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कर्मचारी संगठन बढ़ाएंगे गहलोत सरकार की मुश्किलें, लंबित मांगों को लेकर खोला मोर्चा

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Published : Aug 4, 2021, 5:53 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 11:22 PM IST

राजस्थान में जारी सियासी संकट ने गहलोत सरकार की मुश्किलों को पहले से ही बढ़ा रखा है. इस बीच लंबित मांगों का निराकरण नहीं होने पर अब कर्मचारी संगठन भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने में जुट गए हैं.

warns of agitation,  Rajasthan Government
राज्य कर्मचारियों ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा.

जयपुर. राज्य की गहलोत सरकार एक तरफ जहां सियासी चालों को उलझी हुई है. वहीं दूसरी तरफ राज्य के कर्मचारी संगठन भी अब अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ (एकीकृत) ने लंबित मांगों का निस्तारण नहीं होने पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. महासंघ के पदाधिकारियों ने सीएम अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर से आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत से करीब 7 लाख राज्य कर्मचारी जुड़े हुए हैं. महासंघ के पदाधिकारियों ने बुधवार को प्रेसवार्ता करते हुए साफ कहा है कि यदि 27 सूत्रीय मांग पत्र पर सरकार जल्द कोई निर्णय नहीं लेती है तो आंदोलन किया जाएगा. पदाधिकारियों ने कहा कि ये मांगें लंबे समय से लंबित पड़ी हैं. इनमें वित्तीय और गैर वित्तीय दोनों तरह की मांगें शामिल हैं. महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह चांपावत ने कहा कि कोरोना काल में महासंघ से जुड़े मेडिकल, शिक्षा व अन्य विभागों के कर्मचारियों ने मेहनत करके बेहतर प्रबंधन किया. जिसकी तारीफ पूरे देश में हुई.

पढ़ेंः नर्सिंग कर्मियों का पोस्टिंग ऑर्डर निरस्त, स्वास्थ्य भवन में किया प्रदर्शन

दूसरी तरफ सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद भी कर्मचारियों की मांगें जस की तस लंबित हैं. इन मांगों का सरकार ने अब तक कोई समाधान नहीं किया है. कर्मचारियों ने संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए गठित कमेटी की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लेने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि जलदाय मंत्री बी.डी. कल्ला की अध्यक्षता में ये कमेटी बनी हुई है. महासंघ के पदाधिकारियों ने बताया कि संवाद के दौरान सीएम गहलोत ने मांगों के समाधान का आश्वासन दिया था. लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ. पदाधिकारियों ने कहा कि सीएम ने खुद कर्मचारियों को बुलाकर उनकी मांगों पर चर्चा करने की बात कही थी. लेकिन आज भी मांगें लंबित पड़ी हैं.

पढ़ेंः राजस्थान सरकार कर रही वेतन कटौती की तैयारी...कर्मचारियों ने खोला मोर्चा, कहा- स्वैच्छिक हो वेतन कटौती

पदाधिकारियों ने कहा कि सामंत कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद भी अब तक उसे सार्वजनिक नहीं की गई है. इससे भी राज्य कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है. चांपावत ने कहा कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की ग्रेड पे 3600 नहीं करने से कर्मचारियों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है. साथ ही कर्मचारियों ने न्यू पेंशन स्कीम को लेकर भी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि विधायकों की पेंशन है लेकिन राज्य कर्मचारियों की कोई पेंशन नहीं बन रही.

आपको बता दें कि गहलोत सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद भी अभी तक कई कर्मचारी संगठनों की मांगों का समाधान नहीं हुआ है. पटवारियों ने भी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय तक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और उन्हें भी आश्वासन ही मिला है. वर्तमान में भी राजस्थान पटवार संघ लिखित आश्वासन के लिए लगातार सचिवालय के चक्कर काट रहा है. इसके अलावा राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति के बैनर तले भी कर्मचारी लगातार सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने सरकार के खिलाफ महारैली निकालने और महापड़ाव डालने की चेतावनी दी है. अब अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आंदोलन की चेतावनी दी है.

जयपुर. राज्य की गहलोत सरकार एक तरफ जहां सियासी चालों को उलझी हुई है. वहीं दूसरी तरफ राज्य के कर्मचारी संगठन भी अब अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ (एकीकृत) ने लंबित मांगों का निस्तारण नहीं होने पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. महासंघ के पदाधिकारियों ने सीएम अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर से आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत से करीब 7 लाख राज्य कर्मचारी जुड़े हुए हैं. महासंघ के पदाधिकारियों ने बुधवार को प्रेसवार्ता करते हुए साफ कहा है कि यदि 27 सूत्रीय मांग पत्र पर सरकार जल्द कोई निर्णय नहीं लेती है तो आंदोलन किया जाएगा. पदाधिकारियों ने कहा कि ये मांगें लंबे समय से लंबित पड़ी हैं. इनमें वित्तीय और गैर वित्तीय दोनों तरह की मांगें शामिल हैं. महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह चांपावत ने कहा कि कोरोना काल में महासंघ से जुड़े मेडिकल, शिक्षा व अन्य विभागों के कर्मचारियों ने मेहनत करके बेहतर प्रबंधन किया. जिसकी तारीफ पूरे देश में हुई.

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दूसरी तरफ सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद भी कर्मचारियों की मांगें जस की तस लंबित हैं. इन मांगों का सरकार ने अब तक कोई समाधान नहीं किया है. कर्मचारियों ने संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए गठित कमेटी की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लेने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि जलदाय मंत्री बी.डी. कल्ला की अध्यक्षता में ये कमेटी बनी हुई है. महासंघ के पदाधिकारियों ने बताया कि संवाद के दौरान सीएम गहलोत ने मांगों के समाधान का आश्वासन दिया था. लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ. पदाधिकारियों ने कहा कि सीएम ने खुद कर्मचारियों को बुलाकर उनकी मांगों पर चर्चा करने की बात कही थी. लेकिन आज भी मांगें लंबित पड़ी हैं.

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पदाधिकारियों ने कहा कि सामंत कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद भी अब तक उसे सार्वजनिक नहीं की गई है. इससे भी राज्य कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है. चांपावत ने कहा कि मंत्रालयिक कर्मचारियों की ग्रेड पे 3600 नहीं करने से कर्मचारियों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है. साथ ही कर्मचारियों ने न्यू पेंशन स्कीम को लेकर भी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि विधायकों की पेंशन है लेकिन राज्य कर्मचारियों की कोई पेंशन नहीं बन रही.

आपको बता दें कि गहलोत सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद भी अभी तक कई कर्मचारी संगठनों की मांगों का समाधान नहीं हुआ है. पटवारियों ने भी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय तक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और उन्हें भी आश्वासन ही मिला है. वर्तमान में भी राजस्थान पटवार संघ लिखित आश्वासन के लिए लगातार सचिवालय के चक्कर काट रहा है. इसके अलावा राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति के बैनर तले भी कर्मचारी लगातार सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने सरकार के खिलाफ महारैली निकालने और महापड़ाव डालने की चेतावनी दी है. अब अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आंदोलन की चेतावनी दी है.

Last Updated : Aug 4, 2021, 11:22 PM IST
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