जयपुर. रिन्यूएबल एनर्जी प्रोमोशन एसोसिएशन (रेपा) के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. एजी अय्यर ने कहा कि परंपरागत ऊर्जा स्रोतों की सीमित मात्रा और इनसे होने वाले प्रदूषण के चलते आज पूरा विश्व अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में संभावनाएं तलाश रहा है. भारत में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रचुर संभावनाएं हैं और राजस्थान इसमें कुल क्षमता की करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी निभा सकता है.
रेपा (Renewable Energy Promotion Association) के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. एजी अय्यर ने कहा कि नासा की ओर से प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान का सौर ऊर्जा में अव्वल स्थान है. उनका कहना है कि राजस्थान में अक्षय ऊर्जा परियोजना के तहत 40 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजना की क्षमता है. जिसमें सबसे ज्यादा 80 फीसदी भागीदारी सौर ऊर्जा की होगी. सौर ऊर्जा के साथ ही ऊर्जा भंडारण और जैव ऊर्जा का भी इस परियोजना में समावेश होगा. उनका यह भी कहना है कि सौर ऊर्जा से प्रति मेगा वाट बिजली उत्पादन के लिए करीब पांच एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है. ऐसे में यदि यह प्रोजेक्ट साकार होता है तो करीब 2 लाख एकड़ के विशेष ऊर्जा क्षेत्र की स्थापना होगी.
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इस विशेष ऊर्जा क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा विनिर्माण प्रौद्योगिकी क्षेत्र का भी प्रावधान होगा. जहां सौर ऊर्जा से संबंधित सिलिकन इनगट से बिजली उत्पादन तक सभी कार्य इस परियोजना में शामिल होंगे. रेपा के अध्यक्ष प्रो. अय्यर का कहना है कि इस विश्व की सबसे विशालतम परियोजना होगी. जिसकी लागत में कुल 1,20,000 से 1,50,000 करोड़ तक आंकी जा रही है. उन्होंने यह भी कहना है कि इस परियोजना से करीब 40 से 50 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. इस परियोजना को लेकर सरकार से बात हो चुकी है और जल्द ही एमओयू की भी उम्मीद है.