जयपुर. राजस्थान ब्यूरोक्रेसी का अगला मुखिया कौन होगा, इसको लेकर अभी भी असमंजस लगातार बरकरार है. सचिवालय के गलियारों में इन दिनों सिर्फ इसी बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि आखिर वर्तमान मुख्य सचिव राजीव स्वरूप को अब तक केंद्र सरकार से एक्सटेंशन नहीं मिला है. ऐसे में 31 अक्टूबर के बाद प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी का जिम्मा किसके कंधे पर होगा.
31 अक्टूबर से शुरू होने वाली विधानसभा से पहले सरकार को इसको लेकर भी निर्णय करना है. वर्तमान मुख्य सचिव राजीव स्वरूप के सेवा विस्तार के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने दो बार दिल्ली सरकार को पत्र लिख दिया है लेकिन इसके बावजूद अभी तक केंद्र सरकार ने राजीव स्वरूप के नाम पर हरी झंडी नहीं दिखाई है.
ऐसे में अब सचिवालय के गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि आखिर 31 अक्टूबर को विधानसभा शुरू होने से पहले राज्य सरकार प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी का जिम्मा किसके कंधे पर देगी. राजस्थान विधानसभा शनिवार से शुरू होने वाली है. 3 दिन पहले तक नौकरशाही के शीर्ष पद मुख्य सचिव को लेकर असमंजस बरकरार है.
अतिरिक्त प्रभार के लिए खोजबीन शुरू
जानकारों का कहना है कि मौजूदा मुख्य सचिव राजीव स्वरूप के सेवा विस्तार को लेकर केंद्र से हरी झंडी अगर नहीं मिलती है तो इस बाद सदन के बीच सरकार के पास दो विकल्प होंगे. पहला 31 की रात राजीव स्वरूप का रिटायरमेंट होने की सूरत में सरकार को मुख्य सचिव की घोषणा करनी होगी या फिर इस शीर्ष पद पर अतिरिक्त कार्यभार किसी अन्य अधिकारी को सौंपा जाएगा. ऐसे में अतिरिक्त कार्यभार के नजरिए से सरकार के उपयुक्त अधिकारी की खोजबीन भी शुरू हो गई है.
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इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय से वर्तमान मुख्य सचिव राजीव स्वरूप के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर एक बार फिर रिमाइंडर केंद्र सरकार को भेजा गया है लेकिन जिस तरीके से केंद्र सरकार ने अन्य राज्य के मुख्य सचिव के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर निर्णय ले लिया है लेकिन राज्य सरकार के प्रस्ताव पर अभी तक सहमति नहीं दी, इसको देखकर जानकारों को लगता है कि राजीव स्वरूप को एक्सटेंशन मिलना थोड़ा मुश्किल है.
वरिष्ठा में कौन सबसे ऊपर
वर्तमान मुख्य सचिव राजीव स्वरूप का सेवा विस्तार नहीं होता है तो ऐसे में चलती विधानसभा में सरकार वरिष्ठता के आधार पर अधिकारियों को अतिरिक्त चार्ज दे सकती है. यदि अतिरिक्त चार्ज की सूरत में सरकार वरिष्ठता के आधार पर बनाती है तो 1985 बैच के वरिष्ठ अधिकारी रविशंकर श्रीवास्तव और 1987 बैच की वीनू गुप्ता विकल्प हैं.
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जानकार यह भी कहते हैं कि सरकार सचिवालय में तैनात अधिकारी को ही यह जिम्मा दे सकती है. ऐसे में रविशंकर श्रीवास्तव सचिवालय से बाहर है तो नंबर गेम के हिसाब से पीडब्ल्यूडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव के तौर पर सचिवालय में पोस्टेड वीनू गुप्ता को यह जिम्मा दिया जा सकता है. फिलहाल रविशंकर श्रीवास्तव सचिवालय से बाहर हैं.
इससे पहले मिल चुका है अतिरिक्त चार्ज
ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी अधिकारी को मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया जाएगा. इससे पहले 2013 में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के आरोपों पर जब तत्कालीन सीएस सीके मैथ्यू लंबी छुट्टी पर चले गए थे तो चुनाव के दौरान सरकार ने इस पद पर अतिरिक्त चार्ज सीएस राजन को सौंपा था. ऐसे ही 2014 में राजीव महेश्वरी के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद राजन को अतिरिक्त चार्ज मिला था. हालांकि, बाद में वह स्थाई सीएस बन गए थे.
उधर डीजीपी के पैनल पर बैठक आज
प्रदेश के नए पुलिस महकमे के मुखिया को लेकर भी बुधवार को बैठक होगी. नए डीजीपी की नियुक्ति के सिलसिले में नई दिल्ली में यूपीएससी की बैठक होनी तय मानी जा रही है. इस बैठक में डीजीपी के पैनल को लेकर फैसला होगा. IPS काडर की वरिष्ठता में राजीव दासोत, एम ए लेटर, पीके सिंह का नाम है.
जबकि सरकार ने अभी डीजीपी पद का अतिरिक्त भार डीजीपी क्राइम एमएल लाठर को सौंप रखा है. बैठक के बाद यूपीएससी अंतिम तीन नाम तय करेगी. इनमें से सरकार पुलिस मुख्यायलय तय करेगी कि किसे जिम्मेदारी सौंपी जाए. इसमें लाठर को प्रबल दावेदार माना जा रहा है.