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चारागाह और तालाब की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, भरतपुर कलेक्टर, एसडीओ और स्थानीय तहसीलदार को नोटिस जारी कर तालाब की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार गैर मुमकिन तालाब और चारागाह की जमीन की न तो किस्म बदल सकती है और ना ही इन्हें किसी के नाम किया जा सकता है.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Feb 12, 2020, 3:09 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, भरतपुर कलेक्टर, एसडीओ और स्थानीय तहसीलदार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. यह जवाब तलब भरतपुर की भुसावर तहसील के गांव खदराया की चारागाह और तालाब की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में है.

तालाब की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में जवाब तलब

न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश बजरंग सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिया. याचिका में अधिवक्ता मुनीश भारद्वाज ने अदालत को बताया की खदराया गांव की 160 बीघा चारागाह भूमि और 17 बीघा तालाब की भूमि पर दबंगो ने मिलीभगत कर कब्जा कर लिया है.

पढ़ेंः शिक्षा मंत्री ने स्वीकारा- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 70 हजार 993 पद खाली, स्पीकर ने किया ये कटाक्ष

अतिक्रमियों ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलीभगत कर भूमि का नामांतरण भी अपने नाम करवा लिया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार गैर मुमकिन तालाब और चारागाह की जमीन की न तो किस्म बदल सकती है और ना ही इन्हें किसी के नाम किया जा सकता है.

याचिका में कहा गया की चारागाह और तालाब की जमीन पर कब्जा होने के कारण स्थानीय पशुपालकों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, भरतपुर कलेक्टर, एसडीओ और स्थानीय तहसीलदार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. यह जवाब तलब भरतपुर की भुसावर तहसील के गांव खदराया की चारागाह और तालाब की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में है.

तालाब की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में जवाब तलब

न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश बजरंग सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिया. याचिका में अधिवक्ता मुनीश भारद्वाज ने अदालत को बताया की खदराया गांव की 160 बीघा चारागाह भूमि और 17 बीघा तालाब की भूमि पर दबंगो ने मिलीभगत कर कब्जा कर लिया है.

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अतिक्रमियों ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलीभगत कर भूमि का नामांतरण भी अपने नाम करवा लिया है. जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार गैर मुमकिन तालाब और चारागाह की जमीन की न तो किस्म बदल सकती है और ना ही इन्हें किसी के नाम किया जा सकता है.

याचिका में कहा गया की चारागाह और तालाब की जमीन पर कब्जा होने के कारण स्थानीय पशुपालकों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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