जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और कारागार की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने प्रदेश की गहलोत सरकार पर जमकर जुबानी हमला बोला. राठौड़ ने यह तक कह दिया कि राम तेरी गंगा मैली हो गई, इन भ्रष्टाचारियों के पाप धोते-धोते. राठौड़ ने राजपत्रित अधिकारियों के अभियोजन स्वीकृति मामलों में पेंडेंसी को लेकर सरकार पर हमला बोला और अभियोजन स्वीकृति की समय सीमा निर्धारण के लिए एक राज्य स्तरयी कमेटी का गठन करने की मांग भी की.
राठौड़ ने की एसीबी की तारीफ
राजेंद्र राठौड़ ने अपने संबोधन में एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी की कार्रवाई की प्रशंसा की, लेकिन यह भी कहा कि राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ समय पर अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल रही है. राठौड़ के अनुसार राजपत्रित अधिकारियों पर 37 मामले पेंडिंग हैं. इनमें 19 मामले ऐसे हैं जो 5 से 10 वर्ष से लंबित हैं, जबकि 17 मामले रेड हैंडेड के होने के बाद भी इनमें 11 अधिकारी फील्ड में काम कर रहे हैं. इस दौरान राजेंद्र राठौड़ ने अजमेर यूआईटी, खनिज घोटाला, आईएएस निर्मला मीणा सहित कई मामलों का उल्लेख करते कहा कि आखिर सरकार इन्हें कब तक बचाने का काम करेगी.
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ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट का दिया हवाला
राजेंद्र राठौड़ ने इस दौरान सदन में नवंबर में जारी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट पर ध्यान आकर्षित किया. राठौड़ ने कहा कि भ्रष्टाचार नापने के लिए बनी इस संस्था ने करप्शन परसेप्शन इंडेक्स इन राजस्थान की रिपोर्ट में बताया कि राजस्थान के 78 प्रतिशत लोगों ने पिछले एक साल में अपने काम के लिए रिश्वत दी. इसमें 58 प्रतिशत को एक से ज्यादा बार रिश्वत देनी पड़ी. राठौड़ के अनुसार संस्था की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा कप्शन पंजीयन विभाग और उसके बाद पुलिस में है.
वहीं, राठौड़ ने सदन में सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज का भी उल्लेख किया. राठौड़ के अनुसार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी लोक सेवकों से जो काम होते हैं, उसमें 75 प्रतिशत को रिश्वत देनी पड़ती है. राठौड़ ने कहा कि सितंबर में सीएम ने एसीबी की समीक्षा की थी तब उन्होंने दो बातें की, एक तो सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति में विलंब नहीं होना चाहिए और दूसरी सभी राजपत्रित अधिकारी अपनी संपत्ति का ब्यौरा ऑनलाइन देंगे. राठौड़ के अनुसार सरकार ने भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किया तो मुझे भी लगा कि एसीबी अब दंतहीन और नखहीन नहीं होगी नौकरशाह को संपत्ति का ब्यौरा देना ही पड़ेगा, लेकिन उसका भी कुछ खास असर नहीं दिख रहा है.
इन मामलों में सरकार को घेरा
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि एसीबी में परिवाद के मामलों में 2018 में 452 अभियोजन स्वीकृति लंबित थी, जिसमें 266 का डिस्पोजल किया. इसी तरह 2019 में 436 में 236 और 2020 में 466 में 222 का डिस्पोजल किया. राठौड़ ने परिवाद दर्ज कराने वाले लोगों की समस्या को भी उठाया और कहा कि शिकायतकर्ता के परिवाद के साथ उसके काम को पूरा कराना चाहिए चाहे इसके लिए एक अलग से एजेंसी का गठन क्यों ना करना पड़े.
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बाहरी प्रदेशों के अधिकारियों पर साधा निशाना
राठौड़ ने इस दौरान राजस्थान कैडर के बाहर के आईएएस अधिकारियों पर भी निशाना साधा जो राजस्थान में आते हैं और कुछ ही सालों बाद करोड़पति बन जाते हैं. राठौड़ ने कहा कि दूसरे प्रदेशों से यहां अधिकारी आते हैं तब सूटकेस होता है और जाते हैं तो ड्राइवर के नाम, नौकर के नाम अथाह संपत्ति होती है. राठौड़ ने कहा कि इन बड़ी मछलियों को पकड़ने के लिए एसीबी में बड़ी विंग बनानी चाहिए जो इनके रिश्तेदारों और संपत्ति की निगरानी रखे.
जेल है या अपराधियों की ऐशगाह
वहीं, जेल में मोबाइल सहित प्रतिबंधित चीजों के मिलने का मामला भी राठौड़ ने सदन में उठाया. राठौड़ ने कहा कि जेलें अपराधियों की ऐशागाह बनती जा रही हैं. जेल से अपराधी अपनी गैंग का संचालन कर रहे हैं. उन्होंने समाचार पत्रों में छपी खबरों का उल्लेख करते हुए कहा कि जेल से एक अपराधी फेसबुक संचालन कर रहा है. उन्होंने सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल कैदियों को अलग, अलग रखने के साथ ही जेलों को आबादी क्षेत्र से बाहर करने की मांग की, साथ ही जेलों में भी जैमर लगाने की बात कही.
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आप तो राहुल गांधी को धन्यवाद दे दो
राठौड़ ने कहा कि जेलों में पहले पंरपरा थी कि सवर्ण जाति का कैदी खाना बनाएगा और निम्न जाति का कैदी सफई का काम करेगा, लेकिन इस विसंगति को सरकार ने दूर करने का काम किया जिसकी मैं प्रशंसा करता हूं. इस दौरान सदन में मौजूद संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि इस काम के लिए राहुल गांधी ने सीएम को पत्र लिखा था.