जयपुर: वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव और फिर अलवर-धौलपुर पंचायतराज चुनाव में हार का दंश झेल चुकी भाजपा की निगाहें 4 जिलों में पंचायत राज चुनाव (Rajasthan Panchayat Raj Election 2021) के आज आने वाले नतीजों पर टिकी है. श्रीगंगानगर,करौली, कोटा और बारां जिलों के पंचायत राज चुनावों में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया सहित भाजपा (BJP In Rajasthan Panchayat Election 2021) के 4 सांसद और 7 विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है.
4 जिलों की 20 विस.में से 7 पर भाजपा विधायक काबिज
जिन 4 जिलों में ये पंचायत राज चुनाव हुए हैं (Rajasthan Panchayat Raj Election 2021) उस क्षेत्र में कुल 20 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से महज 7 पर बीजेपी के विधायक हैं जबकि अधिकतर स्थानों पर कांग्रेस के विधायक काबिज हैं. इनमें करौली में तो 4 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का 1 भी विधायक नहीं है तो बारां जिले की 4 में से महज 1 विधानसभा सीट (छबड़ा में) भाजपा विधायक है. श्रीगंगानगर और कोटा जिले में आने वाली 6-6 विधानसभा क्षेत्रों में से 3-3 पर भाजपा और कांग्रेस के विधायक काबिज हैं. इन चुनावों में अधिकतर जिम्मेदारी क्षेत्रीय विधायक संभालते हैं. आंकड़ों को ध्यान में रखें तो साफ दिखता है कि यहां पर भाजपा की स्थिति कांग्रेस की तुलना में कमजोर (BJP In Rajasthan Panchayat Election 2021) है क्योंकि विधायक कांग्रेस के ज्यादा हैं.
इन मौजूदा भाजपा विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर
जिन चार जिलों के पंचायत राज चुनाव के परिणाम आने हैं उनमें करौली में भाजपा का कोई विधायक नहीं है. लेकिन कोटा जिले में कोटा साउथ से संदीप शर्मा, लाडपुरा से कल्पना देवी, रामगंज मंडी से मदन दिलावर विधायक हैं. श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ से रामप्रताप कासनिया, रायसिंहनगर से बलबीर लूथरा और अनूपगढ़ से संतोष बावरी भाजपा विधायक हैं. बारां जिले में एकमात्र छबड़ा विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक प्रतापसिंह सिंघवी हैं. इन 7 विधायकों की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर दांव पर लगी है.
ओम बिरला सहित 4 सांसद और इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
4 जिलों में हुए ये चुनाव भले ही छोटे हों लेकिन इसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla Reputation at Stake In Rajasthan Panchayat Election 2021) सहित भाजपा के 4 मौजूदा सांसद और 7 मौजूदा विधायकों सहित कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. कोटा संसदीय क्षेत्र से ओम बिरला सांसद हैं. वही बारां-झालावाड़ से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह मौजूदा सांसद हैं. इसी तरह करौली-धौलपुर से डॉ मनोज राजोरिया और श्रीगंगानगर से पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद निहालचंद मेघवाल हैं. मतलब उन चारों ही सांसदों की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर दांव पर लगी है. इसके अलावा पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर डॉ सतीश पूनिया (BJP State President Satish Poonia) की प्रतिष्ठा और साख भी इस गांव के दंगल में दांव पर लगी है. मतलब पंचायत राज चुनाव का परिणाम यदि निराशाजनक रहा तो सीधे तौर पर इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा और सियासी कद कम होगा.
पिछले पंचायत चुनाव में 4 में से 3 जिलों में भाजपा की स्थिति रही थी कमजोर
प्रदेश में करौली,श्रीगंगानगर,कोटा और बारां जिलों में साल 2015 में हुए पंचायत राज चुनाव की स्थिति देखी जाए तो तब श्रीगंगानगर जिले को छोड़ अन्य 3 जिलों में कांग्रेस का पलड़ा यहां भारी रहा था. पिछले चुनाव में बारां और श्रीगंगानगर में भाजपा का जिला प्रमुख बना था तो वहीं करौली और कोटा में कांग्रेस का जिला प्रमुख बना था. इन चारों ही जिलों में कुल 27 पंचायत समितियां थी जिनमें 16 पंचायत समितियों में कांग्रेस के प्रधान बने थे जबकि 10 पंचायत समितियों में भाजपा अपना प्रधान बनाने में कामयाब रही थी. हालांकि अब 3 नई पंचायत समितियां और बन चुकी है. इन 4 जिलों में कुल 30 पंचायत समितियां हैं जिसमें चुनाव हुए हैं,इसका परिणाम आज आएगा.
साल 2015 चुनाव में पंचायत समितियों में किसका था दबदबा देखें
कोटा- कुल 5 पंचायत समितियों में से 2 में भाजपा और तीन में कांग्रेस का कब्जा था. यहां तीन पंचायत समितियों में कांग्रेस का प्रधान बना.
करौली- कुल 6 पंचायत समितियों में 2 में भाजपा और 4 में कांग्रेस का प्रधान बना.
श्रीगंगानगर- कुल 9 पंचायत समितियों में से 5 में भाजपा और 3 में कांग्रेस का दबदबा रहा. 1 पंचायत समिति निर्दलीय के खाते में रही.
बारां- जिले की कुल 7 पंचायत समितियों में से एक पर भाजपा जबकि 6 पर कांग्रेस का कब्जा रहा और प्रधान बने.