जयपुर. कहा जाता है कि राजनीति में न तो दोस्त स्थाई होते हैं न ही दुश्मन. ऐसे में राजनीति में अक्सर समय के हिसाब से नेता दोस्ती और दुश्मनी रखते हैं, जो समय के साथ ही परिवर्तित भी हो जाती है. कब कौन किसका दोस्त बन जाए और कब कौन किसका दुश्मन, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. अब यही नजारे राजस्थान की राजनीति (Rajasthan Politics) में भी देखने को मिल रहे हैं, जहां एक ओर अंदर खाने में गहलोत गुट और पायलट गुट (Gehlot Vs Pilot) आमने-सामने हैं.
अगर पायलट कैंप के विधायक कुछ कहते हैं तो उनको जवाब देने के लिए गहलोत गुट के विधायक भी सामने आ जाते हैं. इन बयानबाजियों के बीच गहलोत और पायलट ने अब अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है. जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने इसकी शुरुआत करते हुए पहले इंद्राज गुर्जर को उनके विधानसभा में किए गए कामों के नाम पर साधने का प्रयास किया तो वहीं इसके बाद पायलट कैंप (Pilot Camp) के कट्टर समर्थक रहे विश्वेंद्र सिंह और पीआर मीणा को भी गहलोत ने साधने का काम किया है, जो सचिन पायलट के कट्टर समर्थक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के धुर विरोधी माने जाते रहे हैं.
गहलोत गुट के विधायक ने किया पायलट का जोरदार स्वागत...
अब गहलोत के रास्ते पर ही राजस्थान कांग्रेस के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) भी चल पड़े हैं और उन्होंने भी अब गहलोत गुट के नेताओं को साधने का प्रयास शुरू कर दिया है. यही कारण है कि रविवार को सचिन पायलट दिल्ली जाने से पहले अलवर पहुंचे तो वह रास्ते में कठूमर रुके, जहां उन्होंने गहलोत गुट के विधायक बाबूलाल बैरवा से मुलाकात करने उनके निवास पर पहुंच गए. बैरवा ने उनका जबरदस्त स्वागत भी किया.
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इसके बाद सचिन पायलट राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ विधायक जौहरी लाल मीणा (Johari Lal Meena) के आवास पहुंचे, जहां उन्होंने जौहरी लाल मीणा की दिवंगत पत्नी को श्रद्धांजलि दी. वहीं, सचिन पायलट जब किशनगढ़ बास विधानसभा से निकल रहे थे तो बसपा (BSP) से कांग्रेस में आए विधायक दीपचंद खेरिया के समर्थकों के कहने पर वह उनके कार्यालय में भी गए. भले ही दीपचंद खेरिया उनके कार्यालय में मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके समर्थकों ने जिस तरीके से पहले सचिन पायलट का स्वागत किया और फिर उसके बाद उन्हें दीपचंद खेरिया के कार्यालय में भी ले गए, जहां उन्होंने विधायक के बेटे लोकेश खेरिया के जन्मदिन का केक भी कटवाया.
जमीनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश...
आपको बता दें कि बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने सचिन पायलट कैंप के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है, लेकिन दीपचंद खैरिया ने बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की बैठकों में नहीं आए थे. राजस्थान में राजनीतिक उठापटक के बीच अब चाहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हों या फिर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, दोनों ने ही एक दूसरे के गुटों में सेंध लगाने का काम शुरू कर दिया है. भले ही विधायक अपने नेताओं के प्रति अपनी आस्था दिखा रहे हों, लेकिन राजनीति में जनता के बीच जो मैसेज आता है वही हकीकत माना जाता है.
राजनीति में ऊंट अब किस ओर करवट ले रहा है ?
गहलोत की सेंधमारी के बाद जहां इंद्राज गुर्जर और पीआर मीणा ने लाख सफाई दी हो, लेकिन उन्हें लेकर अब पायलट कैंप में शक शुरू हो गया है. वहीं, दीपचंद खेरिया ने भले ही कल यह कह दिया हो कि वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं, लेकिन पायलट का उनके निवास पर जाना और उन्हीं के समर्थकों का पायलट का जोरदार स्वागत करना, इशारा कर रहा है कि राजस्थान में ऊंट अब दूसरी ओर करवट ले रहा है.