जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जल संसाधन विभाग की ओर से ब्लैकलिस्ट किए गए एनजीओ से रिकवरी नहीं करने और बाद में करोड़ों का काम देने पर प्रमुख पीएचईडी सचिव, एसीबी डीजी, अर्पण सेवा संस्थान और जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता सहित अन्य से जवाब मांगा है. इस मामले में न्यायाधीश शबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की जनहित याचिका पर दिए हैं.
याचिका में कहा गया है कि जल संसाधन विभाग ने अर्पण सेवा संस्थान को 11 जिलों में सर्वे और ट्रेनिंग के लिए साल 2013 में 39 लाख रुपए का वर्क ऑर्डर जारी किया गया. एनजीओ ने संबंधित नगर परिषदों के सीईओ के फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र लगाकर भुगतान भी उठा लिया. वहीं, विभाग ने जांच कर मार्च 2019 को इस संस्था को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया, लेकिन न तो 39 लाख रुपए की वसूली की गई और ना ही पुलिस कार्रवाई अमल में लाई गई.
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याचिका में कहा गया है कि पीएचईडी ने ब्लैकलिस्ट होने के बावजूद इस संस्थान को जल जागरूकता के लिए अप्रैल 2019 में करीब 18 करोड़ रुपए के वर्क ऑर्डर जारी कर दिए. इस संबंध में एसीबी में भी शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं.