जयपुर. कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान से राज्यसभा चुनाव (Rajasthan Rajyasabha Election) के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे. भले ही दिखने में ही लगे की कांग्रेस के बड़े नेताओं को राजस्थान से मौका दिए जाने पर अब दिल्ली में राजस्थान की बात बेहतर उठाई जाएगी, लेकिन तीन में से एक भी राजस्थानी को राजस्थान से राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर विवाद भी शुरू हो गया है. विवाद शुरू हो गया है कि क्या कांग्रेस पार्टी के पास राजस्थान में एक भी ऐसा नेता नहीं था जो राज्यसभा जा सके. जबकि राजस्थान के कई नेता राज्यसभा जाने के लिए अपनी दावेदारी जता रहे थे.
डोटासरा ने दी सबसे पहले बधाई: सोशल मीडिया में इसे लेकर अब जबरदस्त विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं. हालात यह है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को छोड़ किसी नेता ने सोशल मीडिया पर ट्रोल होने से बचने के लिए इन तीनों नेताओं के पक्ष में पोस्ट नहीं डाली. एकमात्र गोविंद डोटासरा ने तीनों नेताओं को बधाई दी. सीएम अशोक गहलोत भी प्रत्याशियों के घोषणा के करीब 10 घंटे बाद बधाई दी. वहीं, लोगों ने तीनों बाहरी नेताओं को राजस्थान से राज्यसभा टिकट दिए जाने का जबरदस्त विरोध किया.
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संयम लोढ़ा ने पूछा क्यों किसी राजस्थानी को नहीं बनाया उम्मीदवार- राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा टिकट जारी होने के साथ ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं और मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए कि राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता/कार्यकर्ता को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नही बनाने के क्या कारण हैं? उधर, मुख्यमंत्री के करीबी कांग्रेस नेता राजीव अरोड़ा ने संयम लोढ़ा के इस ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा कि मेरे मित्र संयम लोढा अखबारों के अनुसार सबसे पहले आपने ही तीन उम्मीदवार बाहर के लाने की सलाह दी थी. आपकी राय को काफी महत्व मिला लगता है, बस नाम बदल गए. आपको तो प्रसन्न होने चाहिए.
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बता दें कि संयम लोढ़ा ने प्रियंका गांधी, कुमार विश्वास और कन्हैया कुमार को राज्यसभा भेजे जाने की वकालत की थी वो भी राजस्थान के नहीं थे. संयम लोढ़ा ने भी राजीव अरोड़ा को वापस जवाब देते हुए कहा कि मैंने राय राष्ट्रीय संदर्भ में दी थी जो न दिल्ली को समझ में आई और न ही मेरे बड़े भाई राजीव अरोड़ा को.
कैसे लागू होगा उदयपुर संकल्प- राजस्थान से पार्टी ने जिन तीन नेताओं को राज्यसभा का टिकट दिया है वे तीनों ही नेता 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं. यानि पार्टी ने किसी भी युवा पर अपना भरोसा नहीं जताया है. प्रमोद तिवारी (70), मुकुल वासनिक (63) और रणदीप सुरजेवाला (54) साल के हैं. ऐसे में 50 से कम उम्र वाले नेताओं को आगे बढ़ाने वाला कांग्रेस का उदयपुर नव संकल्प कैसे कांग्रेस पार्टी में लागू होगा, इस पर भी सवाल खड़े हुए हैं.
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मेरी तपस्या में रही होगी कमी- राज्यसभा में बाहरी नेताओं को मौका दिए जाने पर राजस्थान में तो विवाद खड़ा हो ही गया है लेकिन जिन राष्ट्रीय नेताओं को कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा जाने का मौका नहीं दिया है वे भी अब नाराजगी दिखाने लगे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने राज्यसभा में उम्मीदवार नहीं बनाए जाने पर लिखा कि शायद मेरी तपस्या में कमी रही होगी. तो वहीं नगमा ने तो महाराष्ट्र से कांग्रेस उम्मीदवार बनाए गए इमरान प्रतापगढ़ी का नाम लिखते हुए कहा कि हमारी तपस्या भी इमरान प्रतापगढ़ी के आगे कम पड़ गई.
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तीनों उम्मीदवार जीते तो राजस्थान से कांग्रेस के 6 राज्यसभा सांसद होंगे लेकिन...- प्रदेश में राज्यसभा की 4 सीटों के लिए चुनाव होना है. कांग्रेस इनमें से 3 सीटों पर अपनी दावेदारी जता रही है. प्रत्येक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोटों की जरूरत है. कांग्रेस को विश्वास है कि निर्दलीयों के साथ ही सहयोगी दल उसके साथ आएंगे. कांग्रेस अगर 3 सीटें जीतती है तो कांग्रेस से राज्यसभा में राज्य के बाहर के 5 नेता हो जाएंगे. वर्तमान में डॉ. मनमोहन सिंह, केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं. इनमें केवल नीरज डांगी ही राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं. अगर इन चुनावों में तीन और नेता कांग्रेस के राज्यसभा में जाते हैं तो 6 में से भी केवल एक नीरज डांगी ही राजस्थान से राज्यसभा सांसद होंगे बाकी पांच बाहरी नेता.