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स्पेशल: रमजान पर पड़ा लॉकडाउन का असर, कुछ यूं अलग होगा 'माह-ए-पाक'

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Published : May 3, 2020, 4:04 PM IST

रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय मस्जिदों में नमाज और कुरान साथ पढ़ते हैं. लेकिन कोरोना के इस महामारी काल ने रमजान के रंग थोड़े फीके कर दिए हैं. एक ओर जहां बाजार में सहरी और इफ्तार के सीमित सामान हैं, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते कई लोग अपनों से दूर रह गए हैं.

रमज़ान पर लॉकडाउन का असर, ramzan in lockdown
लॉकडाउन में रमज़ान

जयपुर. रमजान, मुसलमानों के लिए साल का सबसे पाक महीना. इबादत करने और परिवार के साथ सहरी करने का मौका. हर साल मुस्लिम समुदाय बेसबरी से माह-ए- रमजान का इंतजार करते हैं, लेकिन इस बार रमजान का महीना भारतीय मुसलमानों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

30 दिनों तक मुसलमान मस्जिदों में नमाज और कुरान साथ पढ़ते हैं. लेकिन कोरोना के इस महामारी काल ने रमजान के रंग थोड़े फीके कर दिए हैं. एक ओर जहां बाजार में सहरी और इफ्तार के सीमित सामान हैं, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते कई मुस्लिम अपनों से दूर रह गए हैं.

रमज़ान पर लॉकडाउन का असर, देखें रिपोर्ट

रमजान और ईद का इंतजार बेसब्री से रहता है. घर में पकवान और विशेषकर सेवइयां बनाकर खाई जाती हैं. इस मौके पर हिंदू और मुस्लिम हर जाति, धर्म से ऊपर उठकर मीठी सेवइयां का लुत्फ उठाते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन होने के चलते ना मस्जिदों में जा सकते हैं, ना घरों में. इस बार के रमजाम के लिए नियम भी बताए गए हैं.

ये भी पढ़ें- मजदूरों की 'घर' वापसी के लिए सरकार ने चलाई स्पेशल ट्रेन, देखें रिपोर्ट

सभी के साथ मनाने वाले इस पर्व पर दिल्ली में मुसलमानों की संस्था इंडियन मुस्लिम्स फॉर इंडिया फर्स्ट ने मौलवियों-इमामों की निगरानी में ये गाइडलाइंस तैयार की गई हैं, जिनमें से कुछ खास बातें ये हैं.

  • पांच वक्त पढ़ने वाली नमाज अब घरों में पढ़ने के लिए कहा गया है. मस्जिदों में जाने के लिए मना किया गया है. साथ ही तरावीह की नमाज (रोजे खोलने के बाद पढ़ी जाने वाली) को भी घरों में ही पढ़ने की हिदायत दी गई है.
  • रमजान और ईद के मौके पर मस्जिदों के लाउडस्पीकर से अजान ना देने की बात गाइडलाइन में बताई गई है.
  • रमजान के पाक महीने और ईद के मौके के लिए बाजारों में खरीदारी करने के लिए निकलने के लिए मनाही की गई है. सीमित चीजों से घर में रहकर पर्व मनाने की अपील की गई है.
  • हर साल ईद पर इफ्तार पार्टी का क्रेज चरम पर रहता है. जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर रोजा खोलते हैं. कोरोना फैलते महामारी के इस काल में इफ्तार पार्टी का आयोजित करने की सख्त मनाही की गई है. देश में रमजान और ईद के मौके पर सामाजिक दूरी बनाने के लिए कहा गया है. इस बार इफ्तार पार्टी की अनुमति नहीं दी गई है.
  • WHO ने भी रमजान में एहतियात बरतने के लिए ईद पर एक दूसरे से गले मिलने से मना किया है. इसके बजाए खुद के सीने पर हाथ रखकर या सिर झुकाकर अभिवादन करने के सिए कहा है.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: रेगिस्तान के जहाज की जान पर आई आफत, देखें रिपोर्ट

हाल में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात की धार्मिक सभा के दौरान हजारों लोग जुटे थे और इनमें से कई लोगों में कोरोना के मामले पाए गए थे. इसके बाद मीडिया और सोशल मीडिया में भारत में फैल रहे कोरोना वायरस के मामलों का जिम्मेदार मुस्लिम समुदाय को ठहराया जाने लगा. जगह-जगह मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव की शिकायतें आईं. हालांकि पीएम मोदी के आए बयान के बाद सारी अटकलों पर विराम लग गया.

ईटीवी भारत भी सभी से अपील करता है कि इस महीने में घरों में सुरक्षित रहकर अपनों के साथ रमजान के नियमों का पालन करें. साथ ही दुआ कीजिए कि कोरोना महामारी पूरे विश्व से खत्म हो जाए और सभी स्वस्थ वातावरण में निश्चित होकर पर्व मना सकें.

जयपुर. रमजान, मुसलमानों के लिए साल का सबसे पाक महीना. इबादत करने और परिवार के साथ सहरी करने का मौका. हर साल मुस्लिम समुदाय बेसबरी से माह-ए- रमजान का इंतजार करते हैं, लेकिन इस बार रमजान का महीना भारतीय मुसलमानों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

30 दिनों तक मुसलमान मस्जिदों में नमाज और कुरान साथ पढ़ते हैं. लेकिन कोरोना के इस महामारी काल ने रमजान के रंग थोड़े फीके कर दिए हैं. एक ओर जहां बाजार में सहरी और इफ्तार के सीमित सामान हैं, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते कई मुस्लिम अपनों से दूर रह गए हैं.

रमज़ान पर लॉकडाउन का असर, देखें रिपोर्ट

रमजान और ईद का इंतजार बेसब्री से रहता है. घर में पकवान और विशेषकर सेवइयां बनाकर खाई जाती हैं. इस मौके पर हिंदू और मुस्लिम हर जाति, धर्म से ऊपर उठकर मीठी सेवइयां का लुत्फ उठाते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन होने के चलते ना मस्जिदों में जा सकते हैं, ना घरों में. इस बार के रमजाम के लिए नियम भी बताए गए हैं.

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सभी के साथ मनाने वाले इस पर्व पर दिल्ली में मुसलमानों की संस्था इंडियन मुस्लिम्स फॉर इंडिया फर्स्ट ने मौलवियों-इमामों की निगरानी में ये गाइडलाइंस तैयार की गई हैं, जिनमें से कुछ खास बातें ये हैं.

  • पांच वक्त पढ़ने वाली नमाज अब घरों में पढ़ने के लिए कहा गया है. मस्जिदों में जाने के लिए मना किया गया है. साथ ही तरावीह की नमाज (रोजे खोलने के बाद पढ़ी जाने वाली) को भी घरों में ही पढ़ने की हिदायत दी गई है.
  • रमजान और ईद के मौके पर मस्जिदों के लाउडस्पीकर से अजान ना देने की बात गाइडलाइन में बताई गई है.
  • रमजान के पाक महीने और ईद के मौके के लिए बाजारों में खरीदारी करने के लिए निकलने के लिए मनाही की गई है. सीमित चीजों से घर में रहकर पर्व मनाने की अपील की गई है.
  • हर साल ईद पर इफ्तार पार्टी का क्रेज चरम पर रहता है. जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर रोजा खोलते हैं. कोरोना फैलते महामारी के इस काल में इफ्तार पार्टी का आयोजित करने की सख्त मनाही की गई है. देश में रमजान और ईद के मौके पर सामाजिक दूरी बनाने के लिए कहा गया है. इस बार इफ्तार पार्टी की अनुमति नहीं दी गई है.
  • WHO ने भी रमजान में एहतियात बरतने के लिए ईद पर एक दूसरे से गले मिलने से मना किया है. इसके बजाए खुद के सीने पर हाथ रखकर या सिर झुकाकर अभिवादन करने के सिए कहा है.

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हाल में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात की धार्मिक सभा के दौरान हजारों लोग जुटे थे और इनमें से कई लोगों में कोरोना के मामले पाए गए थे. इसके बाद मीडिया और सोशल मीडिया में भारत में फैल रहे कोरोना वायरस के मामलों का जिम्मेदार मुस्लिम समुदाय को ठहराया जाने लगा. जगह-जगह मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव की शिकायतें आईं. हालांकि पीएम मोदी के आए बयान के बाद सारी अटकलों पर विराम लग गया.

ईटीवी भारत भी सभी से अपील करता है कि इस महीने में घरों में सुरक्षित रहकर अपनों के साथ रमजान के नियमों का पालन करें. साथ ही दुआ कीजिए कि कोरोना महामारी पूरे विश्व से खत्म हो जाए और सभी स्वस्थ वातावरण में निश्चित होकर पर्व मना सकें.

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