जयपुर. प्रदेश के आमेर सहित 6 किलों को 2013 में विश्व विरासत का दर्जा मिल चुका है. अब तक उनके संरक्षण के लिए और आगामी 5 साल में क्या-क्या कार्य किए जाने हैं, इसकी रिपोर्ट इसी वर्ष युनेस्को को भेजी जाएगी. रिपोर्ट की तैयारियों को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सोमवार को अपेक्स कमिटी फॉर हिल फोर्ट की बैठक होगी.
मुख्यसचिव की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में विश्व विरासत के दर्जे को बरकरार रखने के लिए तैयार किए गए एक्शन प्लान पर चर्चा होगी. विभाग के अधिकारियों के अनुसार जयपुर के आमेर, कुंभलगढ़, रणथंभौर, जैसलमेर और चित्तौड़ किला विश्व विरासत में शामिल है. विरासत का दर्जा देते समय युनेस्को कुछ गाइडलाइन जारी करता है, जिसके आधार पर इनका संरक्षण करना होता है. इनके अवैध अतिक्रमण हटाने संबंधी कार्यों में कितना बजट खर्च किया गया. इन बिंदुओं पर मुख्यसचिव राजीव स्वरूप पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे.
पढ़ें- SPECIAL : तमिलनाडु की तर्ज पर राजस्थान में तैयार हुआ सड़क सुरक्षा रोड मैप, हादसों में आएगी कमी
वहीं, जैसलमेर किले में रह रही आबादी और किले के संरक्षण को लेकर आ रही कुछ समस्याओं की भी बैठक में समीक्षा होगी. जयपुर में स्थित आमेर के किले में युनेस्को की गाइडलाइन के अनुसार करीब 15 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में 14 अगस्त को पानी भरने से पुरातत्व से जुड़ी कई चीजों को काफी नुकसान हुआ था. अब उनके संरक्षण के लिए दिल्ली से एक्सपर्ट को बुलाया गया है.
बता दें कि प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर को युनेस्को विश्व विरासत का दर्जा देता है और उन धरोहर के संरक्षण के लिए भी फंड जारी करता है. राजस्थान की कई किले, महल और संग्रहालय युनेस्को इस सूची में शामिल हो चुके हैं. इनके संरक्षण और रखरखाव का कर्ज युनेस्को की ओर से उठाया जाता है.
विश्व विरासत में शामिल होने के बाद युनेस्को इन पुरातत्व महल, किलों और संग्रालय के संरक्षण के साथ-साथ यहां पर किसी तरह का कोई अतिक्रमण और साफ-सफाई के साथ-साथ इनके रख रखाव के लिए भी विशेष गाइडलाइन जारी करता है. इस गाइडलाइन की समीक्षा को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सोमवार को यह अहम बैठक आयोजित होगी.