जयपुर. पिछले कई दिनों से शहीद स्मारक पर रीट परीक्षा को लेकर बेरोजगारों के साथ धरना दे रहे भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने रविवार को पिंक सिटी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता की और रीट को लेकर कई अहम खुलासे किए. उन्होंने कहा कि यदि मुख्य आरोपी बत्तीलाल को पकड़ लिया जाता है तो कांग्रेस के बड़े पदाधिकारी का नाम सामने आएगा और निशाना सीधा लक्ष्मणगढ़ जाकर लगेगा. इस पदाधिकारी का डोटासरा से नजदीकी संबंध है.
किरोड़ी लाल ने कहा कि परीक्षा कराने वाली एजेंसी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की गोपनीय शाखा के अलावा आंसर शीट बाहर नहीं आ सकती. परीक्षा के डेढ़ घंटे पहले ही व्हाट्सएप (WhatsApp) पर परीक्षा का पेपर लीक हो गया था. प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि बोर्ड की गोपनीय शाखा ने पेपर के साथ-साथ आंसर शीट भी केंद्रों पर भिजवाई. बिना बोर्ड की गोपनीय शाखा के मिलीभगत के आंसर शीट कैसे गंगापुर पहुंच गई.
उन्होंने कहा कि हिंडौन सिटी के इस सेंटर पर ओएमआर शीट खुली मिली जिसकी शिकायत केंद्र अधीक्षक को की गई और केंद्र अधीक्षक ने उसकी रिसिप्ट भी दी है. जमवारामगढ़ में पेपर से भरा कंटेनर पलटने का मामला भी मीणा ने उठाया. उन्होंने कहा कि कंटेनर कब पलटा, कब ड्राइवर की मौत हुई, इन सब मामलों की जानकारी जनता को नहीं दी गई और वहां मौके पर रींगस की पुलिस कैसे पहुंची. कंटेनर के साथ कोई एस्कॉर्ट नहीं थी, कोई पुलिस नहीं थी. यह साफ इशारा करता है कि रीट का पेपर लिक करवाने के लिए ही यह सब षड्यंत्र किया गया था.
गंगापुर में एसओजी ने पेपर लीक मामले में बत्तीलाल की लिप्तता मानी है और इतने खुलासे होने के बाद भी बत्तीलाल का कोई अता-पता नहीं है. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में डीएस साइंस की भूमिका भी संदिग्ध है, लेकिन एसओजी ने अभी तक उसकी जांच नहीं की. मीणा ने कहा कि अजमेर से लीक पेपर गंगापुर जाता है. इसी तरह लीक पेपर अजमेर से जयपुर और जयपुर से लक्ष्मणगढ़ जाता है और लक्ष्मणगढ़ डोटासरा का विधानसभा क्षेत्र है.
मीणा ने कहा कि जब तक एसओजी बत्तीलाल को गिरफ्तार नहीं करेगी तब तक कांग्रेस के एक पदाधिकारी का नाम सामने नहीं आएगा और उस पदाधिकारी का नजदीकी संबंध डोटासरा से है. पेपर लीक का सीधा निशाना लक्ष्मणगढ़ ही लगेगा. मीणा ने कहा कि डीएस साइंस के संचालक उमेश शर्मा का सीधा संबंध बोर्ड की गोपनीय शाखा के प्रमुख जीके माथुर से है और आंसर शीट भी वहीं से आई है. डीएस साइंस के पास मान्यता नहीं है, इसके बावजूद भी इसे परीक्षा केन्द्र बना दिया गया.
मीणा ने कहा कि डीएस साइंस के सचिव उमेश शर्मा ने फर्जीवाड़ा किया, बल्कि बोर्ड के अधिकारियों के साथ मिलकर बोर्ड में मेरिट लाने वाले संस्थाओं को भी प्रभावित किया. एसीबी जांच में कई कर्मचारी दोषी पाए गए थे, जिसमें जीके माथुर भी शामिल थे. जीके माथुर के ही कहने पर उमेश शर्मा के पास बोर्ड के बच्चों के एग्जामीनर की जानकारी पहुंची और वह अपने संस्थान के बच्चों को मेरिट में ले आया. मीणा ने कहा कि जीके माथुर और उमेश शर्मा के बीच बातचीत भी की गई है, जिसकी पूरी जानकारी उनके पास मौजूद है. उन्होंने कहा कि जीके माथुर बोर्ड की गोपनीय शाखा में था और रिटायर हो चुका था, लेकिन डोटासरा ने फिर से इन्हें गोपनीय शाखा में लगा दिया था. माथुर के कारण ही एक दर्जन से अधिक सेंटर पर पेपर और आंसर शीट गई है, जिसके कारण पेपर लीक हुआ.
मीणा ने कहा कि यदि एसओजी जीके माथुर और उमेश शर्मा की कॉल डिटेल खंगालेगी तो कई बड़े-बड़े नेताओं, बड़े अफसरों और बड़े संचालकों पर हाथ डालना पड़ेगा. इसलिए इस मामले को दबाया जा रहा है. उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि एसओजी बत्तीलाल से आगे बढ़े, ताकि यह जांच लक्ष्मणगढ़ तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि एसओजी ने अभी तक डीएस संचालक को गिरफ्तार क्यों नहीं किया और संचालक ने जीके माथुर से बार-बार बात क्यों की.
मीणा ने कहा कि बाड़मेर का एक हिस्ट्रीशीटर भी पेपर लीक करने के मामले में लिप्त है, उसका नाम भंवरलाल है. वह बाड़मेर का रहने वाला है, उस पर 34 मुकदमे दर्ज हैं. उन्होंने कहा कि यदि जीके माथुर से पूछताछ की गई तो यह बात सामने आ जाएगी कि बड़े पैमाने पर पेपर लीक हुआ है.