जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के बीच अब प्रदेश में लगभग कुछ नियमों के साथ हर प्रतिष्ठान खुल चुके हैं, जिससे आने वाले दिनों में संक्रमण और बढ़ने की संभावना है. इस बीच निजी अस्पतालों की भूमिका भी इस महामारी में सक्रिय हो, यह बेहद जरूरी है, लेकिन प्रतिपक्ष नेता राजेंद्र राठौड़ का आरोप है कि कोविड-19 में निजी चिकित्सालय चाह कर भी सक्रिय बने तो आखिर कैसे? क्योंकि सरकार इन चिकित्सालय को चेतावनी पत्र तो जारी करती है, लेकिन इनकी समस्याओं का समाधान नहीं करती है.
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उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भी लिखा है, जिसमें आयुष्मान योजना के तहत इन निजी अस्पतालों का बकाया चल रहा 800 करोड़ रुपए का भुगतान अटके होने का मामला उठाया गया है. राठौड़ ने लिखा है कि सरकार ने इस महामारी के दौरान तीन बार निजी अस्पतालों को चेतावनी पत्र तो जारी कर दिया है, लेकिन आयुष्मान योजना के तहत अटकी राशि का भुगतान अब तक इन्हें नहीं हुआ है. ऐसे में जरूरी है कि ये राशि उन्हें मिल पाए, इसके लिए सरकार आवश्यक कदम उठाएं.
सरकार करें एडवाइजरी जारी, ताकि उसके अनुरूप हो सके काम
राजेंद्र राठौड़ ने पत्र में यह भी लिखा है कि सरकार निजी अस्पतालों को लेकर एक विस्तृत एडवाइजरी जारी करें, ताकि कोविड-19 से संक्रमित यदि कोई व्यक्ति इन अस्पतालों में आता है, तो ना केवल उसका उपचार हो, बल्कि उस अस्पताल के आसपास सरकारी मेडिकल कॉलेज में उन मरीजों की कोविड-19 की जांच भी हो सके और पूरा सहयोग भी अस्पताल को मिले.
चिकित्सा मंत्री को पहले भी लिखा पत्र, लेकिन नहीं हुआ समाधान
राजेंद्र राठौड़ ने यह भी कहा कि इस संबंध में पहले भी उन्होंने चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को भी पत्र लिखा था, लेकिन इस दिशा में सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया. ऐसे में अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर उनका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, ताकि इस वैश्विक महामारी में निजी अस्पताल भी अपनी सक्रिय भूमिका निभा सके.