जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चुनावों के दौरान मुफ्त सुविधाएं बांटने की प्रथा पर लगाम लगाने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा है कि राजनीतिक दलों की ओर से सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त सुविधाएं देने के वादों पर नियंत्रण होना चाहिए. सरकार की तरफ से दी जा रही सब्सिडी या रियायत के कारण राजस्थान में कई योजनाएं मौजूदा दौर में जारी है. आरबीआई की तरफ से जारी एक बुलेटिन में इन योजनाओं को लेकर सरकारों की आर्थिक स्थिति पर रोशनी डाली गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त के चुनावी वादों के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की.
केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगने के साथ कोर्ट ने 3 अगस्त को आगे सुनवाई तय की है. याचिका में कहा गया है कि सार्वजनिक कोष से चीजें मुफ्त में देने के वादे पर रोक लगाई जाए. इस बीच ईटीवी भारत ने आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ अनिल कुमार यादव से बातचीत की और समझने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के नजरिए से राजस्थान में फिलहाल कौन सी ऐसी योजनाएं हैं, जिनसे सरकार की आर्थिक हालत पर जोर पड़ रहा है.
वर्तमान अशोक गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान जो फैसले लिए हैं, उनमें किसानों की कर्ज माफी, बिजली के बिलों में 50 यूनिट तक सब्सिडी और रोडवेज में फ्री यात्रा जैसी स्कीम्स शामिल है. ऐसा नहीं है कि अशोक गहलोत सरकार ही यह कदम उठा रही है. इससे पहले राज्य में वसुंधरा राजे सरकार के दौर में भी किसानों की कर्ज माफी, विशेष अवसर पर रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा जैसे फैसले लिए गए थे. तो वहीं पीडब्ल्यूडी के तहत आने वाले राज्य के हाईवे पर टोल में छूट जैसे प्रावधान भी किए गए थे, जिनका सीधा असर राजस्व पर पड़ा या फिर सरकार को इन खर्चों की भरपाई करनी पड़ी.
गहलोत सरकार के अहम फैसले
- मुफ्त बिजली : बजट में 50 यूनिट तक फ्री बिजली का ऐलान. 6 हजार करोड़ का भार.
- किसान कर्जमाफी : कांग्रेस सत्ता में आई. इसके बाद सहकारी बैंकों के किसानों का किसान कर्जमाफी के नाम पर 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया.
- मोबाइल फोन : 1.33 करोड़ महिलाओं को फ्री मोबाइल बांटने जा रही है. बजट ढाई हजार करोड़ से बढ़ाकर 12,500 करोड़ रुपए किया जा रहा है.
- राजस्थान रोडवेज में रक्षाबंधन, महिला दिवस और विभिन्न सरकारी भर्ती की परीक्षाओं में आने वाले अभ्यर्थियों के लिए मुफ्त सफर के दौरान 140 करोड़ रुपए का भार आ रहा है.
- मुफ्त दवा और जांच योजना के तहत फिलहाल 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा का भार राजस्थान सरकार उठा रही है.
यूं हुआ बिजली बिलों में राहत का खेल- अपने आखिरी बजट के दौरान अशोक गहलोत सरकार ने बिजली के बिलों में बड़ी राहत का एलान किया था. राज्य सरकार ने 1.18 करोड़ उपभोक्ताओं को बिजली बिल में छूट की घोषणा की थी. घरेलू उपभोक्ताओं को बिल 175 से 750 रुपए तक छूट (सब्सिडी) मिल रही है. इसमें 300 यूनिट से ज्यादा बिजली उपभोग करने वाले उपभोक्ता भी शामिल है, जिन्हें स्लैबवार बिल में छूट दी जा रही है. इससे बीपीएल और छोटे घरेलू श्रेणी के 50 यूनिट तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं का तो विद्युत शुल्क शून्य हो गया है. हालांकि, इसमें फिक्स चार्ज, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी और शहरी सेस जुड़कर आएगा.
रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा का भार- राज्य में परीक्षार्थियों को नि:शुल्क यात्रा करवाने पर सरकार सालाना 140 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. इसके अलावा राखी पर महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा और महिला दिवस पर भी मुफ्त यात्रा जैसे प्रावधान राजस्थान रोडवेज में सरकार की तरफ से किए गए हैं. हाल ही में आयोजित की गई कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान 6 दिन में लगभग 22 करोड़ रुपए रोडवेज को राजस्थान सरकार की तरफ से भुगतान किए गए थे. वहीं, विकलांगों और गंभीर मरीजों सहित विभिन्न 38 श्रेणियों में नि:शुल्क यात्रा या किराए में कुछ छूट भी सरकार दे रही है. राज्य में इसके पहले साक्षात्कार वाले अभ्यर्थियों को रोडवेज बसों में नि:शुल्क यात्रा की शुरुआत पिछली भाजपा सरकार ने की थी.
किस मद में किया जा रहा कितना खर्च
- महिला दिवस और रक्षाबंधन पर महिलाओं की नि:शुल्क यात्रा पर : 4-5 करोड़ रुपए.
- साक्षात्कार देने वाले अभ्यर्थियों पर : 30 लाख रुपए.
- विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के दौरान अभ्यर्थियों के लिए मुफ्त यात्रा पर 40 करोड़ से ऊपर का खर्च.
- गंभीर रोगी, विकलांग सहित विभिन्न श्रेणियों में नि:शुल्क यात्रा व छूट पर : 10-11 करोड़ रुपए प्रतिमाह.
- राजस्थान पुलिस भर्ती 2022 के लिए 6 दिनों की यात्रा का पूरा खर्च रोडवेज पर तकरीबन 22 करोड़ रुपए आया.
मुफ्त दवा और जांच पर 3100 करोड़ रुपए खर्च- प्रदेश में 2011 से निशुल्क दवा योजना शुरू की गई थी. तब 96 दवाइयों के साथ 2015 तक इसका सालाना बजट 311 करोड़ रुपए था. इसके बाद निशुल्क दवाइयों का दायरा 374, इसके बाद 591 और 712 तक किया गया. अभी फ्री दवाएं 986 हैं. अब नया सालाना फ्री हेल्थ स्कीम का बजट 3100 करोड़ रुपए है.
राजस्थान में सरकार की तरफ से जारी विभिन्न योजनाओं के तहत सैकड़ों करोड़ रुपए के खर्च की यह तस्वीर यह साफ कर देती है कि सरकारों की मंशा जनकल्याण के बीच में लोकलुभावन घोषणाओं पर भी हैं. भले ही इन योजनाओं से प्रदेश की सेहत पर फर्क क्यों न पड़े ऐसे हालात में जरूरी है कि सरकार विकास के कामों और योजनाओं पर पूरा फोकस रखें.