जयपुर. पूर्व केन्द्रीय मंत्री और सांसद जयपुर ग्रामीण कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने लोकसभा में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) के तहत गत पांच वर्षों में राजस्थान सहित अन्य राज्यों में किये गए कार्यों से संबंधित प्रश्न पूछे. उन्होंने पूछा कि गत पांच वर्षों के दौरान आरयूएसए के अंतर्गत आवंटित धनराशि का राजस्थान राज्य सहित राज्य-वार/जिले-वार ब्यौरा क्या है. गत पांच वर्षों के दौरान आरयूएसए के अंतर्गत स्वीकृत/स्थापित विश्वविद्यालयों की कुल संख्या कितनी है. गत पांच वर्षों के दौरान आरयूएसए के अंतर्गत ग्रामीण जिलों में स्वीकृत/स्थापित विश्वविद्यालयों की संख्या का राजस्थान राज्य सहित राज्य-वार और जिले-वार ब्यौरा क्या है. क्या ग्रामीण जिलों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम उठाये गए हैं, और यदि हां तो उनके निष्पादन का राजस्थान राज्य सहित राज्य-वार और जिले-वार ब्यौरा क्या है.
सांसद कर्नल राज्यवर्धन द्वारा पूछे गए सवालों का शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उत्तर दिया कि पिछले पांच वर्षों (2015-16 से 2019-20) में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) की योजना के अंतर्गत परियोजना अनुमोदक बोर्ड ने विभिन्न घटकों के तहत सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए 6391.15 करोड़ रुपये के केन्द्रीय शेयर के साथ 9749.35 करोड़ रुपये अनुमोदित किए हैं. इसमें राजस्थान राज्य के लिए 360.60 करोड़ रुपये के केन्द्रीय शेयर सहित 601 करोड़ रुपये की राशि शामिल है.
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मौजूदा स्वायत्त काॅलेजों के उन्नयन के माध्यम से विश्वविद्यालयों के सृजन के लिए और काॅलेजों को एक क्लस्टर में रूपांतरित करके विश्वविद्यालयों के सृजन के लिए केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है. रूसा के विभिन्न घटकों जैसे काॅलेजों में अवसंरचना अनुदान, विश्वविद्यालयों को अवसंरचना अनुदान, इक्विटी पहल आदि के अंतर्गत कुल 130 यूनिटों के लिए 611 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता अनुमोदित की गई है.
शिक्षा के समवर्ती सूची में होनें से नए संस्थानों का सृजन और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना केन्द्र और राज्य सरकारों दोनों का ही दायित्व है. केन्द्रीय सहायता की आवश्यकता को समझते हुए केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करने वाली विभिन्न योजनाओं को लागू किया है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) की केन्द्र प्रायोजित योजना का उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ गुणवत्तायुक्त उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना करके और मौजूदा संस्थानों का उन्नयन करके विशेष रूप से असेवित अथवा अल्प-सेवित क्षेत्रों में उच्चतर शिक्षा तक पहुंच संबंधी क्षेत्रीय असंतुलनों को ठीक करना है.