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दुर्लभ बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज सुनिश्चित करें राज्य सरकारः राजस्थान हाई कोर्ट

राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह गोचर नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज सुनिश्चित करे. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह एक सप्ताह में बताएं कि अदालती आदेश के बावजूद किसे इलाज नहीं मिली.

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Published : Aug 19, 2021, 8:06 PM IST

राजस्थान हाई कोर्ट का आदेश, Rajasthan High Court order
दुर्लभ बीमारी से ग्रसित मरीजों के इलाज के हाई कोर्ट ने दिए आदेश

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह गोचर नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज सुनिश्चित करे. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह एक सप्ताह में बताएं कि अदालती आदेश के बावजूद किन-किन मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है.

पढ़ेंः मोबाइल हैक कर बदली NEET आवेदन में जानकारियां, राजस्थान हाई कोर्ट ने दिए सेंटर बदलने के आदेश

मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश जमील की ओर से दायर याचिका पर दिए. गौरतलब है कि बीमारी के इलाज कराने को लेकर दायर इस याचिका को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने जनहित का मानते हुए खंडपीठ में भेज दिया था और मरीजों का इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे.

पढ़ेंः जमानत याचिका में फर्जी दस्तावेज लगाने का मामला, आसाराम हुआ गिरफ्तार...जानिये क्या है पूरा माजरा

खंडपीठ में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकारी अस्पतालों में बीमारी की दवाइयां नहीं है. बीमारी में मरीज बच्चे को हर पन्द्रह दिन में एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है. जिसका हर बार खर्च करीब तीस हजार रुपए तक आता है. प्रदेश में 20 से अधिक मरीज सामने आ चुके हैं. केन्द्र सरकार भी एक मुश्त बीस लाख रुपए तक ही सहायता देती है. ऐसे में मरीजों का इलाज सुनिश्चित किया जाए.

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह गोचर नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज सुनिश्चित करे. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह एक सप्ताह में बताएं कि अदालती आदेश के बावजूद किन-किन मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है.

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मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश जमील की ओर से दायर याचिका पर दिए. गौरतलब है कि बीमारी के इलाज कराने को लेकर दायर इस याचिका को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने जनहित का मानते हुए खंडपीठ में भेज दिया था और मरीजों का इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे.

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खंडपीठ में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकारी अस्पतालों में बीमारी की दवाइयां नहीं है. बीमारी में मरीज बच्चे को हर पन्द्रह दिन में एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है. जिसका हर बार खर्च करीब तीस हजार रुपए तक आता है. प्रदेश में 20 से अधिक मरीज सामने आ चुके हैं. केन्द्र सरकार भी एक मुश्त बीस लाख रुपए तक ही सहायता देती है. ऐसे में मरीजों का इलाज सुनिश्चित किया जाए.

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