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हाईकोर्ट: राजस्थान के सभी निजी स्कूलों को प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश देने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए राज्य की सभी निजी स्कूलो को प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश देने के आदेश दिये हैं. जिसके लिए 24 अक्टूबर तक गरीब और पिछड़ा वर्ग के लोग मुफ्त प्री- प्राइमरी शिक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं.

Rajasthan High Court, Jaipur News
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Oct 23, 2021, 12:34 PM IST

Updated : Oct 23, 2021, 7:57 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के सभी निजी स्कूलों को प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश देने के आदेश दिए हैं. बता दें कि हाईकोर्ट ने अभ्युत्थानम सोसाइटी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है. डॉ. अभिनव शर्मा ने सोसाइटी की ओर से पैरवी की थी. सत्र 2020-21 से लगा सरकार ने प्रवेश देने पर रोक लगा दी थी.

बता दें कि इस मामले में सरकार का कथन था कि राज्य को केंद्र द्वारा अनुदान नहीं दिया जा रहा है. न्यायालय ने कहा कि अनुदान के विषय को अंतिम निस्तारण के समय देखा जाएगा. लेकिन कानून के विरुद्ध प्रवेश प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. 24 अक्टूबर तक गरीब और पिछड़ा वर्ग मुफ्त प्री- प्राइमरी शिक्षा के लिए आवेदन कर सकेगा.

याचिकाकर्ता के वकील ने दी जानकारी

प्री-प्राइमरी में मिलेगा आरटीई के तहत प्रवेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने वंचित वर्ग को राहत देते हुए कहा है कि प्रदेश की निजी स्कूलों की प्री-पाइमरी कक्षाओं में आरटीई कानून के तहत बच्चों को अंतरिम रूप से प्रवेश दिया जाए. इसके साथ ही अदालत ने पक्षकारों को दस नवंबर तक जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अंतिम सुनवाई 17 नवंबर को तय की है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस फरजंद अली की खंडपीठ ने यह आदेश अभ्युत्थानम सोसायटी व स्माइल फॉर आल सोसायटी की जनहित याचिकाओं पर दिए.

पढ़ें- पटवारी भर्ती परीक्षा देने जा रहे नकल गिरोह के 10 लोगों को पुलिस ने दबोचा, मुख्य सरगना भी गिरफ्तार

प्रवेश को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता

अदालत ने कहा कि स्कूलों को मिलने वाले अनुदान के विषय को अंतिम निस्तारण के समय देखा जाएगा, लेकिन कानून के विरुद्ध जाकर बच्चों के प्रवेश को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. जनहित याचिका में राज्य सरकार की उस पॉलिसी को चुनौती दी गई है जिसके तहत शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्री-प्राइमरी स्कूल कक्षाओं में आरटीई कानून के तहत बच्चों को प्रवेश देने का अधिकारी नहीं माना था. अभ्युत्थानम सोसायटी की ओर से अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने कहा कि प्रथम कक्षा से प्रवेश दिए जाने की स्थिति में गरीब व वंचित वर्ग के बच्चे पूर्व में अध्ययनरत बच्चों से पिछड़ जाते हैं. ऐसे में प्रवेश प्री-प्राइमरी कक्षाओं से ही दिया जाना चाहिए.

पहली कक्षा में प्रवेश की शर्त कमजोर वर्ग को प्रभावित करती है

वहीं स्माइल फॉर आल सोसाइटी की ओर से अधिवक्ता विकास जाखड़ ने कहा कि आरटीई कानून के तहत प्री प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश दिया जाता रहा है. इसमें 25 फीसदी सीटों पर प्रवेश लाटरी के जरिए होता है. इसके बदले राज्य सरकार स्कूलों में एक निश्चित राशि का पुनर्भुगतान करती है. सरकार ने 2019-20 सत्र से मनमाने तरीके से नियमों की व्याख्या करते हुए प्रथम कक्षा से प्रवेश देने का फैसला कर लिया. इससे कमजोर वर्ग व गरीब बच्चों का स्कूलों में प्रवेश बाधित हुआ है जो कानून की मूल भावना के खिलाफ है.

इसलिए स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं से ही आरटीई कानून के जरिए वंचित व कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाए. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से एएजी चिरंजीलाल सैनी ने कहा कि निजी स्कूलों का दायित्व है कि वे बच्चों को आरटीई कानून के तहत प्रवेश दें. वे बच्चों को इस कानून के तहत प्रवेश देने पर राज्य सरकार से पुनर्भुगतान का दावा नहीं कर सकते. ऐसे में जब तक कानून के तहत केन्द्र सरकार ऐसे बच्चों के प्रवेश के बदले राशि का पुनर्भुगतान नहीं करती है तब तक सही तरीके कानून की पालना में प्रवेश दिया जाना संभव नहीं है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के सभी निजी स्कूलों को प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश देने के आदेश दिए हैं. बता दें कि हाईकोर्ट ने अभ्युत्थानम सोसाइटी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है. डॉ. अभिनव शर्मा ने सोसाइटी की ओर से पैरवी की थी. सत्र 2020-21 से लगा सरकार ने प्रवेश देने पर रोक लगा दी थी.

बता दें कि इस मामले में सरकार का कथन था कि राज्य को केंद्र द्वारा अनुदान नहीं दिया जा रहा है. न्यायालय ने कहा कि अनुदान के विषय को अंतिम निस्तारण के समय देखा जाएगा. लेकिन कानून के विरुद्ध प्रवेश प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. 24 अक्टूबर तक गरीब और पिछड़ा वर्ग मुफ्त प्री- प्राइमरी शिक्षा के लिए आवेदन कर सकेगा.

याचिकाकर्ता के वकील ने दी जानकारी

प्री-प्राइमरी में मिलेगा आरटीई के तहत प्रवेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने वंचित वर्ग को राहत देते हुए कहा है कि प्रदेश की निजी स्कूलों की प्री-पाइमरी कक्षाओं में आरटीई कानून के तहत बच्चों को अंतरिम रूप से प्रवेश दिया जाए. इसके साथ ही अदालत ने पक्षकारों को दस नवंबर तक जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की अंतिम सुनवाई 17 नवंबर को तय की है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस फरजंद अली की खंडपीठ ने यह आदेश अभ्युत्थानम सोसायटी व स्माइल फॉर आल सोसायटी की जनहित याचिकाओं पर दिए.

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प्रवेश को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता

अदालत ने कहा कि स्कूलों को मिलने वाले अनुदान के विषय को अंतिम निस्तारण के समय देखा जाएगा, लेकिन कानून के विरुद्ध जाकर बच्चों के प्रवेश को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. जनहित याचिका में राज्य सरकार की उस पॉलिसी को चुनौती दी गई है जिसके तहत शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्री-प्राइमरी स्कूल कक्षाओं में आरटीई कानून के तहत बच्चों को प्रवेश देने का अधिकारी नहीं माना था. अभ्युत्थानम सोसायटी की ओर से अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने कहा कि प्रथम कक्षा से प्रवेश दिए जाने की स्थिति में गरीब व वंचित वर्ग के बच्चे पूर्व में अध्ययनरत बच्चों से पिछड़ जाते हैं. ऐसे में प्रवेश प्री-प्राइमरी कक्षाओं से ही दिया जाना चाहिए.

पहली कक्षा में प्रवेश की शर्त कमजोर वर्ग को प्रभावित करती है

वहीं स्माइल फॉर आल सोसाइटी की ओर से अधिवक्ता विकास जाखड़ ने कहा कि आरटीई कानून के तहत प्री प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश दिया जाता रहा है. इसमें 25 फीसदी सीटों पर प्रवेश लाटरी के जरिए होता है. इसके बदले राज्य सरकार स्कूलों में एक निश्चित राशि का पुनर्भुगतान करती है. सरकार ने 2019-20 सत्र से मनमाने तरीके से नियमों की व्याख्या करते हुए प्रथम कक्षा से प्रवेश देने का फैसला कर लिया. इससे कमजोर वर्ग व गरीब बच्चों का स्कूलों में प्रवेश बाधित हुआ है जो कानून की मूल भावना के खिलाफ है.

इसलिए स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं से ही आरटीई कानून के जरिए वंचित व कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाए. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से एएजी चिरंजीलाल सैनी ने कहा कि निजी स्कूलों का दायित्व है कि वे बच्चों को आरटीई कानून के तहत प्रवेश दें. वे बच्चों को इस कानून के तहत प्रवेश देने पर राज्य सरकार से पुनर्भुगतान का दावा नहीं कर सकते. ऐसे में जब तक कानून के तहत केन्द्र सरकार ऐसे बच्चों के प्रवेश के बदले राशि का पुनर्भुगतान नहीं करती है तब तक सही तरीके कानून की पालना में प्रवेश दिया जाना संभव नहीं है.

Last Updated : Oct 23, 2021, 7:57 PM IST
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