जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत छात्रों को राहत देते हुए उन्हें परीक्षा में शामिल करने के एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की अपील को खारिज कर दिया है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इन छात्रों का परिणाम एकलपीठ की अनुमति के बिना जारी नहीं किया जाए. अवकाशकालीन न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी और न्यायाधीश महेंद्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश विश्वविद्यालय की अपील को खारिज करते हुए दिए.
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अपील में कहा गया कि एकलपीठ ने गत 15 जून को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता छात्रों को परीक्षा में शामिल करने को कहा था. जबकि इन छात्रों का कोर्स में प्रवेश बिना नीट पीजी के हुआ था. इसके अलावा डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने 12 सितंबर, 2018 को पत्र जारी कर इन के प्रवेश को नहीं माना था. इसके चलते अपीलार्थी ने भी इन्हें पंजीकृत नहीं किया था.
ऐसे में छात्र परीक्षा में शामिल होने के पात्र नहीं है. वहीं प्रभावित 16 छात्रों की ओर से कहा गया कि वर्ष 2017 में नीट पीजी काउंसलिंग में सिर्फ 4 सीटें भरी थी. ऐसे में कोटा के डेंटल कॉलेज में खाली रही सीटों पर छात्रों को प्रवेश दिया था. इसके अलावा छात्रों ने वास्तविक दस्तावेज पेश कर विश्वविद्यालय में पंजीकरण कराया था.
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वहीं विश्वविद्यालय की ओर से उनके प्रवेश के अवैध होने की सूचना नहीं दी गई. विश्वविद्यालय की ओर से एकलपीठ में जवाब पेश करने के बाद छात्रों को इसकी जानकारी मिली. इसके अलावा विश्वविद्यालय ने गत जनवरी माह में उनसे प्रैक्टिकल परीक्षा की भी फीस ली थी. ऐसे में उन्हें परीक्षा में शामिल होने से नहीं रोका जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने विश्वविद्यालय की अपील को खारिज कर दिया है.