सही साबित: जब पार्टी का सदस्यता अभियान चल रहा था, तब कांग्रेस प्रत्याशियों ने निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की शिकायत की थी. उनका कहना था कि ये नेता कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके नेताओं की उपेक्षा कर गलत एनरोलर बना रहे हैं. उन्होंने दावा किया था कि इसके चलते सदस्यता कम दर्ज हो रही है. सदस्यता अभियान के आंकड़े सामने के बाद कांग्रेस नेताओं की पूर्व में कही बात सही साबित हो रही है. पार्टी को भी अब इस बात पर सोचना होगा कि इन सीटों पर पार्टी कैसे मजबूत हो.

पढ़ें: Congress Digital Membership: मंत्री-विधायक नहीं बना सके सदस्यता अभियान को सफल, अब गहलोत, माकन, डोटासरा और निरुपम ब्लॉक अध्यक्षों की लेंगे क्लास

निर्दलीयों ओर बसपा से आए विधायकों ने डाला चिंता में: बहरोड़, मारवाड़ जंक्शन, कुशलगढ़, गंगापुर सिटी, सिरोही, थानागाजी, खण्डेला, किशनगढ़ और शाहपुरा में पार्टी सदस्यता अभियान में पिछड़ी है, तो बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के क्षेत्र में भी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है. इनमें करौली, नगर, उदयपुरवाटी, नदबई और तिजारा विधानसभा शामिल है. ऐसा नहीं है कि जहां कांग्रेस पार्टी की सदस्यता कम हुई है, वहां भाजपा के निर्दलीय या बसपा से कांग्रेस में आए विधायक हैं बल्कि कई कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में भी स्थिति बदतर रही है. इनमें सांगोद, किशनगंज, अटरु, सवाईमाधोपुर, बाड़ी, शेरगढ़, खंडार, कठूमर, पीपल्दा और डीग-कुम्हेर क्षेत्र में भी सदस्यता का आंकड़ा बदतर रहा है.

पढ़ें: Congress Digital Membership : 50 लाख सदस्य बनाने का टारगेट, बना पाए 1 लाख...कैसे पहुंचेंगे लक्ष्य तक ?

राज्यसभा चुनाव के बाद ही पार्टी उठाएगी कड़े कदम: सदस्यता अभियान में निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के साथ ही 10 से ज्यादा कांग्रेस विधायकों ने पार्टी को चिंता में डाला हुआ है. वहीं पार्टी के सामने 108 विधानसभा भी चुनौती बनी हुई है, जहां पार्टी के 5000 से भी कम सदस्य बने हैं. यह आंकड़े भी कांग्रेस पार्टी के सामने आ चुके हैं, लेकिन समस्या यह है कि राज्यसभा चुनाव में पार्टी को एक-एक वोट की जरूरत होगी. ऐसे में पार्टी चाहते हुए भी अभी इन विधायकों के साथ सख्ती बरतने से बच रही है.

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के सदस्यता अभियान में कांग्रेस पार्टी भले ही किसी तरह से 40 लाख सदस्य बनाने के दावे कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ और है. इन दावों के बीच ही पार्टी के सामने 30 से 40 विधानसभा सीटों की जमीनी हकीकत आ गई है. ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां पार्टी के विधायक और समर्थक विधायक हैं, लेकिन फिर भी पार्टी कमजोर है.

प्रदेश के कुल 200 में से 108 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कांग्रेस 5 हजार से कम सदस्य बना पाई (Poor performance of Congress in 108 constituencies) है. हालांकि इन 108 में से ज्यादातर जगह कांग्रेस विधायक नहीं हैं, लेकिन प्रदेश की आधी से ज्यादा विधानसभा सीटों पर विधायकों और संगठन की निष्क्रियता सामने आई है. इनमें से भी 30-40 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित विधायक हैं, लेकिन इन सीटों पर भी पार्टी सदस्यता अभियान में फिसड्डी साबित हुई है. इनमें सदस्यता का आंकड़ा 2000 से भी कम रहा है. इनमें से भी करीब 20 विधानसभा ऐसी हैं जहां आंकड़ा 1000 से भी कम रहा. कई क्षेत्रों में तो 500 से भी कम सदस्य बने हैं.

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कांग्रेस प्रत्याशियों की शिकायतें हुईं सही साबित: जब पार्टी का सदस्यता अभियान चल रहा था, तब कांग्रेस प्रत्याशियों ने निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की शिकायत की थी. उनका कहना था कि ये नेता कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके नेताओं की उपेक्षा कर गलत एनरोलर बना रहे हैं. उन्होंने दावा किया था कि इसके चलते सदस्यता कम दर्ज हो रही है. सदस्यता अभियान के आंकड़े सामने के बाद कांग्रेस नेताओं की पूर्व में कही बात सही साबित हो रही है. पार्टी को भी अब इस बात पर सोचना होगा कि इन सीटों पर पार्टी कैसे मजबूत हो.

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निर्दलीयों ओर बसपा से आए विधायकों ने डाला चिंता में: बहरोड़, मारवाड़ जंक्शन, कुशलगढ़, गंगापुर सिटी, सिरोही, थानागाजी, खण्डेला, किशनगढ़ और शाहपुरा में पार्टी सदस्यता अभियान में पिछड़ी है, तो बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के क्षेत्र में भी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है. इनमें करौली, नगर, उदयपुरवाटी, नदबई और तिजारा विधानसभा शामिल है. ऐसा नहीं है कि जहां कांग्रेस पार्टी की सदस्यता कम हुई है, वहां भाजपा के निर्दलीय या बसपा से कांग्रेस में आए विधायक हैं बल्कि कई कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में भी स्थिति बदतर रही है. इनमें सांगोद, किशनगंज, अटरु, सवाईमाधोपुर, बाड़ी, शेरगढ़, खंडार, कठूमर, पीपल्दा और डीग-कुम्हेर क्षेत्र में भी सदस्यता का आंकड़ा बदतर रहा है.

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राज्यसभा चुनाव के बाद ही पार्टी उठाएगी कड़े कदम: सदस्यता अभियान में निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के साथ ही 10 से ज्यादा कांग्रेस विधायकों ने पार्टी को चिंता में डाला हुआ है. वहीं पार्टी के सामने 108 विधानसभा भी चुनौती बनी हुई है, जहां पार्टी के 5000 से भी कम सदस्य बने हैं. यह आंकड़े भी कांग्रेस पार्टी के सामने आ चुके हैं, लेकिन समस्या यह है कि राज्यसभा चुनाव में पार्टी को एक-एक वोट की जरूरत होगी. ऐसे में पार्टी चाहते हुए भी अभी इन विधायकों के साथ सख्ती बरतने से बच रही है.

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