जयपुर. जेल प्रशासन ने ऑपरेशन फ्लश ऑउट के दौरान प्रदेश के विभिन्न जेलों से 150 मोबाइल फोन बरामद किए हैं. इसके साथ ही हार्डकोर कैदियों को भी लंबे समय तक एक ही जिले की जेल में नहीं रखा जा रहा है. बार-बार उनको दूसरे जिलों की जेलों में ट्रांसफर किया जा रहा है.
डीजी जेल राजीव दासोत ने बताया कि हार्डकोर बंदियों को कंफर्ट जोन से बाहर निकाल कर दूसरे जिलों की जेल में ट्रांसफर किया जा रहा है. साथ ही जेल विभाग की सख्ती के चलते जेल में मोबाइल का इस्तेमाल रुक गया है. ऐसे में हार्डकोर बंदियों में काफी बौखलाहट है. जेल विभाग ने ऑपरेशन फ्लश ऑउट चलाकर प्रतिबंधित वस्तुएं बरामद की हैं. साथ ही जेल तक ऐसी वस्तुएं पहुंचाने वाले जेल कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी एक्शन लिया गया है.
डीजी जेल राजीव दासोत ने बताया कि ऐसे हार्डकोर क्रिमिनल जो जेलों के अंदर लीडर बन कर बैठे हुए थे और मोबाइल का इस्तेमाल कर अपने नेटवर्क का संचालन कर रहे थे उन्हें जेल विभाग शिफ्ट कर रहा है. लगभग 70 हार्डकोर क्रिमिनल जिनमें लॉरेंस बिश्नोई, राजू ठेठ और आनंदपाल गैंग से जुड़े हुए हार्डकोर क्रिमिनल को दूसरी जेलों में शिफ्ट किया गया है.
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हार्डकोर बंदियों से मोबाइल फोन बरामद करने के बाद अब जेल से संचालित होने वाली अपराधिक गतिविधियों की सूचनाएं भी लगभग नगण्य हो गई हैं. जिसके चलते पुलिस ने भी राहत की सांस ली है. उन्होंने कहा कि जेल विभाग की सख्ती के चलते बौखलाए कैदी जेल से भागने की साजिश भी रच रहे हैं. फलौदी की घटना इसका उदाहरण है.
डीजी जेल राजीव दासोत ने बताया कि अच्छा व्यवहार करने वाले और मेहनतकश बंदियों के उत्थान के लिए जेल विभाग लगातार प्रयासरत है. हाल ही में अच्छा आचरण करने वाले वे कैदी जिनकी साढे 16 साल की जेल पूरी हो गई है, ऐसे 1349 बंदियों को रिहा कर दिया गया है.
कैदियों के लिए जेल प्रशासन की ओर से पेट्रोल पंप का भी संचालन भी किया जा रहा है. जहां कैदी ही पेट्रोल पंप का संचालन कर रहे हैं. कैदी वाहनों में पेट्रोल भर रहे हैं. पेट्रोल पंप से होने वाला प्रॉफिट भी बंदियों के कल्याण में ही उपयोग में लिया जा रहा है. इसके साथ ही बंदियों को ज्यादा से ज्यादा उद्योग धंधों के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं. जो कैदी जिस कार्य में कुशल है उसके आधार पर ही उसे कार्य दिलाया जा रहा है. इसके साथ ही कैदियों की बंदी मजदूरी दर में भी 20% की वृद्धि करवाई गई है.
इसके साथ ही ओपन जेल में एक फार्मास्यूटिकल कंपनी के सहयोग से कैदियों की ओर से सैनिटाइजर का निर्माण किया जा रहा है. उसका प्रॉफिट भी कैदियों के कल्याण में उपयोग में लिया जा रहा है. जिसके चलते न केवल कैदियों को रोजगार मिल रहा है बल्कि वह आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी पहल कर रहे हैं.