जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पोषाहार वितरण में अनियमिता के मामले में टोंक जिला रसद अधिकारी की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी (Court stays on arrest in mid day meal case) है. वहीं, अदालत ने मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता अनुसंधान में पुलिस का सहयोग करे. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार ने यह आदेश श्यामसुंदर गुप्ता व अन्य की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता मोहित बलवदा और भावना चौधरी ने अदालत को बताया कि टोंक डीएसओ ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गौरव सेल्स एजेंसी को मिड डे मील योजना के तहत पोषाहार का परिवहन और वितरण का टेंडर दिया गया (Mid Day meal tender case) था. एजेंसी ने आवंटन सूची के अनुसार पोषाहार का वितरण नहीं किया. ऐसे में यह आईपीसी और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपराध है. याचिका में कहा गया कि ब्लाॅक शिक्षाधिकारी की ओर से याचिकाकर्ता को आवंटन सूची समय पर उपलब्ध नहीं कराई गई.
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याचिकाकर्ता की ओर से कई बार विभाग को आवंटन सूची उपलब्ध कराने को कहा गया, लेकिन विभाग ने समय पर सूची उपलब्ध नहीं कराई. जिसके कारण वितरण केन्द्र को जरूरत के अनुसार पोषाहार वितरण किया गया और वितरित पोषाहार की रसीदें विभाग को उपलब्ध कराई गई. याचिका में यह भी कहा गया कि खाद्य सामग्री जल्दी खराब होती हैं. इसलिए पोषाहार को समयबद्ध तरीके से केन्द्रों पर वितरण किया गया.
ऐसे में याचिकाकर्ताओं ने कोई अपराध नहीं किया है. इसलिए मामले में डीएसओ की ओर से दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.