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आखिर कब तक भक्त अपने भगवान, नमाजी अपनी मस्जिद और अरदासी अपनी संगत से रहेंगे दूर! - temple opening case

राजस्थान में कभी आबाद रहने वाले धार्मिक स्थल आज भी भक्त और आस्था के बिन सूने हैं. आखिर कब तक भक्त अपने भगवान, नमाजी अपनी मस्जिद, अरदासी अपनी संगत से दूर रहेंगे. क्या अब वो समय आ गया है कि इस दूरी को कम किया जाए या फिर अब भी कुछ वक्त और इस दूरी को बनाए रखना जरूरी है.

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धार्मिक स्थल खुलने का मामला
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Published : Jun 11, 2020, 8:14 PM IST

जयपुर. कोरोना...वो नाम, जिसे हम और आने वाली कई पीढ़ी शायद ही भूल पाए. इस कोरोना महामारी ने हर एक व्यक्ति को प्रभावित किया है. ना केवल इंसान बल्कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च और कितने ही धार्मिक स्थल भी इससे अछूते नहीं रहे. यही वजह है कि राजस्थान में अभी तक धार्मिक स्थल बंद पड़े हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने तो 8 जून से धार्मिक स्थल खोलने की छूट दे दी, लेकिन फैसला राज्य सरकार के स्तर पर छोड़ा गया है.

धार्मिक स्थल खुलने का मामला

वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी धर्मगुरुओं के साथ मंथन किया है, जिसमें 30 जून तक फिलहाल धार्मिक स्थल बंद रखने पर राय बनी है. हालांकि यहां भी अंतिम फैसला राज्य सरकार पर छोड़ा गया है. प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जरूर नहीं कि 30 जून के बाद भी सभी धर्मस्थल श्रद्धालु के लिए खोल दिया जाए. सरकार नीति नियंता और धर्मगुरु सैद्धांतिक रूप से मान भी चुके हैं कि जून तक सभी धार्मिक स्थल बंद रखना ही बेहतर होगा. हालांकि जून के तुरंत बाद खोल दिए जाएं ऐसा भी नहीं है.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL: सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल 'सद्भावना' स्थल, कब्रिस्तान की जमीन पर बना देवी का भव्य मंदिर

राज्य सरकार ने धर्मस्थल खोलने का आधार जिलों के स्थिति को बनाया है. जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति सरकार को सुझाव देगी, तब सरकार जिलेवार निर्णय करेगी. धर्मगुरुओं का मानना है, कि धर्म स्थलों के भीतर श्रद्धालुओं को नियंत्रण करना मुश्किल रहेगा. खतरा टलने या नियंत्रण में आने तक घरों से ही पूजा-इबादत जारी रखना उचित है. ऐसे में धर्मगुरुओं ने उचित माहौल में ही धर्मस्थलों को खोलने का आग्रह किया है, जिससे श्रद्धालुओं में संक्रमण का खतरा काफी हद तक खत्म हो जाएगा.

यह भी पढ़ेंः अलवर में चोरों ने भगवान को भी नहीं बख्शा, मंदिर से चांदी के जेवरात सहित नकदी पार

बहरहाल, सभी धर्मगुरु भी 30 जून तक धर्मस्थल बंद रखने के लिए सहमत है. उसके बाद भी फैसले जिला स्तरीय कमेटियों के सुझाव के बाद ही होंगे. ऐसे में राजस्थान में 30 जून के बाद भी धर्मस्थलों के खुलने का इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं दूसरी और धर्मस्थलों पर हैंडवॉश और सैनिटाइज करने की व्यवस्था करके के साथ साथ सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले भी बनाएं गए हैं. लेकिन अब बस इंतजार है तो सिर्फ धर्मस्थलों के खुलने का, ताकि पहले की तरह फिर से आस्था, अरदास और इबादत का दौर शुरू हो सके.

जयपुर. कोरोना...वो नाम, जिसे हम और आने वाली कई पीढ़ी शायद ही भूल पाए. इस कोरोना महामारी ने हर एक व्यक्ति को प्रभावित किया है. ना केवल इंसान बल्कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च और कितने ही धार्मिक स्थल भी इससे अछूते नहीं रहे. यही वजह है कि राजस्थान में अभी तक धार्मिक स्थल बंद पड़े हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने तो 8 जून से धार्मिक स्थल खोलने की छूट दे दी, लेकिन फैसला राज्य सरकार के स्तर पर छोड़ा गया है.

धार्मिक स्थल खुलने का मामला

वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी धर्मगुरुओं के साथ मंथन किया है, जिसमें 30 जून तक फिलहाल धार्मिक स्थल बंद रखने पर राय बनी है. हालांकि यहां भी अंतिम फैसला राज्य सरकार पर छोड़ा गया है. प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जरूर नहीं कि 30 जून के बाद भी सभी धर्मस्थल श्रद्धालु के लिए खोल दिया जाए. सरकार नीति नियंता और धर्मगुरु सैद्धांतिक रूप से मान भी चुके हैं कि जून तक सभी धार्मिक स्थल बंद रखना ही बेहतर होगा. हालांकि जून के तुरंत बाद खोल दिए जाएं ऐसा भी नहीं है.

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राज्य सरकार ने धर्मस्थल खोलने का आधार जिलों के स्थिति को बनाया है. जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति सरकार को सुझाव देगी, तब सरकार जिलेवार निर्णय करेगी. धर्मगुरुओं का मानना है, कि धर्म स्थलों के भीतर श्रद्धालुओं को नियंत्रण करना मुश्किल रहेगा. खतरा टलने या नियंत्रण में आने तक घरों से ही पूजा-इबादत जारी रखना उचित है. ऐसे में धर्मगुरुओं ने उचित माहौल में ही धर्मस्थलों को खोलने का आग्रह किया है, जिससे श्रद्धालुओं में संक्रमण का खतरा काफी हद तक खत्म हो जाएगा.

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बहरहाल, सभी धर्मगुरु भी 30 जून तक धर्मस्थल बंद रखने के लिए सहमत है. उसके बाद भी फैसले जिला स्तरीय कमेटियों के सुझाव के बाद ही होंगे. ऐसे में राजस्थान में 30 जून के बाद भी धर्मस्थलों के खुलने का इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं दूसरी और धर्मस्थलों पर हैंडवॉश और सैनिटाइज करने की व्यवस्था करके के साथ साथ सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले भी बनाएं गए हैं. लेकिन अब बस इंतजार है तो सिर्फ धर्मस्थलों के खुलने का, ताकि पहले की तरह फिर से आस्था, अरदास और इबादत का दौर शुरू हो सके.

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