जयपुर. जिले में धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट में धर्मगुरुओं, विधायकों और जिला प्रशासन के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. बैठक में धर्मगुरुओं से धार्मिक स्थलों को खोले जाने को लेकर विचार-विमर्श किया गया. इस दौरान धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर धर्मगुरु दो मतों में बंटे हुए नजर आए.
बता दें कि जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में मंगलवार को हुई बैठक करीब पौने दो घंटे चली. बैठक में आए हुए सभी धर्म गुरुओं से उनके सुझाव बारी-बारी से लिए गए. बैठक में धर्मगुरु एक-दूसरे के सुझाव का विरोध करते भी दिखे. कुछ धर्मगुरुओं ने कहा कि प्रशासन के दिशा निर्देशों की पालना धार्मिक स्थलों की ओर से की जाएगी और धर्म स्थलों को 1 जुलाई से खोलने की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा कि जो भी नियम जिला प्रशासन बनाएगा उसका पूरी तरह से पालन किया जाएगा.
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वहीं, दूसरी और कुछ धर्मगुरुओं ने कहा कि राजधानी में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं जो चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों को खोलने की समय सीमा बढ़ाने में उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं है. धर्मगुरुओं ने स्पष्ट कहा कि धार्मिक स्थलों को जिला प्रशासन और पुलिस के सहयोग के बिना नहीं खोला जा सकता है. दिशा-निर्देशों की पालना में जिला प्रशासन और पुलिस अहम किरदार निभाएंगे.
धर्मगुरुओं ने कहा कि धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए विस्तृत गाइडलाइन बनाई जाए. बैठक में धर्मगुरुओं ने कहा कि धार्मिक स्थलों को 1 जुलाई से खोले जाएं. बैठक में धर्मगुरुओं ने साफ कहा कि जब शराब की दुकानें, बाजार मॉल्स आदि खोले जा सकते है तो धार्मिक स्थलों को क्यों बंद रखा जा रहा है. बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि धार्मिक स्थल खोलने से क्या मंदिरों में कोरोना आ आएगा?
धार्मिक स्थलों के 3 महीने के बिजली के बिल माफ हो...
बैठक के दौरान धर्मगुरुओं ने मांग कि धार्मिक स्थलों के 3 महीने के बिजली के बिलों को सरकार माफ करें. उन्होंने बैठक में मौजूद जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे धार्मिक स्थलों के बिजली के बिल सरकार से माफ कराएं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान धार्मिक स्थलों की स्थिति भी ठीक नहीं है. 3 महीने धार्मिक स्थल बंद रहे हैं, ऐसे में वह बिजली के बिलों को जमा कराने की स्थिति में नहीं हैं.
सरकार को भेजेंगे बैठक में आए सुझाव
बैठक के बाद जिला कलेक्टर और विधायकों ने सुझाव पर चर्चा भी की. जिला कलेक्टर डॉ जोगाराम ने कहा कि सुझाव के आधार पर प्रस्ताव बनाकर 25 जून तक सरकार को भेजा जाएगा और अंतिम निर्णय सरकार ही करेगी.
बड़े धार्मिक आयोजनों को लेकर भी हुई चर्चा
जिला कलेक्ट्रेट में हुई बैठक में आने वाले महीनों में सावन मास, कावड़ यात्रा, गुरु पूर्णिमा, गणेश चतुर्थी आदि बड़े उत्सवों को लेकर भी चर्चा हुई. धर्मगुरुओं ने कहा कि यह बड़े आयोजन इस कोरोना काल में किस तरह से आयोजित किए जा सकते हैं. धर्मगुरुओं ने कहा कि इस संबंध में पुलिस और प्रशासन तैयारी करें. धार्मिक स्थल अपने स्तर पर इनके इंतजाम नहीं कर सकते हैं. राजधानी में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 3 हजार मंदिर हैं.
सोशल डिस्टेंसिंग भूले धर्मगुरु और जनप्रतिनिधि
जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में स्थित सभागार मैं धर्मगुरु, जनप्रतिनिधि और प्रशासन के अधिकारी सोशल डिस्टेंसिंग भूल गए. सभी लोग एक दूसरे के पास में बैठे हुए थे. हाथोज धाम से आए बालमुकुंद चार्य ने बैठक में जब सोशल डिस्टेंसिंग का मुद्दा आया तो इस पर सवाल भी उठाए. उन्होंने कहा कि सभागार में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं की जा रही है. इस पर प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे रहे. उन्होंने कहा कि मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर प्रशासन खुद इंतजाम करेगा.
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में सभी धर्मों के धर्मगुरुओं के अलावा सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी, विधायक कालीचरण सराफ, गोपाल मीणा, रफीक खान, अमीन कागजी, इंद्राज गुर्जर, गंगा देवी और रामलाल शर्मा भी उपस्थित थे. इस दौरान सभी ने अपने सुझाव भी बैठक में दिए.