जयपुर. कोरोना वायरस अपने साथ बहुत सारी चुनौतियां लेकर आया है. उनमें से एक चुनौती कोरोना के कारण निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट भी है. इन दिनों हर घर से मास्क, ग्लव्स का वेस्ट निकल रहा है. जयपुर नगर निगम का दावा है कि डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर में लाल डिब्बा लगाया गया है. उसी में बायोमेडिकल वेस्ट डाले जाने की एडवाइजरी जारी की गई है, लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में हकीकत दावे से जुदा नजर आई.
कोरोना संक्रमण काल में जयपुर नगर निगम की स्वास्थ्य शाखा ने बायोमेडिकल वेस्ट सेग्रीगेशन अभियान शुरू करने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया. सफाई कर्मियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर इस अभियान के तहत कचरे के साथ फेंके जाने वाले मास्क, ग्लव्स और दूसरा Bio Medical Waste को अलग रखने के लिए हूपर में व्यवस्था की जानी थी, लेकिन हूपर में वो लाल डिब्बा आज भी नजर नहीं आता, जिसका जिक्र निगम प्रशासन बार-बार करता रहा है.
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ईटीवी भारत ने शहर के विभिन्न वार्डों में चल रहे डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपरों की जब पड़ताल की, तो हकीकत भी सामने आ गई. शहर के कुछ जागरूक नागरिकों ने हैंड ग्लव्स और मास्क को घरों में तो सेग्रीगेट किया लेकिन हूपर में व्यवस्था नहीं होने के चलते उसे सामान्य कचरे के साथ ही डालना पड़ा. इस संबंध में हूपर के साथ तैनात सफाई कर्मचारी से पूछा गया. इस सवाल पर उसने भी टका सा जवाब दिया कि फिलहाल, कंपनी ने Bio Medical Waste के लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं की है.
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हालांकि, बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर निगम द्वारा एडवाइजरी भी जारी की गई है. वहीं, क्वॉरेंटाइन सेंटर से जो बायो वेस्ट निकल रहा है, उसे इंस्ट्रोमेडिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका देकर संग्रहण किया जा रहा है. कंपनी उसे डिस्पोज कर रही है, लेकिन कचरा संग्रहण करने वाले बीवीजी कंपनी के हूपरों से अभी भी लाल रंग का डिब्बा नदारद है. वेस्ट एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर दिन हर राज्य से औसतन 1 से 1.5 टन कोविड वेस्ट निकलता है, लेकिन ये बायो वेस्ट सामान्य वेस्ट में ही मिक्स हो रहा है.