ETV Bharat / city

Reality Check : राजस्थान ODF प्रदेश घोषित...लेकिन जयपुर में ही खुले में शौच करते दिखे लोग

19 नवंबर यानी गुरुवार को वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जा रहा है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने शौच की स्थिति का जायजा लिया तो राजस्थान की राजधानी जयपुर में ही शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आईं. राजधानी के कुछ क्षेत्रों में लोग अभी भी खुले में शौच करते दिखाई दिए. गौरतलब है कि राजस्थान में जयपुर के साथ ही उदयपुर, अजमेर, डूंगरपुर, जोधपुर को ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग हासिल है. पढ़ें पूरी खबर...

Jaipur News, world toilet day, Reality check, खुले में शौच, ओडीएफ रैंकिंग
वर्ल्ड टॉयलेट डे पर जयपुर में रियरिटी चेक
author img

By

Published : Nov 19, 2020, 2:50 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 6:28 PM IST

जयपुर. पूरा विश्व गुरुवार को वर्ल्ड टॉयलेट डे मना रहा है. राजस्थान की राजधानी जयपुर की बात करें तो इसके स्मार्ट होने और इसके 293 साल पुराने इतिहास को लेकर वाहवाही तो जरूर होती है, लेकिन इसी जयपुर में अभी भी लोग ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग की धज्जियां उड़ाते भी दिख जाते हैं. राजधानी जयपुर के ही कुछ क्षेत्रों में लोग अभी भी खुले में शौच करते देखे जा सकते हैं.

वर्ल्ड टॉयलेट डे पर जयपुर में रियरिटी चेक

गौरतलब है कि जयपुर के साथ ही उदयपुर, अजमेर, डूंगरपुर, जोधपुर को ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग हासिल है. सभी 193 नगरीय निकाय ओडीएफ घोषित किए गए हैं. वहीं, 25 नगरीय निकायों ने ओडीएफ प्लस रैंक हासिल की है. प्रदेश की 295 पंचायत समितियों, 9894 ग्राम पंचायतों और 43, 344 गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया है. इन सरकारी आंकड़ों और प्रशासनिक दावों को सुनकर किसी भी राजस्थानी के चेहरे पर मुस्कान आ सकती है और गर्व से सीना फूल सकता है, लेकिन हकीकत से अलग नजर आती है.

पढ़ें: Special: जयपुर में साइबर ठगी का बढ़ रहा जाल...हर रोज औसत 12 मामले, स्पेशल साइबर विंग का गठन

राजस्थान भले ही खुद को ओडीएफ घोषित कर अपनी कॉलर ऊंची रखता हो, लेकिन जय सिंह के बसाए इसी जयपुर में ही ईटीवी भारत ने जब शहर के खुले में शौच का जायजा लिया तो सामने आया कि शहर के कुछ इलाकों में लोग आज भी खुले में शौच के लिए जाते हैं. हवामहल जोन के तहत आमेर क्षेत्र के सागर के नजदीक, नाहरगढ़ की पहाड़ियां, गैटोर की छतरियों के पास, विद्याधर नगर जोन में द्रव्यवती नदी के निकट लोग खुले में शौच जाते हैं. वहीं, विधानसभा से 400 और नगर निगम से 900 मीटर की दूरी पर स्थित कठपुतली नगर में लोग खुले में शौच करने जाते हुए दिखाई दिए. हालांकि, नगर निगम ने बीते साल इन्हीं क्षेत्रों में अभियान भी चलाया था और लोगों को जागरूक करने के साथ ही चालान भी काटे थे. इसके बावजूद अभी तक हालात जस के तस बने हुए हैं.

जयपुर में रियरिटी चेक

वहीं, अब राज्य सरकार ने हर गांव शहर में पर्याप्त शौचालय बनाने का दावा किया है. खुले में शौच पर जुर्माने का भी प्रावधान है, लेकिन जब धरातल पर इसकी हकीकत देखते हैं, तो एकाएक मायूसी और शर्म से आंखें भी झुक जाती हैं. शौच करने वाले लोगों से जब ईटीवी भारत ने कारण जानना चाहा तो किसी ने शर्म से गर्दन झुका ली तो किसी ने घर में शौचालय नहीं होने की बात कही. वहीं, सुबह मॉर्निंग वॉक करने वाले शहरवासियों की मानें तो अब प्रशासन को सख्त होने की भी दरकार है.

पढ़ें: Special : चुनाव और दिवाली के बाद अब शादी सीजन बढ़ाएगा संक्रमण...दिसंबर रहेगा स्वास्थ्य पर भारी

बता दें कि ओडीएफ प्लस प्लस के लिए मापदंड है कि शहर में कोई भी खुले में शौच नहीं जाता हो. शहर के कुल सार्वजनिक शौचालयों में से 25 फीसदी में महिलाओं के लिए वेंडिंग मशीन, छोटे बच्चों के लिए वाशबेसिन, दिव्यांगों और थर्ड जेंडर के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए. नगर निगम का दावा है कि करीब 50 फीसदी शौचालयों में ये सुविधाएं हैं, इसलिए जयपुर को ओडीएफ प्लस प्लस रैंक से नवाजा गया था.

साथ ही बता दें कि ओडीएफ रैंकिंग को हर 6 महीने में अपडेट कराना होता है, जिसके लिए केंद्र की टीम आकर सर्वे भी करती है. लेकिन, ईटीवी भारत के कैमरे में जो तस्वीरें कैद हुई हैं. उसे बावजूद अगर यही हालात रहे तो इस बार ना तो गर्व से छाती चौड़ी होगी और ना ही ओडीएफ प्लस प्लस का तमगा बरकरार रखकर कॉलर ऊंची करने का मौका मिलेगा.

पहले थी तारत की व्यवस्था...

जयपुर के 293 साल पुराने इतिहास पर नजर डाले तो यहां नगरीय व्यवस्था के तहत तारत की व्यवस्था थी, जिसे घरेलू शौचालय कहते हैं. ये तारत सभी हवेलियों और घरों के एक हिस्से में हुआ करते थे. उस दौर में भी लोगों को खुले में शौच नहीं जाना पड़ता था.

जयपुर. पूरा विश्व गुरुवार को वर्ल्ड टॉयलेट डे मना रहा है. राजस्थान की राजधानी जयपुर की बात करें तो इसके स्मार्ट होने और इसके 293 साल पुराने इतिहास को लेकर वाहवाही तो जरूर होती है, लेकिन इसी जयपुर में अभी भी लोग ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग की धज्जियां उड़ाते भी दिख जाते हैं. राजधानी जयपुर के ही कुछ क्षेत्रों में लोग अभी भी खुले में शौच करते देखे जा सकते हैं.

वर्ल्ड टॉयलेट डे पर जयपुर में रियरिटी चेक

गौरतलब है कि जयपुर के साथ ही उदयपुर, अजमेर, डूंगरपुर, जोधपुर को ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग हासिल है. सभी 193 नगरीय निकाय ओडीएफ घोषित किए गए हैं. वहीं, 25 नगरीय निकायों ने ओडीएफ प्लस रैंक हासिल की है. प्रदेश की 295 पंचायत समितियों, 9894 ग्राम पंचायतों और 43, 344 गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया है. इन सरकारी आंकड़ों और प्रशासनिक दावों को सुनकर किसी भी राजस्थानी के चेहरे पर मुस्कान आ सकती है और गर्व से सीना फूल सकता है, लेकिन हकीकत से अलग नजर आती है.

पढ़ें: Special: जयपुर में साइबर ठगी का बढ़ रहा जाल...हर रोज औसत 12 मामले, स्पेशल साइबर विंग का गठन

राजस्थान भले ही खुद को ओडीएफ घोषित कर अपनी कॉलर ऊंची रखता हो, लेकिन जय सिंह के बसाए इसी जयपुर में ही ईटीवी भारत ने जब शहर के खुले में शौच का जायजा लिया तो सामने आया कि शहर के कुछ इलाकों में लोग आज भी खुले में शौच के लिए जाते हैं. हवामहल जोन के तहत आमेर क्षेत्र के सागर के नजदीक, नाहरगढ़ की पहाड़ियां, गैटोर की छतरियों के पास, विद्याधर नगर जोन में द्रव्यवती नदी के निकट लोग खुले में शौच जाते हैं. वहीं, विधानसभा से 400 और नगर निगम से 900 मीटर की दूरी पर स्थित कठपुतली नगर में लोग खुले में शौच करने जाते हुए दिखाई दिए. हालांकि, नगर निगम ने बीते साल इन्हीं क्षेत्रों में अभियान भी चलाया था और लोगों को जागरूक करने के साथ ही चालान भी काटे थे. इसके बावजूद अभी तक हालात जस के तस बने हुए हैं.

जयपुर में रियरिटी चेक

वहीं, अब राज्य सरकार ने हर गांव शहर में पर्याप्त शौचालय बनाने का दावा किया है. खुले में शौच पर जुर्माने का भी प्रावधान है, लेकिन जब धरातल पर इसकी हकीकत देखते हैं, तो एकाएक मायूसी और शर्म से आंखें भी झुक जाती हैं. शौच करने वाले लोगों से जब ईटीवी भारत ने कारण जानना चाहा तो किसी ने शर्म से गर्दन झुका ली तो किसी ने घर में शौचालय नहीं होने की बात कही. वहीं, सुबह मॉर्निंग वॉक करने वाले शहरवासियों की मानें तो अब प्रशासन को सख्त होने की भी दरकार है.

पढ़ें: Special : चुनाव और दिवाली के बाद अब शादी सीजन बढ़ाएगा संक्रमण...दिसंबर रहेगा स्वास्थ्य पर भारी

बता दें कि ओडीएफ प्लस प्लस के लिए मापदंड है कि शहर में कोई भी खुले में शौच नहीं जाता हो. शहर के कुल सार्वजनिक शौचालयों में से 25 फीसदी में महिलाओं के लिए वेंडिंग मशीन, छोटे बच्चों के लिए वाशबेसिन, दिव्यांगों और थर्ड जेंडर के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए. नगर निगम का दावा है कि करीब 50 फीसदी शौचालयों में ये सुविधाएं हैं, इसलिए जयपुर को ओडीएफ प्लस प्लस रैंक से नवाजा गया था.

साथ ही बता दें कि ओडीएफ रैंकिंग को हर 6 महीने में अपडेट कराना होता है, जिसके लिए केंद्र की टीम आकर सर्वे भी करती है. लेकिन, ईटीवी भारत के कैमरे में जो तस्वीरें कैद हुई हैं. उसे बावजूद अगर यही हालात रहे तो इस बार ना तो गर्व से छाती चौड़ी होगी और ना ही ओडीएफ प्लस प्लस का तमगा बरकरार रखकर कॉलर ऊंची करने का मौका मिलेगा.

पहले थी तारत की व्यवस्था...

जयपुर के 293 साल पुराने इतिहास पर नजर डाले तो यहां नगरीय व्यवस्था के तहत तारत की व्यवस्था थी, जिसे घरेलू शौचालय कहते हैं. ये तारत सभी हवेलियों और घरों के एक हिस्से में हुआ करते थे. उस दौर में भी लोगों को खुले में शौच नहीं जाना पड़ता था.

Last Updated : Nov 19, 2020, 6:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.