जयपुर. अब से जिन पट्टों या लीज डीड का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया जाएगा, उनका विधिक स्वामित्व नहीं माना जाएगा. नगरीय विकास विभाग की ओर से जारी किए गए आदेशों में प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरण और नगरीय निकायों में एक साल से लेकर कितने भी साल के लिए जारी लीज-डीड या पट्टे का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है. इसका रजिस्ट्रेशन पंजीयक कार्यालय में करवाना होगा.
दरअसल, प्रदेशवासियों द्वारा पट्टा धारकों को कर्ज लेने में बैंकों द्वारा पट्टे या आदेश को स्वामित्व का असली दस्तावेज नहीं माने जाने की शिकायतें मिल रही थी. अपंजीकृत लीज-डीड या पट्टों को केवल कब्जे के सबूत के रूप में साक्ष्य के तौर पर माना जाता है. ऐसे में रजिस्ट्रेशन का नया नियम जोड़ा गया है.
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इस संबंध में डीएलबी निदेशक उज्ज्वल सिंह राठौड़ (DLB Director Ujjwal Singh Rathore) ने कहा कि यूडीएच प्रमुख शासन सचिव (UDH Chief Secretary) द्वारा पुराने पट्टे, जिनका समय पर रजिस्ट्रेशन नहीं होता है. उन पट्टों को दोबारा जमाकर नए पट्टे जारी करने के आदेश निकाले गए हैं. वहीं आदेश के अनुसार जो पुराने भूमि रूपांतरण के पट्टे हैं, उन्हें भी वही महत्व दिया जाएगा, जो स्थानीय निकाय या यूआईटी द्वारा जारी पट्टों को दिया जाता है. ये निर्देश सभी स्थानीय निकायों पर लागू होंगे.
ये आदेश स्वयं के स्वामित्व वाली भूमि, सरकारी आवंटित भूमि, स्वयं की खरीदी भूमि, अनिवार्य अवाप्ति या अर्जित भूमि, कृषि से अकृषि प्रयोग के तहत धारा 90ए के तहत समर्पण या सैट अपार्ट प्राप्त भूमि पर लागू होंगे.