जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने डोर टू डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी कंपनी के एग्रीमेंट निरस्त करने के मामले में बीवीजी को राहत से इनकार (BVG Case in High Court jaipur) कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में बीवीजी के पक्ष में दिए स्टे को हटाते हुए कंपनी की याचिका को भी खारिज कर दिया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश बीवीजी की याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद दिए.
अदालत में पेश किया गया आर्बिट्रेशन का ब्यौरा : याचिका में बताया गया था कि 17 जनवरी 2017 को याचिकाकर्ता को शहर से डोर टू डोर कचरा एकत्र करने का सात साल का ठेका दिया गया था. शहर में दो निगम बनने पर गत वर्ष 11 मई को याचिकाकर्ता को दोनों निगमों का कार्य सौंप दिया गया. गत 18 जनवरी को डीएलबी ने आदेश जारी कर दोनों निगमों को याचिकाकर्ता के साथ सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट करने को कहा. जिसकी पालना में हैरिटेज निगम ने एग्रीमेंट कर लिया, लेकिन ग्रेटर निगम प्रशासन ने अब तक एग्रीमेंट नहीं किया.
बीवीजी कंपनी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है, जिसके विरोध में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता ने कहा की नगर निगम ने कंपनी के टेंडर को निरस्त करने का निर्णय ले लिया है. इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, लेकिन कंपनी मामले को आर्बिट्रेशन में ले जाना चाहती है. इस संबंध में अदालत में याचिका भी पेश कर चुकी है. एएजी की ओर से आर्बिट्रेशन का ब्यौरा भी अदालत में पेश किया गया.
मामले में पक्षकार बनाए गए राजस्थान नगर पालिका कर्मचारी फेडरेशन की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी ने कहा की बीवीजी कंपनी को डोर टू डोर कचरा उठाने और सफाई को लेकर एक हजार 670 रुपए मीट्रिक टन के हिसाब से भुगतान करना तय किया गया. जिसे अब बढ़ाकर एक हजार आठ सौ रुपए कर दिया गया है. ठेका शर्तो के अनुसार कंपनी को कचरा उठाकर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाने के साथ-साथ कीटनाशक छिडकाव सहित सफाई से जुडे अन्य काम भी करने थे.
1100 रुपए मीट्रिक टन के हिसाब से अन्य लोगों को दे दिया ठेका : बीवीजी कंपनी की ओर से निगम के कर्मचारियों और संसाधन को सफाई के काम में लिया जा रहा है. इसके अलावा कंपनी ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में अपने स्तर पर सफाई का ठेका अन्य लोगों को करीब 1100 रुपए मीट्रिक टन के हिसाब से दे दिया है. ऐसे में कंपनी का ठेका रद्द कर उससे वसूली की जाए. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने स्टे हटाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.
याचिका में बताया गया था कि 17 जनवरी 2017 को याचिकाकर्ता को शहर से डोर टू डोर कचरा एकत्र करने का सात साल का ठेका दिया गया था. शहर में दो निगम बनने पर गत वर्ष 11 मई को याचिकाकर्ता को दोनों निगमों का कार्य सौंप दिया गया. याचिका में कहा गया कि गत 18 जनवरी को डीएलबी ने आदेश जारी कर दोनों निगमों को याचिकाकर्ता के साथ सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट करने को कहा जिसकी पालना में हेरिटेज निगम ने एग्रीमेंट कर लिया, लेकिन ग्रेटर निगम प्रशासन ने अब तक एग्रीमेंट नहीं किया.
दूसरी ओर याचिकाकर्ता के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है. वहीं राज्य सरकार के एएजी अनिल मेहता ने कहा कि निकाय कंपनी के साथ सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट करने के लिए बाध्य नहीं है और राज्य सरकार अब ठेका रद्द करना चाहती है. कंपनी मामले को आर्बिट्रेशन में ले जाना चाहती है और उन्होंने इस संबंध में याचिका भी दायर कर दी है. उसमें ठेका निरस्त करने का मुद्दा भी है. इसके अलावा राजस्थान कर्मचारी फेडरेशन ने कहा कि सफाई कंपनी तय शर्त और मापदंड के अनुसार काम नहीं कर रही है. कंपनी नगर निगम के संसाधन काम में ले रही है और उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले भी हैं, इसलिए उसका ठेका रद्द किया जाना चाहिए.