जयपुर. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने बुधवार को सोशल मीडिया के माध्यम से राजस्थान में बिगड़ती कानून व्यवस्था और महिला दुष्कर्म के बढ़ते मामलों को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार की लचर कानून व्यवस्था से जनता आक्रोशित है. इसी कानून व्यवस्था के चलते राजस्थान महिलाओं के प्रति दुष्कर्म के मामलों में टाॅप पर पहुंच गया है.
कर्नल राज्यवर्धन ने हाथरस के पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने हाथरस, उत्तर प्रदेश में एक बच्ची से हुई दरिंदगी को लेकर दौरा किया और पूरे घटनाक्रम का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया, जो निन्दनीय है. इस पर कर्नल राज्यवर्धन ने पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की सीबीआई जांच करवाने की सिफारिश की है, ताकि सच निष्पक्षता से सामने आ सके और गुनहगारों पर तुरन्त कार्रवाई हो सके. वहीं राजस्थान में इतने दुष्कर्म के मामले हुए हैं, लेकिन राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या अन्य किसी भी कांग्रेसी नेता ने पीड़ित परिवारों से मिलकर संवेदना प्रकट नहीं की, बल्कि मुख्यमंत्री बारां की घटना को हाथरस की घटना से नहीं जोड़कर देखने वाले बयान देते हैं और ऐसा बोलकर वे अपराधियों को क्लीन चिट दे रहे हैं, जबकि मामले की जांच जारी है.
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राज्यवर्धन सिंह ने कहा कि महिलाओं के मान सम्मान से जुड़ी घटनाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. जहां इन पर राजनीति शुरू हो जाती है, वहीं से अपराधियों की जीत शुरू हो जाती है. यह विषय राजनीति करने का नहीं, बल्कि सख्त कदम उठाकर इस पर नियंत्रण करने का है.
जयपुर ग्रामीण सांसद ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी सीधे तौर पर सरकार की है. राजस्थान के हालात साफ बता रहे हैं कि अपराधियों पर नियंत्रण को लेकर राजस्थान की कांग्रेस सरकार गंभीर नहीं है. ऐसा लगता है कि लाॅ एंड ऑर्डर राजस्थान सरकार की प्राथमिकता ही नहीं है. कांग्रेस के नेता अगर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी का निर्वाह करते तो आज भाजपा को हल्ला बोल अभियान चलाकर उन्हें जगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के समय अपने घोषणा पत्र में महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण को लेकर अनेक बड़े-बड़े वायदे प्रदेश की जनता से किए थे. तय समयावधि में न्याय महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए 24 घंटे काम करने वाली हैल्पलाइन कहां है. इस पर ना ही तो मुख्यमंत्री बोल रहे हैं अैर ना ही कांग्रेस बोल रही है. प्रदेश में सिर्फ एक साल में दुष्कर्म के मामले 38 प्रतिशत तक बढे़ हैं. 2018 की तुलना में 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
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साथ ही कहा कि प्रदेश में पुलिस भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती, पुलिस अधिकारी अत्महत्या कर रहें है. अपराधी इतने बैखोफ हो गए हैं कि वे आसानी से बड़ी वारदातों को अंजाम देते हैं और पुलिस पर हमला करने से भी नहीं घबराते. महिला आयोग, अनुसूचित जाति आयोग आदि ऐसी संस्थाएं हैं, जिनके पास संवैधानिक शक्तियां हैं, लेकिन इनके अध्यक्ष एवं सदस्यों के पद रिक्त हैं.
कर्नल राज्यवर्धन ने कहा कि इस वर्ष कोरोना के कारण लाॅकडाउन के चलते भी प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित नहीं रहीं. राजधानी जयपुर में ही पिछले 8 माह में 250 से अधिक दुष्कर्म एवं छेड़-छाड़, प्रताड़ना और मारपीट के लगभग 2500 मामले दर्ज हुए हैं. राजस्थान में इस वर्ष जून की तुलना में जुलाई माह में दलित समाज की बेटियों से दुष्कर्म की धटनाएं 20 प्रतिशत बढ़ी हैं. 2018 के तुलना में 2019 में दलितों से अपराध 47 प्रतिशत बढे़ हैं.