ETV Bharat / city

पैरोल अवधि बढ़ाने में कैदियों के बीच कैसे किया जा रहा भेदभावः राजस्थान हाई कोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने गृह सचिव, डीजीपी और आईजी जेल सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि नियमित और आकस्मिक पैरोल पर रिहा कैदियों के बीच पैरोल अवधि बढ़ाने को लेकर भेदभाव क्यों किया जा रहा है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता कैदी को कहा है कि वह 15 जून तक संबंधित जेल प्रशासन के समक्ष समर्पण ना करे.

राजस्थान हाईकोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
author img

By

Published : Jun 9, 2021, 10:58 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गृह सचिव, डीजीपी और आईजी जेल सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि नियमित और आकस्मिक पैरोल पर रिहा कैदियों के बीच पैरोल अवधि बढ़ाने को लेकर भेदभाव क्यों किया जा रहा है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता कैदी को कहा है कि वह 15 जून तक संबंधित जेल प्रशासन के समक्ष समर्पण ना करे. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश नीलम कुमार की ओर से अपनी पत्नी के जरिए दायर पैरोल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता अंशुमान सक्सेना ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को गत 17 जुलाई को झालावाड़ की एससी, एसटी कोर्ट ने हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाकर उदयपुर जेल भेजा गया था. वहीं, उसके पिता के कोरोना होने के चलते याचिकाकर्ता को गत 26 मई को पन्द्रह दिन के लिए आकस्मिक पैरोल पर रिहा किया गया था.

यह भी पढ़ेंः हारने के बाद खामोश थे मानवेंद्र सिंह...बाहर निकलते ही PM Modi को बनाया निशाना...जानें क्या कहा

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने पैरोल संशोधन नियम, 2020 के नियम 10-बी के तहत नियमित पैरोल पर रिहा कैदियों की पैरोल अवधि को तीस जून, 2021 तक बढ़ाया है, लेकिन इस नियम में आकस्मिक पैरोल पर रिहा कैदियों को शामिल नहीं किया और उनकी पैरोल अवधि को नहीं बढ़ाया.

याचिका में गुहार की गई है कि नियमित पैरोल वाले कैदियों की तर्ज पर आकस्मिक पैरोल वाले कैदियों की पैरोल अवधि को बढ़ाया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगते हुए याचिकाकर्ता को 15 जून तक समर्पण नहीं करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गृह सचिव, डीजीपी और आईजी जेल सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि नियमित और आकस्मिक पैरोल पर रिहा कैदियों के बीच पैरोल अवधि बढ़ाने को लेकर भेदभाव क्यों किया जा रहा है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता कैदी को कहा है कि वह 15 जून तक संबंधित जेल प्रशासन के समक्ष समर्पण ना करे. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश नीलम कुमार की ओर से अपनी पत्नी के जरिए दायर पैरोल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता अंशुमान सक्सेना ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को गत 17 जुलाई को झालावाड़ की एससी, एसटी कोर्ट ने हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाकर उदयपुर जेल भेजा गया था. वहीं, उसके पिता के कोरोना होने के चलते याचिकाकर्ता को गत 26 मई को पन्द्रह दिन के लिए आकस्मिक पैरोल पर रिहा किया गया था.

यह भी पढ़ेंः हारने के बाद खामोश थे मानवेंद्र सिंह...बाहर निकलते ही PM Modi को बनाया निशाना...जानें क्या कहा

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने पैरोल संशोधन नियम, 2020 के नियम 10-बी के तहत नियमित पैरोल पर रिहा कैदियों की पैरोल अवधि को तीस जून, 2021 तक बढ़ाया है, लेकिन इस नियम में आकस्मिक पैरोल पर रिहा कैदियों को शामिल नहीं किया और उनकी पैरोल अवधि को नहीं बढ़ाया.

याचिका में गुहार की गई है कि नियमित पैरोल वाले कैदियों की तर्ज पर आकस्मिक पैरोल वाले कैदियों की पैरोल अवधि को बढ़ाया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगते हुए याचिकाकर्ता को 15 जून तक समर्पण नहीं करने को कहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.