जयपुर. प्रदेश में सहकारी समितियों के सदस्यों को दो बार से ज्यादा लगातार चुने जाने का अधिकार अब मिल सकेगा. विधानसभा में मंगलवार को राजस्थान सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक 2022 हंगामे के बीच पारित (Cooperative Societies Amendment Bill 2022 passed) किया गया. इसके बाद अब समिति के सदस्यों को दो बार चुने जाने के बाद 5 साल का अंतर रखना जरूरी नहीं होगा. क्योंकि संशोधन के जरिए कानून में से इस नियम को हटा दिया गया है. हालांकि मौजूदा संशोधन को भाजपा ने खोटा कानून करार दिया है.
मंगलवार को सदन में इस संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान खासा हंगामा भी हुआ. दरअसल विधेयक पर बोलने के लिए विधायकों के क्रम में परिवर्तन के आरोप को लेकर भाजपा विधायकों ने वेल में हंगामा किया. आसन पर मौजूद सभापति जेपी चंदेलिया ने इस विधेयक पर बोलने के लिए सबसे पहले प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ को मौका दिया और उसके बाद निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा का नाम पुकारा. जिस पर भाजपा विधायकों ने आपत्ति दर्ज कराई.
भाजपा का आरोप था कि चर्चा में बोलने वालों का क्रम पहले से तय था, लेकिन उसे तोड़ते हुए सभापति ने निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा को बोलने का मौका दिया. हालांकि हंगामा बढ़ा तो सभापति ने भाजपा विधायक अशोक लाहोटी का नाम पुकार लिया. लेकिन फिर लाहोटी और संयम लोढ़ा के बीच ही बोलने को लेकर तकरार शुरू हो गई. इस बीच विधानसभा अध्यक्ष ने आकर मोर्चा संभाला और शांत करने का प्रयास किया, लेकिन हंगामा नहीं रुका तो विधेयक को हंगामे के बीच में पारित करवा दिया. इस बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने आसन पर विधायकों के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया.
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सहकारी संस्थाओं को कमजोर करने वाला कानूनः विधेयक पर चर्चा में शामिल (BJP against Cooperative Societies Amendment Bill) हुए राजेन्द्र राठौड़ ने मौजूदा संशोधन को सहकारी संस्थाओं को कमजोर करने वाला बताया. उन्होंने कहा कि चुनाव में कांग्रेस दोहरे मापदंड अपनाती है, जन घोषणा पत्र में सहकारी समितियों के चुनाव करवाने का वादा किया, लेकिन इतने साल बीतने के बाद अब यह चुनाव शुरू हुए हैं.
राठौड़ ने कहा ग्राम सेवा सहकारी समितियों में चुनाव की आचार संहिता लगी है, लेकिन कुछ ही सहायक व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग का काम करवाया जा रहा है. राठौड़ ने सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना की तरफ इशारा करते हुए कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी में अध्यक्ष जिला कलेक्टर होता है और संबंधित समिति का अध्यक्ष भी इसका सदस्य होता है. कहीं इस काम में सरकार पर कालिख न लग जाए इसका ध्यान रखा जाना चाहिए.
दिव्या मदेरणा ने साक्षरता की शर्त हटाने का दिया सुझावः कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने विधेयक पर चर्चा के दौरान ग्राम सेवा सहकारी समितियों में चुनाव लड़ रहे लोगों के पास आठवीं की मार्कशीट नहीं होने की बात कही. साथ ही इन चुनावों में साक्षरता की शर्त हटाने का भी सुझाव दिया. इस बीच भाजपा विधायक विधायक को जनमत जानने के लिए भेजने की मांग करने लगे, लेकिन सदन में सत्ता पक्ष ने विधेयक पास करवा लिया.