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राजस्थान हाईकोर्ट: निगम चुनावों में नामांकन रद्द करने के आधारों पर पुनर्विचार करें रिटर्निंग अधिकारी

राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम के वार्ड 134 के भाजपा उम्मीदवार का नामांकन रद्द करने के मामले में रिटर्निंग अधिकारी को कहा है कि वह नामांकन रद्द करने के आधारों पर पुनर्विचार करे.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने निगम चुनावों में नामांकन रद्द करने के आधारों पर पुन विचार करने के आदेश दिए
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Published : Oct 23, 2020, 7:20 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम के वार्ड 134 के भाजपा उम्मीदवार का नामांकन रद्द करने के मामले में रिटर्निंग अधिकारी को कहा है कि वह नामांकन रद्द करने के आधारों पर पुनर्विचार करे. यदि नामांकन गलत आधार पर रद्द किया गया है तो नियमानुसार आगे की कार्रवाई करें.

पढ़ें: गौशालाओं के अनुदान का दूसरे कार्यों में उपयोग के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई, सरकार को नोटिस जारी

अदालत ने इसके लिए याचिकाकर्ता को अपना अभ्यावेदन आरओ को देने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश रघुनाथ अग्रवाल की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता जगमोहन सक्सेना ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने नामांकन पत्र में भूलवश आपराधिक प्रकरण में आरोप तय होने को सही बता दिया था. वहीं, याचिकाकर्ता को अपनी भूल का अहसास होने पर आरओ के समक्ष शपथ पत्र पेश कर बताया था कि उसके खिलाफ किसी भी मामले में आरोप तय नहीं हुए हैं.

इसके बावजूद आरओ ने उसके नामांकन को रद्द कर दिया. ऐसे में आरओ को निर्देश दिए जाए कि वह उसके नामांकन को स्वीकार करे. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरओ को नामांकन रद्द करने के कारणों पर विचार करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम के वार्ड 134 के भाजपा उम्मीदवार का नामांकन रद्द करने के मामले में रिटर्निंग अधिकारी को कहा है कि वह नामांकन रद्द करने के आधारों पर पुनर्विचार करे. यदि नामांकन गलत आधार पर रद्द किया गया है तो नियमानुसार आगे की कार्रवाई करें.

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अदालत ने इसके लिए याचिकाकर्ता को अपना अभ्यावेदन आरओ को देने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश रघुनाथ अग्रवाल की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता जगमोहन सक्सेना ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने नामांकन पत्र में भूलवश आपराधिक प्रकरण में आरोप तय होने को सही बता दिया था. वहीं, याचिकाकर्ता को अपनी भूल का अहसास होने पर आरओ के समक्ष शपथ पत्र पेश कर बताया था कि उसके खिलाफ किसी भी मामले में आरोप तय नहीं हुए हैं.

इसके बावजूद आरओ ने उसके नामांकन को रद्द कर दिया. ऐसे में आरओ को निर्देश दिए जाए कि वह उसके नामांकन को स्वीकार करे. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरओ को नामांकन रद्द करने के कारणों पर विचार करने को कहा है.

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