जयपुर/चंडीगढ़. राजस्थान में चार राज्यसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस के तीन और भाजपा की ओर से एक प्रत्याशी के मैदान में उतरने के साथ ही निर्दलीय तौर पर उद्योगपति डॉ सुभाष चंद्रा नामांकन दाखिल किया है. डॉ चंद्रा के नामांकन दाखिल करने के साथ (Subhash Chandra in Rajyasabha election) ही मुकाबल रोचक हो गया है. राजस्थान से भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतर चुके सुभाष चंद्रा ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा है कि वे चुनाव जीतेंगे. हालांकि आंकड़ों के फेर इस बात को सीधे तौर पर पुख्ता नहीं करते हैं. क्योंकि भाजपा के 30 वोट के बाद भी उन्हें जीत के लिए प्रथम वरियता के 11 वोट चाहिए. इन 11 वोटों को लेकर चल रही जोड़-तोड़ के बीच हरियाणा के स्याही कांड की चर्चा भी तेज हो गई है. हरियाणा के स्याही कांड (Ink scandal in Haryana Rajya Sabha elections) की बदौलत ही सुभाष चंद्रा 2016 में निर्दलीय होने के बाद भी राज्यसभा में जीतकर पहुंच गए थे.
सुभाष चंद्रा के राजस्थान में ताल ठोकने के बाद वोटों की जोड़-तोड़ के बीच एक बार फिर हरियाणा में 2016 के राज्यसभा चुनाव में घटित घटना ताजा हो गई है. साथ ही राजस्थान के चुनाव से जोड़ते हुए कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं. हालांकि नामांकन दाखिल करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ चंद्रा ने इस चुनाव में उन्हें करीब 45 वोट मिलने का दावा किया है.
कांग्रेस के हॉर्स ट्रेडिंग के सवालों को नकारा,कही ये बातः डॉ सुभाष चंद्रा ने कांग्रेस नेताओं की ओर से लगाए जा रहे हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों को भी सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस या अन्य नेता क्या कह रहे हैं मुझे नहीं पता. लेकिन यहां के विधायक मुझे पसंद करते हैं. उन्होंने कहा कि विधायकों ने मेरा पिछले राज्यसभा में काम को भी देखा है. डॉ चंद्रा ने कहा कि मेरा जिस राज्य से प्रतिनिधित्व चल रहा है वहां भी मैंने काफी काम किया है. ऐसे में यहां के विधायक मुझे चुनेंगे और मत भी देंगे.
उलटफेर का विषय नहीं, करीब 45 विधायक देंगे मुझे वोटः जब डॉ सुभाष चंद्रा से साल 2016 में हरियाणा राज्यसभा चुनाव में उनके उतरने के दौरान हुए उलटफेर को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ना तो वहां कोई उलटफेर हुआ था और ना यहां कोई उलटफेर का विषय है. डॉ चंद्रा ने कहा कि यहां के विधायक मुझे पसंद करते हैं और वो मुझे ही चुनकर मत देंगे. डॉ चन्द्रा ने कहा मुझे आशा है कि भाजपा के 30 वोटों के साथ ही अतिरिक्त 14 से 15 वोट और मुझे मिलेंगे.
राजस्थान है जन्मभूमि, की ये अपीलः डॉक्टर सुभाष चंद्रा भले ही पिछली बार हरियाणा से राज्यसभा सांसद रहे हों, लेकिन उनकी जन्मभूमि राजस्थान ही है. डॉक्टर चंद्रा बताते हैं कि राजस्थान के फतेहपुर शेखावटी में आज भी उनका पैतृक मकान और मंदिर है. जिसमें वो आया जाया करते हैं. डॉक्टर चंद्रा ने राजस्थान के विधायकों से राजस्थानी भाषा में ही समर्थन देने की अपील की और कहा कि मैं राजस्थान के लिए नया नहीं हूं, राजस्थान से ही हूं. उन्होंने सभी दलों के विधायकों से करबद्ध प्रार्थना करते हुए समर्थन की अपील की. साथ ही यह भी आश्वासन दिलाया कि राज्यसभा सदस्य के रूप में वे राजस्थान सरकार और यहां के लोगों के हित की जो भी बात होगी उसे पुरजोर तरीके से रखूंगा और अपना काम पूरा करूंगा.
यह हुआ था हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरानः साल 2016 में हरियाणा में राज्यसभा चुनाव (Haryana Rajya Sabha Election 2016) के दौरान कुछ ऐसा हुआ जो सुर्खियां बन गया था. उस वक्त मीडिया जगत के दिग्गज सुभाष चंद्रा की चुनाव में हुई जीत विवादों में आ गई थी. विवादों में आने की वजह रही कि चुनाव में कांग्रेस के 14 वोट रद्द हो गये थे. उस वक्त इस सब के पीछे राजनीतिक दलों ने एक बड़ी साजिश का भी आरोप लगाया था. सुभाष चंद्रा को राज्यसभा पहुंचाने में इन्ही 14 रद्द वोटों ने बड़ी भूमिका निभाई थी. उस वक्त को याद करते हुए राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि जैसे इस वक्त जून महीने में राज्यसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं वैसे ही साल 2016 में भी राज्यसभा के चुनाव जून महीने में हो रहे थे. उस वक्त परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी की 2 सीटों के लिए 3 उम्मीदवार मैदान में थे. हालांकि इस बार भी ऐसी ही उम्मीद जताई जा रही थी कि तीन उम्मीदवार मैदान में हो सकते हैं. क्योंकि अगर दो उम्मीदवार मैदान में होंगे तो दोनों निर्विरोध ही चुने जाएंगे. क्योंकि 2 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है.
जून 2016 में हुए चुनाव में आरके आनंद जो इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार थे, माना जाता था कि उनको कांग्रेस और इनेलो का समर्थन प्राप्त था. हालांकि वे खुद भी सोनिया गांधी से मिलकर आये थे तो माना जा रहा था कि उनकी जीत पक्की है. जबकि सुभाष चंद्रा बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे. इसके साथ ही एक और उम्मीदवार भी उस वक्त मैदान में थे. यानी उस चुनाव में तीन उम्मीदवार राज्यसभा की 2 सीटों के लिए खड़े थे.
हरियाणा का स्याही कांड क्या है- आरके आनंद इनेलो के करीबी थे क्योंकि उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. उस वक्त के कांग्रेस नेताओं को लगता था कि वे उन को वोट नहीं देना चाहते थे. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि जैसा भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहते हैं कि वे उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कहकर आए थे कि वह आरके आनंद को वोट नहीं करेंगे. उस चुनाव के दौरान आज के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपना वोट खाली रखा था. लेकिन उस वक्त जब वोटों की गिनती होने लगी तो ऐसा कहा जाने लगा कि जो आरके आनंद को वोट पड़ने थे उनकी स्याही अलग थी. क्योंकि राज्यसभा चुनाव के लिए एक तरह की पेन से ही वोट करने होते हैं. ये पेन चुनाव आयोग की तरफ से दी जाती है. इसी स्याही के पेन से ही टिक मार्क करना होता है. लेकिन कांग्रेस के 14 उम्मीदवारों के वोट पर दूसरी पेन के निशान थे जिसके चलते उनके वोट कैंसिल कर दिये गये.
हालांकि स्याही का वह विवाद जांच का विषय है, वह मामला कोर्ट में भी गया था. लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि वो स्याही अलग थी या नहीं. स्याही अलग होने के नाम पर वोट तो कैंसल हो गए. लेकिन अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि वह पेन कैसे बदला गया था जिससे टिक मार्क करना था. साथ ही वह पेन किसने बदला था यह भी आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. क्योंकि आरके आनंद अभय चौटाला के करीबी थे. इसी वजह से उन्होंने आरोप लगाया था कि जानबूझकर कांग्रेस के लोगों ने पेन बदला है. ताकि आरके आनंद के वोट रिजेक्ट हो जाएं और सुभाष चंद्र जीत जाए.
उस वक्त इस मामले में रिटर्निंग ऑफिसर आरके नांदल और उनके सहयोगी पर भी आरोप लगाए गए थे. इस बार भी राज्यसभा चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर आरके नांदल ही हैं. उनके ऊपर भी चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई थी. अंत में उसमें भी यही निकला कि उनका कोई दोष नहीं था. वहीं इस बार भी आरके नांदल को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया है. जबकि स्याही कांड का खुलासा आज तक नहीं हुआ. वह सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप में दबकर रह गया. ना ही आज तक यह पता चला है कि वह पेन किसने बदला था.