ETV Bharat / city

आजीविका के अधिकार से बड़ा है जीवन जीने का अधिकार : HC

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश मेंं पटाखों और आतिशबाजी पर रोक के मामले में दखल से इनकार करते हुए कहा है कि व्यक्ति की आजीविका के अधिकार से बड़ा जीवन जीने का है. ऐसे में कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार का पटाखों पर पाबंदी का निर्णय सही है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

rajasthan highcourt,  firecrackers ban
राजस्थान में पटाखों पर बैन
author img

By

Published : Nov 10, 2020, 7:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश मेंं पटाखों और आतिशबाजी पर रोक के मामले में दखल से इनकार करते हुए कहा है कि व्यक्ति की आजीविका के अधिकार से बड़ा जीवन जीने का है. ऐसे में कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार का पटाखों पर पाबंदी का निर्णय सही है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

अदालत ने ग्रीन पटाखों और पटाखे छुड़ाने के लिए कोई समय सीमा तय करने की दलीलों को भी मानने से इनकार कर दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान फायर वर्कस डीलर एंड मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर दिए.

पढ़ें: Special : काम छोटा, हौसला बड़ा...फुटपाथ पर लिख डाली 'रोशनी' की नई इबारत

एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार के आतिशबाजी व पटाखों पर पाबंदी के फैसले से पटाखा उद्योग से जुड़े हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. वहीं कारोबारियों के करोड़ों रुपए का एडवांस भी फंस गया है. किसी एजेंसी या संस्था ने भी रिसर्च में यह दावा नहीं किया है कि पटाखे चलाने से कोरोना फैलेगा.

सुप्रीम कोर्ट अपने पहले के एक फैसले में आतिशबाजी की समय सीमा तय कर चुका है. इसलिए राज्य सरकार भी पटाखों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने के बजाए, इन्हें चलाने के लिए समय सीमा तय कर दे. वहीं अधिवक्ता श्वेता पारीक ने कहा कि पटाखा चलाने से प्रदूषण बढ़ेगा और मरीजों को परेशानी होगी. जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने कहा कि लोगों को शांतिपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है और आतिशबाजी व पटाखों से धुंआ व शोर होता है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश मेंं पटाखों और आतिशबाजी पर रोक के मामले में दखल से इनकार करते हुए कहा है कि व्यक्ति की आजीविका के अधिकार से बड़ा जीवन जीने का है. ऐसे में कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार का पटाखों पर पाबंदी का निर्णय सही है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

अदालत ने ग्रीन पटाखों और पटाखे छुड़ाने के लिए कोई समय सीमा तय करने की दलीलों को भी मानने से इनकार कर दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान फायर वर्कस डीलर एंड मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर दिए.

पढ़ें: Special : काम छोटा, हौसला बड़ा...फुटपाथ पर लिख डाली 'रोशनी' की नई इबारत

एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार के आतिशबाजी व पटाखों पर पाबंदी के फैसले से पटाखा उद्योग से जुड़े हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. वहीं कारोबारियों के करोड़ों रुपए का एडवांस भी फंस गया है. किसी एजेंसी या संस्था ने भी रिसर्च में यह दावा नहीं किया है कि पटाखे चलाने से कोरोना फैलेगा.

सुप्रीम कोर्ट अपने पहले के एक फैसले में आतिशबाजी की समय सीमा तय कर चुका है. इसलिए राज्य सरकार भी पटाखों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने के बजाए, इन्हें चलाने के लिए समय सीमा तय कर दे. वहीं अधिवक्ता श्वेता पारीक ने कहा कि पटाखा चलाने से प्रदूषण बढ़ेगा और मरीजों को परेशानी होगी. जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने कहा कि लोगों को शांतिपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है और आतिशबाजी व पटाखों से धुंआ व शोर होता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.