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Rajasthan Year Ender 2021: भाजपा में रूठे-रूठे दिखे बड़े नाम, नड्डा-शाह के एकजुटता की घुट्टी भी नहीं दिखा पाई कमाल

राजस्थान में साल भर भाजपा (Rajasthan BJP Year Ender 2021) अपनी मौजूदगी को लेकर फिक्रमंद दिखी. विधानसभा के उप चुनाव हों, पंचायत चुनाव हों या फिर निकाय चुनाव सभी जगह अपनी आक्रामक शैली का प्रदर्शन किया. साल के बीतते-बीतते देश के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah In Rajasthan) ने प्रदेश का दौरा किया. संदेश और संकेत के साथ. संदेश साफ था कि पार्टी को एकजुट होकर ही अगले चुनावों के लिए कमर कसनी होगी तो संकेत की आगामी चुनाव में कोई CM फेस नहीं होगा. कुल मिलाकर 2021 के Second Half में वसुंधरा राजे सिंधिया, सतीश पूनिया, गुलाबचंद कटारिया समेत तमाम नेता अपने अपने तरीके से गोटी सेट करते दिखे.

Rajasthan Year Ender 2021
भाजपा में रूठे-रूठे दिखे बड़े नाम
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Published : Dec 23, 2021, 2:35 PM IST

Updated : Dec 23, 2021, 9:57 PM IST

जयपुर: साल 2021 राजस्थान भाजपा (Rajasthan BJP Year Ender 2021) की दृष्टि से सियासी उठापटक वाला रहा. इस साल विपक्षी दल के रूप में भाजपा की तीखी धार तो दिखी लेकिन राजे और पूनिया के बीच की सियासी दूरी इस साल भी कम होती नहीं दिखी. इस साल वसुंधरा राजे की उपचुनाव, निकाय और पंचायत राज चुनाव से दूरियां चर्चा में रही तो जिलों की 'निजी' यात्राएं सुर्खियों में रही. नड्डा और शाह की सीख भी प्रदेश नेताओं को एक जाजम पर लाने में कारगार कम ही दिखी. भाजपा के लिहाज से वह कौन सी प्रमुख घटनाएं थी जो साल 2021(Rajasthan BJP Year Ender 2021) में यादगार बनी आइए जानते हैं.

पूनिया दिखे आक्रमक, लिए कई अहम निर्णय : साल 2021 भाजपा (Rajasthan BJP Year Ender 2021) प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया के लिए काफी चुनौती भरा साल रहा. पूनिया को अपना परफॉर्मेंस भी दिखाना था और अलग-अलग खेमों में बंटे नेताओं को एक जाजम पर भी लाना था. हालांकि बड़े धरने प्रदर्शन करने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी और हर मामले में सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक में उठाया. इस दरमियान पार्टी संगठन के खिलाफ बयानबाजी करने वाले नेताओं को बाहर का रास्ता भी दिखाया गया तो साथ ही उन नेताओं की घर वापसी हुई जो पिछले चुनाव में भाजपा से दूर हो गए थे.पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के 'खास' और नजदीकी नेता रोहिताशव शर्मा को विवादित बयानों के लिए पार्टी से बाहर निकाला गया तो वहीं पिछला विधानसभा चुनाव लड़कर बगावत करने वाले कुलदीप धनकड़ जैसे नेताओं की घर वापसी भी हुई. चुनाव से पहले कुछ कांग्रेस से जुड़े नेता भी भाजपा में आए. इतना कुछ हुआ लेकिन पार्टी में चल रही अंदरूनी खींचतान नहीं थम पाई.

पढ़ें-Satish Poonia on Vasundhara Raje: वसुंधरा के चुनाव प्रचार में नहीं उतरने के सवाल पर पूनिया बोले, मैं इसका जवाब नहीं दे सकता

राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की कोशिश बेअसर! : साल 2021 के मार्च माह में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जयपुर (BJP President JP Nadda In Jaipur) आए जहां बिरला सभागार में उन्होंने भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को संबोधित किया. जेपी नड्डा ने इस दौरान मंच पर ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया (Vasundhara Raje Vs Satish Poonia) का हाथ पकड़कर साथ में ऊंचा करवाया और प्रदेश नेताओं को एकजुटता का मंत्र (Mantra Of Solidarity By Nadda In Rajasthan) भी दिया. हालांकि यह मंत्र राजस्थान भाजपा के नेताओं पर ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ.

भाजपा में रूठे-रूठे दिखे बड़े नाम
वसुंधरा राजे पोस्टर विवाद :
साल 2021 राजस्थान की सियासत वसुंधरा राजे के इर्द-गिर्द ही घूमती रही. वसुंधरा शुरुआती माह में भले ही प्रदेश में कम सक्रिय रही हों लेकिन जून महीने में प्रदेश भाजपा मुख्यालय के बाहर लगे पार्टी के पोस्टर्स-हार्डिंग से वसुंधरा का चेहरा हटाने से बड़ा राजनीतिक विवाद (Poster War In Rajasthan BJP) हो गया. यह होना लाजिमी भी था, क्योंकि राजस्थान में पिछले दो दशक की राजनीति वसुंधरा राजे के इर्द-गिर्द ही घूमती रही. लेकिन पहली बार उन्हीं की पार्टी के पोस्टर और होर्डिंग से प्रदेश संगठन ने राजे के चित्र को बेदखल कर दिया. हालांकि राज्य समर्थकों ने खुलकर इसका विरोध किया और ऐसे कई बयान भी आए जिससे राजस्थान भाजपा दो टुकड़ों में नजर आई. इस मामले में वसुंधरा राजे की चुप्पी 2 महीने बाद टूटी और उन्होंने कहा मैं पोस्टर में नहीं लोगों के दिल में राज करती हूं.

पढ़ें- राजस्थान : महाराणा प्रताप को लेकर एक बार फिर विवादों में भाजपा

कटारिया का विवादित बयान बना मुसीबत : साल 2021 में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के विवादित बयान भी सुर्खियों में रहे. खास तौर पर महाराणा प्रताप और भगवान श्रीराम को लेकर आए कटारिया के विवादित बयान से राजस्थान भाजपा मुश्किलों में फंसती नजर आई. विरोध राजनीतिक ही नहीं सामाजिक भी हुआ और राजपूत करणी सेना से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भाजपा मुख्यालय पहुंचकर बाहर लगे गुलाबचंद कटारिया के होर्डिंग पर कालिख तक पोत दी. कटारिया का बयान उस समय आया जब प्रदेश में 3 विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने थे. हालांकि कटारिया ने अपने बयान के लिए माफी भी मांगी लेकिन यह भी कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर और गलत अर्थ लगाकर पेश किया जा रहा है.

पढ़ें- राजस्थान में इतिहास पर रार : मेवाड़ और महाराणा प्रताप पर गरमाने लगी सियासत

पढ़ें- वसुंधरा राजे की सक्रियता दे रही कई राजनीतिक संकेत, मेवाड़ के बाद अन्य जिलों में जुटे समर्थक

वसुंधरा राजे ने मेवाड़ यात्रा में दिखाया दम खम : साल 2021 पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की विधानसभा उपचुनाव और निकाय व पंचायत राज चुनाव से दूरी भी चर्चा में रही तो उससे अधिक चर्चा में रही उनकी मेवाड़ और अन्य जिलों की यात्राएं. पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे साल 2021 के शुरुआत में राजस्थान में कम ही सक्रिय थी लेकिन अक्टूबर में धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद वसुंधरा राजे ने राजस्थान में अपनी सक्रियता बढ़ा दी. राजे ने 23 से 26 नवंबर मेवाड़ सहित छह जिलों की यात्रा निकाली और इसके कुछ दिनों बाद भरतपुर,दौसा, झालावाड़ और अलवर की यात्राएं चर्चा में रहीं. यात्रा दिवंगत नेताओं के घर पहुंचकर शोक संवेदना जताने के लिए थी लेकिन इसके जरिए वसुंधरा राजे ने अपने विरोधियों को अपनी सियासी शक्ति का एहसास बखूबी कराया.

उपचुनाव में हार का झेला दंश : साल 2021 में प्रदेश में 5 विधानसभा सीटों पर अलग-अलग समय उपचुनाव हुए जिसमें भाजपा का परफॉर्मेंस बेहद निराशाजनक रहा. इस साल अप्रैल में 3 विधानसभा सीट सहाड़ा राजसमंद और सुजानगढ़ में उपचुनाव हुए जिसके 2 मई को आए परिणाम में भाजपा के खाते में केवल राजसमंद की ही सीट आई जबकि सहाड़ा और सुजानगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. इसी तरह अक्टूबर में हुए वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त झेलना पड़ी वल्लभनगर में भाजपा प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला की जमानत जब्त हो गई तो वही धरियावद में भाजपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा. मतलब 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में से महज एक ही सीट भाजपा के खाते में आ पाई.

मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में राजस्थान का बढ़ा सियासी कद : साल 2021 का जुलाई माह केंद्रीय कैबिनेट में राजस्थान के सियासी कद को बढ़ाने वाला रहा 7 जुलाई को हुए मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में राजस्थान से आने वाले तीनों मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों को यथावत रखा गया और नए मंत्री के रूप में राजस्थान से राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव को केंद्रीय श्रम व वन और पर्यावरण मंत्री बनाया गया. हालांकि राजस्थान में ही जन्मे उड़ीसा राज्यसभा सांसद अश्वनी वैष्णव को भी रेल मंत्री की जिम्मेदारी दी गई.

अमित शाह के दौरे ने भाजपा में फूंकी नई जान : साल 2021 के अंतिम माह दिसंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दो दिवसीय राजस्थान दौरा सुर्खियों में रहा. 4 दिसंबर को शाह जैसलमेर में बीएसएफ जवानों के बीच रहे तो 5 दिसंबर को शाह ने जयपुर में राजस्थान भाजपा कार्यसमिति की बैठक और भाजपा जनप्रतिनिधि संकल्प महा सम्मेलन को संबोधित किया. अमित शाह ने इसके जरिए अगले विधानसभा चुनाव का शंखनाद भी किया.

पढ़ें- Amit Shah Visit To Jaipur : गहलोत सरकार को नहीं गिराएंगे, बल्कि 2023 में दो तिहाई बहुमत से लौटेंगे सत्ता में - अमित शाह

पढ़ें- Amit Shah in jaipur : राजस्थान में भाजपा के सीएम फेस पर शाह का स्पष्ट संदेश..मोदी के नेतृत्व में फतह करेंगे राजस्थान मिशन 2023

पढ़ें- JP नड्डा ने इशारों-इशारों में बीजेपी नेताओं को दी नसीहत, साथ मिलकर आगे बढ़ने का किया आह्वान

नगर निकाय, पंचायत राज चुनाव में कहीं हार तो कहीं मिली जीत : साल 2021 की शुरुआत प्रदेश के 20 जिलों के 90 नगर निकाय चुनाव के साथ हुई. भाजपा ने अजमेर नगर निगम में कब्जा जमाया लेकिन वार्डों की बात की जाए तो कुल 3035 वार्डों में हुए चुनाव में से भाजपा ने 1140 वार्ड और कांग्रेस ने 1197 वार्डो में जीत हासिल की. वहीं एनसीपी ने 13, आरएलपी ने 3 वार्डों में जीत हासिल की. इसी तरह पंचायत राज चुनाव के पहले चरण में जो चुनाव हुए वह भाजपा के लिए सुखद रहे. लेकिन इसके बाद अलवर और धौलपुर जिले में हुए चुनाव में भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा. दिसंबर माह में हुए 4 जिलों करौली,श्री गंगानगर, कोटा और बारां में हुए चुनाव में 4 जिला परिषद में 2 कोटा और बारां जिला परिषद में भाजपा और करोली व श्रीगंगानगर में कांग्रेस को जीत मिली. तो 30 पंचायत समितियों में कांग्रेस ने 14 और भाजपा ने 8 में बाजी मारी जबकि अन्य पर निर्दलीय व अन्य दल का कब्जा रहा.

बहरहाल साल 2021 (Rajasthan BJP Year Ender 2021) कई मायनों में राजस्थान भाजपा के लिए खास रहा. इस दौरान भाजपा सत्तारूढ़ कांग्रेस के सामने कई बार बेबस और विपक्ष की भूमिका मजबूती से अदा करती नजर आई. वहीं पार्टी के भीतर नेताओं की अंदरूनी कलह भी कई बार जगजाहिर हुई. मतलब यह साल भाजपा को कई खट्टे मीठे अनुभव देकर जाने वाला है. कहावत है कि उम्मीद पर दुनिया कायम है. उम्मीद है कि 2021 में प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक रूप से जो कुछ कमी रही वो साल 2022 में दूर हो जाएगी.

जयपुर: साल 2021 राजस्थान भाजपा (Rajasthan BJP Year Ender 2021) की दृष्टि से सियासी उठापटक वाला रहा. इस साल विपक्षी दल के रूप में भाजपा की तीखी धार तो दिखी लेकिन राजे और पूनिया के बीच की सियासी दूरी इस साल भी कम होती नहीं दिखी. इस साल वसुंधरा राजे की उपचुनाव, निकाय और पंचायत राज चुनाव से दूरियां चर्चा में रही तो जिलों की 'निजी' यात्राएं सुर्खियों में रही. नड्डा और शाह की सीख भी प्रदेश नेताओं को एक जाजम पर लाने में कारगार कम ही दिखी. भाजपा के लिहाज से वह कौन सी प्रमुख घटनाएं थी जो साल 2021(Rajasthan BJP Year Ender 2021) में यादगार बनी आइए जानते हैं.

पूनिया दिखे आक्रमक, लिए कई अहम निर्णय : साल 2021 भाजपा (Rajasthan BJP Year Ender 2021) प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया के लिए काफी चुनौती भरा साल रहा. पूनिया को अपना परफॉर्मेंस भी दिखाना था और अलग-अलग खेमों में बंटे नेताओं को एक जाजम पर भी लाना था. हालांकि बड़े धरने प्रदर्शन करने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी और हर मामले में सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक में उठाया. इस दरमियान पार्टी संगठन के खिलाफ बयानबाजी करने वाले नेताओं को बाहर का रास्ता भी दिखाया गया तो साथ ही उन नेताओं की घर वापसी हुई जो पिछले चुनाव में भाजपा से दूर हो गए थे.पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के 'खास' और नजदीकी नेता रोहिताशव शर्मा को विवादित बयानों के लिए पार्टी से बाहर निकाला गया तो वहीं पिछला विधानसभा चुनाव लड़कर बगावत करने वाले कुलदीप धनकड़ जैसे नेताओं की घर वापसी भी हुई. चुनाव से पहले कुछ कांग्रेस से जुड़े नेता भी भाजपा में आए. इतना कुछ हुआ लेकिन पार्टी में चल रही अंदरूनी खींचतान नहीं थम पाई.

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राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की कोशिश बेअसर! : साल 2021 के मार्च माह में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जयपुर (BJP President JP Nadda In Jaipur) आए जहां बिरला सभागार में उन्होंने भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को संबोधित किया. जेपी नड्डा ने इस दौरान मंच पर ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया (Vasundhara Raje Vs Satish Poonia) का हाथ पकड़कर साथ में ऊंचा करवाया और प्रदेश नेताओं को एकजुटता का मंत्र (Mantra Of Solidarity By Nadda In Rajasthan) भी दिया. हालांकि यह मंत्र राजस्थान भाजपा के नेताओं पर ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ.

भाजपा में रूठे-रूठे दिखे बड़े नाम
वसुंधरा राजे पोस्टर विवाद : साल 2021 राजस्थान की सियासत वसुंधरा राजे के इर्द-गिर्द ही घूमती रही. वसुंधरा शुरुआती माह में भले ही प्रदेश में कम सक्रिय रही हों लेकिन जून महीने में प्रदेश भाजपा मुख्यालय के बाहर लगे पार्टी के पोस्टर्स-हार्डिंग से वसुंधरा का चेहरा हटाने से बड़ा राजनीतिक विवाद (Poster War In Rajasthan BJP) हो गया. यह होना लाजिमी भी था, क्योंकि राजस्थान में पिछले दो दशक की राजनीति वसुंधरा राजे के इर्द-गिर्द ही घूमती रही. लेकिन पहली बार उन्हीं की पार्टी के पोस्टर और होर्डिंग से प्रदेश संगठन ने राजे के चित्र को बेदखल कर दिया. हालांकि राज्य समर्थकों ने खुलकर इसका विरोध किया और ऐसे कई बयान भी आए जिससे राजस्थान भाजपा दो टुकड़ों में नजर आई. इस मामले में वसुंधरा राजे की चुप्पी 2 महीने बाद टूटी और उन्होंने कहा मैं पोस्टर में नहीं लोगों के दिल में राज करती हूं.

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कटारिया का विवादित बयान बना मुसीबत : साल 2021 में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के विवादित बयान भी सुर्खियों में रहे. खास तौर पर महाराणा प्रताप और भगवान श्रीराम को लेकर आए कटारिया के विवादित बयान से राजस्थान भाजपा मुश्किलों में फंसती नजर आई. विरोध राजनीतिक ही नहीं सामाजिक भी हुआ और राजपूत करणी सेना से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भाजपा मुख्यालय पहुंचकर बाहर लगे गुलाबचंद कटारिया के होर्डिंग पर कालिख तक पोत दी. कटारिया का बयान उस समय आया जब प्रदेश में 3 विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने थे. हालांकि कटारिया ने अपने बयान के लिए माफी भी मांगी लेकिन यह भी कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर और गलत अर्थ लगाकर पेश किया जा रहा है.

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वसुंधरा राजे ने मेवाड़ यात्रा में दिखाया दम खम : साल 2021 पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की विधानसभा उपचुनाव और निकाय व पंचायत राज चुनाव से दूरी भी चर्चा में रही तो उससे अधिक चर्चा में रही उनकी मेवाड़ और अन्य जिलों की यात्राएं. पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे साल 2021 के शुरुआत में राजस्थान में कम ही सक्रिय थी लेकिन अक्टूबर में धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद वसुंधरा राजे ने राजस्थान में अपनी सक्रियता बढ़ा दी. राजे ने 23 से 26 नवंबर मेवाड़ सहित छह जिलों की यात्रा निकाली और इसके कुछ दिनों बाद भरतपुर,दौसा, झालावाड़ और अलवर की यात्राएं चर्चा में रहीं. यात्रा दिवंगत नेताओं के घर पहुंचकर शोक संवेदना जताने के लिए थी लेकिन इसके जरिए वसुंधरा राजे ने अपने विरोधियों को अपनी सियासी शक्ति का एहसास बखूबी कराया.

उपचुनाव में हार का झेला दंश : साल 2021 में प्रदेश में 5 विधानसभा सीटों पर अलग-अलग समय उपचुनाव हुए जिसमें भाजपा का परफॉर्मेंस बेहद निराशाजनक रहा. इस साल अप्रैल में 3 विधानसभा सीट सहाड़ा राजसमंद और सुजानगढ़ में उपचुनाव हुए जिसके 2 मई को आए परिणाम में भाजपा के खाते में केवल राजसमंद की ही सीट आई जबकि सहाड़ा और सुजानगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. इसी तरह अक्टूबर में हुए वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त झेलना पड़ी वल्लभनगर में भाजपा प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला की जमानत जब्त हो गई तो वही धरियावद में भाजपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा. मतलब 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में से महज एक ही सीट भाजपा के खाते में आ पाई.

मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में राजस्थान का बढ़ा सियासी कद : साल 2021 का जुलाई माह केंद्रीय कैबिनेट में राजस्थान के सियासी कद को बढ़ाने वाला रहा 7 जुलाई को हुए मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में राजस्थान से आने वाले तीनों मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों को यथावत रखा गया और नए मंत्री के रूप में राजस्थान से राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव को केंद्रीय श्रम व वन और पर्यावरण मंत्री बनाया गया. हालांकि राजस्थान में ही जन्मे उड़ीसा राज्यसभा सांसद अश्वनी वैष्णव को भी रेल मंत्री की जिम्मेदारी दी गई.

अमित शाह के दौरे ने भाजपा में फूंकी नई जान : साल 2021 के अंतिम माह दिसंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दो दिवसीय राजस्थान दौरा सुर्खियों में रहा. 4 दिसंबर को शाह जैसलमेर में बीएसएफ जवानों के बीच रहे तो 5 दिसंबर को शाह ने जयपुर में राजस्थान भाजपा कार्यसमिति की बैठक और भाजपा जनप्रतिनिधि संकल्प महा सम्मेलन को संबोधित किया. अमित शाह ने इसके जरिए अगले विधानसभा चुनाव का शंखनाद भी किया.

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बहरहाल साल 2021 (Rajasthan BJP Year Ender 2021) कई मायनों में राजस्थान भाजपा के लिए खास रहा. इस दौरान भाजपा सत्तारूढ़ कांग्रेस के सामने कई बार बेबस और विपक्ष की भूमिका मजबूती से अदा करती नजर आई. वहीं पार्टी के भीतर नेताओं की अंदरूनी कलह भी कई बार जगजाहिर हुई. मतलब यह साल भाजपा को कई खट्टे मीठे अनुभव देकर जाने वाला है. कहावत है कि उम्मीद पर दुनिया कायम है. उम्मीद है कि 2021 में प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक रूप से जो कुछ कमी रही वो साल 2022 में दूर हो जाएगी.

Last Updated : Dec 23, 2021, 9:57 PM IST
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