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Rajasthan High Court : विशेष बच्चों की शिक्षा में अनदेखी, राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - जस्टिस एमएम श्रीवास्तव

राजस्थान में करीब 70 हजार विशेष बच्चे हैं. इनके लिए महज 250 शिक्षक ही मौजूद हैं. निजी स्कूलों में भी इस तरह के बच्चों की शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. इसके चलते इन बच्चों को पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती है.

Rajasthan High Court
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Published : Nov 22, 2021, 7:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विशेष बच्चों की शिक्षा के लिए स्पेशल टीचर की कमी से जुडे़ मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी ने यह आदेश विशेष योग्यजन कल्याण एवं पुनर्वास समिति की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि विशेष योग्यजन बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता होती है. विशेष योग्यजन बच्चों की श्रेणी में दिव्यांग और मानसिक कमजोर बच्चे आते हैं. नियमानुसार ऐसे पांच बच्चों पर एक विशेष शिक्षक होना चाहिए, लेकिन सीकर जिले में 193 बच्चों पर एक शिक्षक हैं.

याचिका में कहा गया कि पूरे प्रदेश में करीब 70 हजार विशेष बच्चे हैं. इनके लिए महज 250 शिक्षक ही मौजूद हैं. निजी स्कूलों में भी इस तरह के बच्चों की शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. इसके चलते इन बच्चों को पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती है.

पढ़ें- चूरू में विवाहिता से दुष्कर्म, अश्लील फोटो किए वायरल

याचिका में कहा गया कि इन बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. ऐसे में राज्य सरकार को उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाए. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विशेष बच्चों की शिक्षा के लिए स्पेशल टीचर की कमी से जुडे़ मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी ने यह आदेश विशेष योग्यजन कल्याण एवं पुनर्वास समिति की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि विशेष योग्यजन बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता होती है. विशेष योग्यजन बच्चों की श्रेणी में दिव्यांग और मानसिक कमजोर बच्चे आते हैं. नियमानुसार ऐसे पांच बच्चों पर एक विशेष शिक्षक होना चाहिए, लेकिन सीकर जिले में 193 बच्चों पर एक शिक्षक हैं.

याचिका में कहा गया कि पूरे प्रदेश में करीब 70 हजार विशेष बच्चे हैं. इनके लिए महज 250 शिक्षक ही मौजूद हैं. निजी स्कूलों में भी इस तरह के बच्चों की शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. इसके चलते इन बच्चों को पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती है.

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याचिका में कहा गया कि इन बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. ऐसे में राज्य सरकार को उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाए. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

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