जयपुर. कोविड- 19 महामारी का सबसे बड़ा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ा है. इस सेक्टर में डेवलपर्स के करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं. हालांकि, बिल्डर्स को 24 जनवरी को आने वाले राज्य के बजट से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को बूस्ट मिलने की उम्मीद है. रियल एस्टेट डेवलपर्स बजट में टैक्स में राहत, अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में स्टांप ड्यूटी कम करने और ब्याज में राहत मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
बिल्डर रविन्द्र सिंह ने बताया कि पीएम मोदी का ये सपना रहा है कि हर परिवार के पास अपना आवास हो. सरकार इस क्षेत्र में काम भी कर रही है. एलआईजी और ईडब्ल्यूएस के काफी आवास बनाए जा रहे हैं, जिससे मिडिल क्लास और लोअर मिडल क्लास को अपना आवास उपलब्ध हो सके. लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट के लिए सरकार को इनकम टैक्स में छूट, जीएसटी की और छूट देनी चाहिए, जिससे कि गरीब तबके का आदमी भी अपना घर खरीद कर उसमें निवास कर सके. उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने व्यापार को क्षतिग्रस्त कर दिया है. आज सरकार की तरफ उम्मीद और असहाय नजरों से देख रहे हैं. सरकार ने कोरोना काल में न तो स्टांप ड्यूटी में कमी की, बल्कि बढ़ा और दी. सरकार आरक्षित दरों में कमी करें और रियल स्टेट को कोई राहत पैकेज देकर उबारने की कोशिश करनी होगी. इस दौरान उन्होंने रेरा कानून को ग्राहकों और बिल्डर्स दोनों के लिए सुरक्षा कवच बताते हुए कहा कि समय के साथ-साथ रेरा कानूनों में भी सकारात्मक बदलाव होते रहने चाहिए.
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वहीं अफॉर्डेबल हाउसिंग से जुड़े मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार के अफॉर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी 2009 में 50 रुपए ईडब्ल्यूएस और 100 रुपए एलआईजी आवासों के लिए तय की गई थी. लेकिन बाद में राज्य सरकार ने स्टांप ड्यूटी बढ़ाते हुए ईडब्ल्यूएस आवासों पर 2.3 प्रतिशत और एलआईजी आवासों पर 3.6 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी कर दी गई. हालांकि, गवर्नमेंट प्रोजेक्ट में आज भी पुरानी स्टांप ड्यूटी ही लग रही है. ऐसे में प्राइवेट डेवलपर्स अफॉर्डेबल हाउसिंग का ग्राहक अपने आप को ठगा सा महसूस करता है. यदि राज्य सरकार स्टांप ड्यूटी में राहत देगी तो इससे एक बूम आएगा, प्रोजेक्ट की गति बढ़ेगी और ग्राहक को भी फायदा मिलेगा.
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अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट की स्थिति खराब होने का एक कारण यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को भी बताया जाता है. बिल्डर जाकिर भाटी की माने तो प्राइवेट सेक्टर में सीएम जन आवास योजना के तहत बनने वाले प्रोजेक्ट्स में सेक्टर रोड, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहता है. इसे लेकर प्लानिंग जरूर होती है. लेकिन अब राज्य सरकार को इन्हें लागू करने के लिए एक स्पेशल बजट जाना चाहिए. साथ ही पानी की सुविधा, बिजली की लाइन और लाइटिंग के लिए न्यूनतम दर निर्धारित की जानी चाहिए. फिलहाल, प्राइवेट बिल्डर अपने स्तर पर ये सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है. लेकिन अब इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सरकार से भी उम्मीद है.
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बहरहाल, बिल्डर्स के सामने दोहरी चुनौती है, एक तरफ तो कंस्ट्रक्शन के लिए पैसा चाहिए. दूसरी तरफ जिन लोगों ने लोन जमा नहीं कराया है, उनका भी भुगतान करना पड़ रहा है. कंस्ट्रक्शन फेज पूरी तरह टूट गया है. लेबर पलायन कर गई थी, वो वापस नहीं आई और जो आई है, वो काफी महंगी कॉस्ट पर है. ऐसे में राज्य सरकार से ही उम्मीद है कि वो तारणहार बनकर रियल एस्टेट और अफोर्डेबल हाउसिंग को दोबारा खड़ा करेगी.