जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में धरने के दौरान किसान की तबीयत बिगड़ने और उसके बाद उपचार के दौरान मृत्यु होने के का मामला अब राजनितिक रंग लेने लगा है. विपक्ष इस मामले को लेकर हमलवार हो गया है. उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री के गृह जिले में किसान की धरना देते हुए मौत को सरकार के माथे पर कलंक करार दिया है.
राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर के माणकलाव गांव में किसान आंदोलन के दौरान शुक्रवार देर रात मांडियाई के नौजवान किसान पुखराज डोगीयाल की तबीयत बिगड़ने और एमडीएम अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु होना सरकार के माथे पर कलंक है. ये सरकार की किसान विरोधी सोच और संवेदनहीनता का एक जीवंत प्रमाण है. उन्होंने राज्य सरकार से मृतक किसान के पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिए जाने और किसानों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से की जा रही न्याय संगत मांगों को स्वीकार करने की मांग की है.
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उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कोरोना महामारी कोरोना में सबसे ज्यादा नुकसान किसान वर्ग को पहुंचा है. प्रदेश के किसान सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से कोरोना काल के 6 माह के बिजली बिल माफ करने और कृषि बिलों में 833 रुपये प्रतिमाह अनुदान देने की मांग को लेकर 5 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहा किसान वर्ग बिजली दरों में बढ़ोतरी होने से आक्रोशित है और सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर हुआ. लेकिन, किसान हितैषी होने का दंभ भरने वाली असंवेदनशील सरकार के मुखिया किसानों की जायज मांगों को अनसुना कर रहे हैं, जिसका परिणाम ये निकला कि किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे पुखराज डोगीयाल को अपनी शहादत देकर कीमत चुकानी पड़ी.
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान में चुनाव जीतने के बाद 10 दिनों के भीतर किसान कर्जमाफी करने की घोषणा की थी. लेकिन, आज तक किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ और अन्नदाता खुद को ठगा हुआ महूसस कर रहा है. वाणिज्यिक बैंक, शिड्यूल बैंक और नोटिफाइड बैंक से ऋण लेने वाले प्रदेश के करीब 22 लाख किसान कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं. राठौड़ ने कहा कि टिड्डी दलों के लगातार हो रहे हमले से किसानों की लाखों बीघा फसलें नष्ट हो चुकी हैं और राज्य सरकार टिड्डी नियंत्रण की दिशा में काम करने की बजाय केंद्र सरकार पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है.
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राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार की हठधर्मिता और संवेदनहीनता की वजह से नौजवान किसान को अपनी शहादत देनी पड़ी है. लेकिन, सरकार की ओर से मृत्यु के बाद पुखराज डोगीयाल को कोरोना पाॅजिटिव बता देना पीड़ित परिवार के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम है. कोरोना काल में टिड्डी हमलों, अतिवृष्टि और बिजली के बिलों में बढ़ोतरी से जूझ रहा किसान आर्थिक बोझ के तले दबा हुआ है और सरकार से सहायता नहीं मिलने पर आक्रोशित है. अगर वर्तमान समय कोरोना का नहीं होता तो निश्चित रूप से प्रदेश के लाखों किसान कांग्रेस सरकार की किसान विरोधी और दमनकारी नीतियों को लेकर व्यापक स्तर पर धरना-प्रदर्शन करते.