जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 व 2021-22 की स्कूल फीस जमा नहीं कराने पर स्कूल संचालकों की ओर से स्टूडेंट्स को परीक्षा में शामिल नहीं करने को चुनौती देने के मामले में अभिभावकों व स्टूडेंट्स को राहत से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने स्कूल की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए उनकी स्टे एप्लीकेशन को खारिज (Rajasthan High Court Rejected Student Stay Application ) कर दिया.
अदालत ने कहा कि यदि अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों (Private School Student) में पढ़ा रहे हैं और स्कूल संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में फीस तय कर दी है. ऐसी स्थिति में अभिभावकों से उम्मीद की जाती है कि वे स्कूल को आवश्यक फीस या फीस की कुछ किस्तों का भुगतान करें.जस्टिस अशोक गौड़ ने यह आदेश इशिता जैन व अन्य की याचिका में स्टे एप्लीकेशन को खारिज करते हुए दिए. वहीं अदालत ने मामले में कैम्ब्रिज हाईस्कूल मानसरोवर व अन्य से तीन सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है.
दरअसल स्कूल की अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ रहे स्टूडेंटस ने फीस जमा नहीं कराए जाने पर स्कूल परीक्षा में शामिल नहीं करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. स्टूडेंटस ने सुप्रीम कोर्ट के 3 मई 2021 के आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि फीस जमा नहीं कराने पर उन्हें ऑनलाइन या फिजिकल क्लास से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके साथ यह भी कहा था कि यदि अभिभावकों को स्कूल फीस देने में परेशानी है तो स्कूल प्रबंधन उनके प्रतिवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे. लेकिन, स्कूल प्रबंधन उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं कर रहा है. इसलिए उन्हें परीक्षाओं में शामिल करवाया जाए.
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इसके जवाब में स्कूल प्रबंधन के अधिवक्ता अनुरूप सिंघी ने कहा कि अधिकतर स्टूडेंट्स ने 2021-22 की फीस जमा नहीं कराई है. वहीं कुछ बच्चों ने 2020-21 की फीस भी नहीं दी है. बच्चे स्कूल में 26 अक्टूबर 2021 तक पढ़े हैं. लेकिन, उन्होंने फीस नहीं जमा कराई. परीक्षा का कार्यक्रम पहले ही तय था और बच्चों ने अदालत से मामले में सहानुभूति के लिए याचिका दायर की है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी बकाया फीस देने के लिए एक तय समय दिया था और बकाया नहीं देने पर स्कूल को रिकवरी करने के लिए कहा था. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर स्टूडेंट्स को स्टे देने से मना कर दिया.