ETV Bharat / city

Rajasthan Year Ender 2021: परदे के पीछे गहलोत-पायलट में खूब तनी तलवारें, पूरे साल चलता रहा राजस्थान कांग्रेस में शह मात का खेल

अंत भला तो सब भला, कम से कम सियासत में तो ये नहीं कह सकते, यहां अंत ही किसी शुरुआत की वजह बनता है. राजस्थान कांग्रेस (Congress In Rajasthan) में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है. आलाकमान या पदाधिकारी जितना भी कहें कि Party में All Is Well है लेकिन पूरे साल राजस्थान कांग्रेस में शह मात का खेल (Rajasthan Congress Year Ender 2021) चलता रहा. बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट (Gehlot Vs Pilot) की ही हो रही है.

Rajasthan Congress Year Ender 2021
परदे के पीछे का गहलोत-पायलट में खूब तनी तलवारें
author img

By

Published : Dec 22, 2021, 1:47 PM IST

Updated : Dec 22, 2021, 2:43 PM IST

जयपुर. राजस्थान की राजनीति (Politics In Rajasthan) इस साल भी रोमांच से भरी रही. किसी सस्पेंस थ्रिलर बॉलीवुड फिल्म की तरह कई मोड़ आए. सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में दो खेमों को (2 Factions In Rajasthan Congress) लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. एक धड़ा जो सूबे के मुखिया की अगुवाई में इकबाल बुलंद करता रहा तो दूसरा पूर्व उप मुख्यमंत्री के पक्ष में अपने तर्क रखता रहा. पूरे वर्ष कई ऐसे मौके आए जब लगा कि अंदरूनी द्वंद्व सार्वजनिक स्थल पर विस्फोट कर जाएगा, बात बनते-बनते बिगड़ जाएगी, लेकिन कहानी में फिर एक मोड़ आता है. दिल्ली सजग होती है और मामला संभलता दिखता है. कुल मिलाकर गहलोत-पायलट की रस्साकशी (Gehlot Vs Pilot) चर्चा-ए-आम रही. कैबिनेट विस्तार (Rajasthan Cabinet Expansion) के बाद कहा जाने लगा है कि फिलहाल शांति काल चल रहा है लेकिन अंदरखाने अब भी शीत युद्ध जारी है.

इसकी तस्दीक अकसर CM के जुबानी हमले और पायलट की गायकी करती है. ज्यादा दिन नहीं हुए जब गहलोत ठेंगा दिखाने वाले धड़े को खरी-खोटी सुनाते देखे गए थे. उन्होंने कैबिनेट मीटिंग में कहा- सरकार अगर कांग्रेस की है और कैबिनेट की बैठक हो रही है तो 80 लोगों के कारण... 19 तो चले गए थे.' वहीं हाल ही में सचिन पायलट एक समारोह में जीना यहां मरना यहां....गाना गाते दिखे तो फिर से सियासी मायने निकाले जाने लगे.

परदे के पीछे का गहलोत-पायलट में खूब तनी तलवारें

ऐसे कई Interesting Twists & Turns राजनीतिक जमीन पर देखने, सुनने और समझने को मिले. आइए एक नजर गहलोत-पायलट के इस परदे के पीछे चलते शीत युद्ध और सियासी गुणा भाग पर डालते हैं.

प्रमुख घटनाक्रम

संगठन के विस्तार में पायलट के 9 नेताओं को बनाया पदाधिकारी

साल 2020 में राजनीतिक उठापटक के बाद सचिन पायलट और उनके सहयोगियों ने पद गंवा दिए. सवाल हवाओं में तैरने लगा कि क्या सचिन पायलट कैंप के लोगों को कुछ मिलेगा? साल 2021 की शुरुआत में पायलट सहयोगी नेताओं को पद भी मिले. बिना कार्यकारिणी के काम कर रहे प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को 7 जनवरी 2021 को 39 लोगों की टीम मिली. इन 39 में विधायक वेद सोलंकी, राकेश पारीक, जीआर खटाना, राजेंद्र चौधरी, महेंद्र सिंह खेड़ी, शोभा सोलंकी, ललित यादव, प्रशांत शर्मा, राखी गौतम सचिन पायलट गुट के 9 नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किया गया, वहीं गहलोत के खाते में 30 पदाधिकारी आए।

उपचुनावों में पायलट को रखा गहलोत ने साथ

राजस्थान में चाहे अप्रेल में हुए सहाड़ा, सुजानगढ़ और राजसमंद के उपचुनाव हों या फिर अक्टूबर में हुए धरियावद और वल्लभनगर के उपचुनाव. दोनों जगह ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ सचिन पायलट (Ashok Gehlot with Sachin Pilot in 2021) एक ही हेलिकॉप्टर में नामांकन रैली में शामिल हुए. कार के ड्राइविंग सीट की कमान संभालते और सीएम को पायलट की बगल में बैठकर सफर करते देखना राजनीतिक पंडितों के लिए अप्रत्याशित रहा.

पढ़ें-Rajasthan Congress Politics : पायलट को मौका, लेकिन कांग्रेस की रैली ने बढ़ाया आलाकमान की नजर में गहलोत-डोटासरा का कद...

जून में पायलट ने फिर से उठाई मांग

संगठन में पायलट कैंप के नेताओं को स्थान तो मिला, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ था. पद से हटे बागी मंत्रियों को दोबारा कोई पद नहीं दिया गया था और न ही पायलट को कोई विशेष जिम्मेदारी से नवाजा गया था. ऐसे में जून 2021 में सचिन पायलट ने फिर अपनी आवाज उठाई. दिल्ली दरबार में गुहार लगाई और पंजाब का हवाला दे मरुभूमि की बात बताई. पायलट ने कहा- जब पंजाब के लिए बनी कमेटी की सुनवाई कुछ महीनों में पूरी हो सकती है तो राजस्थान के मसलों को सुनने के लिए बनी कमेटी अब तक कोई निर्णय क्यों नहीं कर पा रही है? सियासत में बिन कहे बहुत कुछ कह देने में ही बड़े संकेत छुपे होते हैं. बस फिर कांग्रेस में हलचल पैदा हो गई.

आलाकमान से मिले पायलट

सचिन पायलट के आवाज उठाने का असर रहा कि कांग्रेस आलाकमान सक्रिय हुआ. सितंबर महीने में एक के बाद एक कर सचिन पायलट की प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी (Sachin Pilot Meeting With Sonia Gandhi) से मुलाकात हुई. दिल्ली से राजस्थान में कैबिनेट विस्तार को लेकर खाका कुछ-कुछ तैयार कर लिया गया. सचिन पायलट पहले प्रियंका गांधी (Pilot Meeting with Priyanka Gandhi) और राहुल गांधी से मिले फिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हुई.

...और चल पड़ा मुलाकातों का दौर

प्रदेश प्रभारी अजय माकन, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस के तमाम पदाधिकारी कैबिनेट विस्तार की बात छिपे-ढके अंदाज में कहते रहे. इस बीच सोनिया गांधी के साथ मुलाकातों का दौर भी जारी रहा. फिर आलाकमान से मिले प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. दोनों के बीच लम्बी बातचीत हुई और इस बैठक के बाद ही कैबिनेट विस्तार पर मुहर लगी.

ये भी पढ़ें- हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी : अशोक गहलोत ने 'छद्म' जोड़कर की राहुल गांधी के 'हिंदुत्व' की रक्षा !

ये भी पढ़ें-Rahul Gandhi in Mehangai Hatao Rally: 'मैं हिन्दू हूं लेकिन हिन्दुत्ववादी नहीं, क्योंकि हिन्दू को सत्य चाहिए और हिन्दुत्ववादी को सत्ता'

ये भी पढ़ें-Politics on Hindutva : हिन्दुत्ववादी के मायने सियासी या मजहबी...जयपुर में 'राहुल राग' की क्या होगी राह ?

पायलट कैंप को जगह पर CM ने अपने मंत्रियों को नहीं किया ड्रॉप

6 महीने के इंतजार के बाद आखिर 21 नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट का विस्तार (Ashok gehlot Cabinet Expansion) कर दिया. इस कैबिनेट में सचिन पायलट ने अपने 5 विधायकों को मंत्री (Pilot on Cabinet Expansion ) बनवाया. जिनमें रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह भी शामिल रहे. ये वही नेता थे, जिन्हें सचिन पायलट के साथ जुलाई 2020 में बर्खास्त कर दिया गया था. खास बात यह रही कि भले ही सचिन पायलट कैंप के रमेश मीणा, मुरारी लाल मीणा, हेमाराम चौधरी, विश्वेंद्र सिंह और विजेंद्र ओला मंत्री बने हों, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने किसी मंत्री को ड्रॉप नहीं होने दिया.

गहलोत ने की 80 वाली बात

राजस्थान में कैबिनेट विस्तार के बाद लगने लगा कि अब कांग्रेस में सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कैबिनेट विस्तार के बाद पहले कांग्रेस मुख्यालय पर हुई बैठक और फिर उसके बाद मुख्यमंत्री आवास पर हुई अजय माकन और केसी वेणुगोपाल के सामने ही अनौपचारिक बैठक में गहलोत जो कह गए वो माथे में त्योरियां चढ़ाने के लिए काफी था, सीएम के वार पर तुरंत पलटवार भी हुआ. CM, पायलट कैंप के विधायकों का नाम लेकर यह कह गए कि 19 लोग तो चले गए थे, सरकार तो 80 कांग्रेस, निर्दलीयों और 6 बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के कारण बची थी नहीं तो न आज सरकार होती और न हम मंत्रिमंडल की बैठक कर रहे होते. हालांकि इस बैठक में हंसते हुए ही सही लेकिन पायलट कैंप के मंत्री मुरारी लाल मीणा ने भी यह कह दिया कि अब तो बार-बार ऐसी बातें करना बंद कर दीजिए मुख्यमंत्री जी.

महंगाई हटाओ रैली में सचिन पायलट को मिला स्थान

12 दिसंबर को जयपुर में हुई महंगाई के खिलाफ रैली में (Congress Mehangai Hatao Rally) सचिन पायलट एकमात्र वह नेता रहे जो किसी पद पर न होने के बावजूद भी मुख्य मंच पर भी बैठे और भाषण भी दिया. इतना ही काफी था संकेत देने के लिए. सियासी संदेश कि पायलट की उड़ान अभी खत्म नहीं हुई है. पंख मजबूत हैं और जान अभी बाकी है.

सवाल फिर भी कई

भले ही पायलट कैंप के लोगों को संगठन और सत्ता में भागीदारी राजस्थान में मिल गई हो, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि साल 2021 में भी सचिन पायलट को कांग्रेस पार्टी में कोई पद नहीं मिला है. इसे पायलट का पार्टी के प्रति समर्पण कहा जाए, जिद्द या फिर राजस्थान न छोड़ने की दृढ़ इच्छा लेकिन वो फिलहाल राजस्थान कांग्रेस की एक धुरी बने हुए हैं. तुम डाल-डाल मैं पात-पात की तर्ज पर विभिन्न मंचों से कटाक्ष या मैसेज प्रेषित करने का प्रयोग जारी है. तभी तो 2 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब कहते हैं कि मुझे अगले 15-20 साल तक कुछ नहीं होगा कोई कुछ भी सोचे लेकिन मैं अगली बार भी शांति धारीवाल को यूडीएच मंत्री बनाऊंगा. तो साल का अंत आते-आते पायलट (Gehlot Vs Pilot) अपनी गायिकी से मैसेज दे देते हैं कि जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां...

जयपुर. राजस्थान की राजनीति (Politics In Rajasthan) इस साल भी रोमांच से भरी रही. किसी सस्पेंस थ्रिलर बॉलीवुड फिल्म की तरह कई मोड़ आए. सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी में दो खेमों को (2 Factions In Rajasthan Congress) लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. एक धड़ा जो सूबे के मुखिया की अगुवाई में इकबाल बुलंद करता रहा तो दूसरा पूर्व उप मुख्यमंत्री के पक्ष में अपने तर्क रखता रहा. पूरे वर्ष कई ऐसे मौके आए जब लगा कि अंदरूनी द्वंद्व सार्वजनिक स्थल पर विस्फोट कर जाएगा, बात बनते-बनते बिगड़ जाएगी, लेकिन कहानी में फिर एक मोड़ आता है. दिल्ली सजग होती है और मामला संभलता दिखता है. कुल मिलाकर गहलोत-पायलट की रस्साकशी (Gehlot Vs Pilot) चर्चा-ए-आम रही. कैबिनेट विस्तार (Rajasthan Cabinet Expansion) के बाद कहा जाने लगा है कि फिलहाल शांति काल चल रहा है लेकिन अंदरखाने अब भी शीत युद्ध जारी है.

इसकी तस्दीक अकसर CM के जुबानी हमले और पायलट की गायकी करती है. ज्यादा दिन नहीं हुए जब गहलोत ठेंगा दिखाने वाले धड़े को खरी-खोटी सुनाते देखे गए थे. उन्होंने कैबिनेट मीटिंग में कहा- सरकार अगर कांग्रेस की है और कैबिनेट की बैठक हो रही है तो 80 लोगों के कारण... 19 तो चले गए थे.' वहीं हाल ही में सचिन पायलट एक समारोह में जीना यहां मरना यहां....गाना गाते दिखे तो फिर से सियासी मायने निकाले जाने लगे.

परदे के पीछे का गहलोत-पायलट में खूब तनी तलवारें

ऐसे कई Interesting Twists & Turns राजनीतिक जमीन पर देखने, सुनने और समझने को मिले. आइए एक नजर गहलोत-पायलट के इस परदे के पीछे चलते शीत युद्ध और सियासी गुणा भाग पर डालते हैं.

प्रमुख घटनाक्रम

संगठन के विस्तार में पायलट के 9 नेताओं को बनाया पदाधिकारी

साल 2020 में राजनीतिक उठापटक के बाद सचिन पायलट और उनके सहयोगियों ने पद गंवा दिए. सवाल हवाओं में तैरने लगा कि क्या सचिन पायलट कैंप के लोगों को कुछ मिलेगा? साल 2021 की शुरुआत में पायलट सहयोगी नेताओं को पद भी मिले. बिना कार्यकारिणी के काम कर रहे प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को 7 जनवरी 2021 को 39 लोगों की टीम मिली. इन 39 में विधायक वेद सोलंकी, राकेश पारीक, जीआर खटाना, राजेंद्र चौधरी, महेंद्र सिंह खेड़ी, शोभा सोलंकी, ललित यादव, प्रशांत शर्मा, राखी गौतम सचिन पायलट गुट के 9 नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किया गया, वहीं गहलोत के खाते में 30 पदाधिकारी आए।

उपचुनावों में पायलट को रखा गहलोत ने साथ

राजस्थान में चाहे अप्रेल में हुए सहाड़ा, सुजानगढ़ और राजसमंद के उपचुनाव हों या फिर अक्टूबर में हुए धरियावद और वल्लभनगर के उपचुनाव. दोनों जगह ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ सचिन पायलट (Ashok Gehlot with Sachin Pilot in 2021) एक ही हेलिकॉप्टर में नामांकन रैली में शामिल हुए. कार के ड्राइविंग सीट की कमान संभालते और सीएम को पायलट की बगल में बैठकर सफर करते देखना राजनीतिक पंडितों के लिए अप्रत्याशित रहा.

पढ़ें-Rajasthan Congress Politics : पायलट को मौका, लेकिन कांग्रेस की रैली ने बढ़ाया आलाकमान की नजर में गहलोत-डोटासरा का कद...

जून में पायलट ने फिर से उठाई मांग

संगठन में पायलट कैंप के नेताओं को स्थान तो मिला, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ था. पद से हटे बागी मंत्रियों को दोबारा कोई पद नहीं दिया गया था और न ही पायलट को कोई विशेष जिम्मेदारी से नवाजा गया था. ऐसे में जून 2021 में सचिन पायलट ने फिर अपनी आवाज उठाई. दिल्ली दरबार में गुहार लगाई और पंजाब का हवाला दे मरुभूमि की बात बताई. पायलट ने कहा- जब पंजाब के लिए बनी कमेटी की सुनवाई कुछ महीनों में पूरी हो सकती है तो राजस्थान के मसलों को सुनने के लिए बनी कमेटी अब तक कोई निर्णय क्यों नहीं कर पा रही है? सियासत में बिन कहे बहुत कुछ कह देने में ही बड़े संकेत छुपे होते हैं. बस फिर कांग्रेस में हलचल पैदा हो गई.

आलाकमान से मिले पायलट

सचिन पायलट के आवाज उठाने का असर रहा कि कांग्रेस आलाकमान सक्रिय हुआ. सितंबर महीने में एक के बाद एक कर सचिन पायलट की प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी (Sachin Pilot Meeting With Sonia Gandhi) से मुलाकात हुई. दिल्ली से राजस्थान में कैबिनेट विस्तार को लेकर खाका कुछ-कुछ तैयार कर लिया गया. सचिन पायलट पहले प्रियंका गांधी (Pilot Meeting with Priyanka Gandhi) और राहुल गांधी से मिले फिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हुई.

...और चल पड़ा मुलाकातों का दौर

प्रदेश प्रभारी अजय माकन, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस के तमाम पदाधिकारी कैबिनेट विस्तार की बात छिपे-ढके अंदाज में कहते रहे. इस बीच सोनिया गांधी के साथ मुलाकातों का दौर भी जारी रहा. फिर आलाकमान से मिले प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. दोनों के बीच लम्बी बातचीत हुई और इस बैठक के बाद ही कैबिनेट विस्तार पर मुहर लगी.

ये भी पढ़ें- हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी : अशोक गहलोत ने 'छद्म' जोड़कर की राहुल गांधी के 'हिंदुत्व' की रक्षा !

ये भी पढ़ें-Rahul Gandhi in Mehangai Hatao Rally: 'मैं हिन्दू हूं लेकिन हिन्दुत्ववादी नहीं, क्योंकि हिन्दू को सत्य चाहिए और हिन्दुत्ववादी को सत्ता'

ये भी पढ़ें-Politics on Hindutva : हिन्दुत्ववादी के मायने सियासी या मजहबी...जयपुर में 'राहुल राग' की क्या होगी राह ?

पायलट कैंप को जगह पर CM ने अपने मंत्रियों को नहीं किया ड्रॉप

6 महीने के इंतजार के बाद आखिर 21 नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट का विस्तार (Ashok gehlot Cabinet Expansion) कर दिया. इस कैबिनेट में सचिन पायलट ने अपने 5 विधायकों को मंत्री (Pilot on Cabinet Expansion ) बनवाया. जिनमें रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह भी शामिल रहे. ये वही नेता थे, जिन्हें सचिन पायलट के साथ जुलाई 2020 में बर्खास्त कर दिया गया था. खास बात यह रही कि भले ही सचिन पायलट कैंप के रमेश मीणा, मुरारी लाल मीणा, हेमाराम चौधरी, विश्वेंद्र सिंह और विजेंद्र ओला मंत्री बने हों, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने किसी मंत्री को ड्रॉप नहीं होने दिया.

गहलोत ने की 80 वाली बात

राजस्थान में कैबिनेट विस्तार के बाद लगने लगा कि अब कांग्रेस में सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कैबिनेट विस्तार के बाद पहले कांग्रेस मुख्यालय पर हुई बैठक और फिर उसके बाद मुख्यमंत्री आवास पर हुई अजय माकन और केसी वेणुगोपाल के सामने ही अनौपचारिक बैठक में गहलोत जो कह गए वो माथे में त्योरियां चढ़ाने के लिए काफी था, सीएम के वार पर तुरंत पलटवार भी हुआ. CM, पायलट कैंप के विधायकों का नाम लेकर यह कह गए कि 19 लोग तो चले गए थे, सरकार तो 80 कांग्रेस, निर्दलीयों और 6 बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के कारण बची थी नहीं तो न आज सरकार होती और न हम मंत्रिमंडल की बैठक कर रहे होते. हालांकि इस बैठक में हंसते हुए ही सही लेकिन पायलट कैंप के मंत्री मुरारी लाल मीणा ने भी यह कह दिया कि अब तो बार-बार ऐसी बातें करना बंद कर दीजिए मुख्यमंत्री जी.

महंगाई हटाओ रैली में सचिन पायलट को मिला स्थान

12 दिसंबर को जयपुर में हुई महंगाई के खिलाफ रैली में (Congress Mehangai Hatao Rally) सचिन पायलट एकमात्र वह नेता रहे जो किसी पद पर न होने के बावजूद भी मुख्य मंच पर भी बैठे और भाषण भी दिया. इतना ही काफी था संकेत देने के लिए. सियासी संदेश कि पायलट की उड़ान अभी खत्म नहीं हुई है. पंख मजबूत हैं और जान अभी बाकी है.

सवाल फिर भी कई

भले ही पायलट कैंप के लोगों को संगठन और सत्ता में भागीदारी राजस्थान में मिल गई हो, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि साल 2021 में भी सचिन पायलट को कांग्रेस पार्टी में कोई पद नहीं मिला है. इसे पायलट का पार्टी के प्रति समर्पण कहा जाए, जिद्द या फिर राजस्थान न छोड़ने की दृढ़ इच्छा लेकिन वो फिलहाल राजस्थान कांग्रेस की एक धुरी बने हुए हैं. तुम डाल-डाल मैं पात-पात की तर्ज पर विभिन्न मंचों से कटाक्ष या मैसेज प्रेषित करने का प्रयोग जारी है. तभी तो 2 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब कहते हैं कि मुझे अगले 15-20 साल तक कुछ नहीं होगा कोई कुछ भी सोचे लेकिन मैं अगली बार भी शांति धारीवाल को यूडीएच मंत्री बनाऊंगा. तो साल का अंत आते-आते पायलट (Gehlot Vs Pilot) अपनी गायिकी से मैसेज दे देते हैं कि जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां...

Last Updated : Dec 22, 2021, 2:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.