जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आठ जून के उस आदेश की क्रियान्विति (Rajasthan High Court stayed the suspension order of Sarpanch) पर रोक लगा दी है, जिसके तहत दौसा के मंडावर सरपंच को निलंबित कर दिया गया था. साथ ही अदालत ने पंचायती राज मंत्री रमेश चंद मीणा और विधायक ओमप्रकाश हुडला को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस सुदेश बंसल की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश सरिता नारेडा की याचिका पर दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि निलंबन आदेश में यह नहीं बताया गया कि याचिकाकर्ता की आज्ञा से दुकानों को कब तोड़ा गया और ना ही प्रारंभिक जांच पूरी होने की जानकारी दी गई है. इसके अलावा प्रथम दृष्टया लगता है कि निलंबन आदेश में पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों की पालना नहीं हुई है. याचिका में कहा गया कि गत आठ जून को उसे बिना प्रारंभिक जांच किए निलंबित कर दिया गया. जबकि पंचायती राज अधिनियम के तहत किसी भी तरह का आदेश पारित करने से पहले मामले की प्रारंभिक जांच होना जरूरी है.
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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने बिना राज्य सरकार की अनुमति के कुछ दुकानों के निर्माण तोड़े हैं. जबकि मौके पर दुकानों का निर्माण मौजूद है. याचिका में यह भी कहा गया कि मंत्री रमेश मीणा और विधायक ओमप्रकाश हुडला के निर्देश पर उसे बिना कारण निलंबित किया गया है. ऐसे में निलंबन आदेश पर रोक लगाई जाए. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में प्रारंभिक जांच की गई थी. जो कि गत छह अप्रैल को पूरी हुई थी. मामले में नियमानुसार प्रारंभिक जांच के बाद याचिकाकर्ता को चार्जशीट भी दी गई थी. ऐसे में उसका निलंबन सही है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मंत्री और विधायक को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता के निलंबन पर रोक लगा दी है.