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जयपुर: बजरी माफिया से मिलीभगत के आरोपी RPS को मिली जमानत

राजस्थान हाईकोर्ट ने बजरी माफिया से मिलीभगत करने के आरोप में गिरफ्तार दूदू के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक विजय सेहरा को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

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Published : Nov 17, 2021, 3:20 PM IST

Rajasthan high court
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जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बजरी माफिया से मिलीभगत करने के आरोप में गिरफ्तार दूदू के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक विजय सेहरा को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी विजय सेहरा की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

जमानत याचिका में अधिवक्ता रजनीश गुप्ता ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता प्रार्थी को मामले में राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाया गया है. मामले में दर्ज एफआईआर में उसका नाम भी नहीं है. इसके अलावा उसे पूर्व में ही एपीओ किया जा चुका था. उससे कोई पूछताछ शेष नहीं है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए.

पढ़ेंः Rajasthan High Court: सफाई ठेके में अनियमितता के चलते क्यों ना BVG कंपनी का ठेका रद्द कर दें...ग्रेटर और हेरिटेज निगम आयुक्त को नोटिस जारी

इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी पुलिस अधिकारी ने बजरी माफियाओं से मिलीभगत कर लाखों रुपए की वसूली की है. आरोपी दलालों के जरिए बजरी परिवहन करने वालों माफियाओं से प्रति गाड़ी के रुपए वसूल करता था. इसके अलावा प्रकरण में अनुसंधान लंबित है. यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया गया तो वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के साथ ही गवाहों को प्रभावित भी कर सकता है.

इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि गत तीन नवंबर को एसओजी ने दूदू सीओ रहते हुए बजरी माफियाओं से मिलीभगत करने, उनकी गाड़ियों को पास कराने और बजरी कारोबारियों को संरक्षण देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बजरी माफिया से मिलीभगत करने के आरोप में गिरफ्तार दूदू के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक विजय सेहरा को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी विजय सेहरा की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

जमानत याचिका में अधिवक्ता रजनीश गुप्ता ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता प्रार्थी को मामले में राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाया गया है. मामले में दर्ज एफआईआर में उसका नाम भी नहीं है. इसके अलावा उसे पूर्व में ही एपीओ किया जा चुका था. उससे कोई पूछताछ शेष नहीं है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए.

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इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी पुलिस अधिकारी ने बजरी माफियाओं से मिलीभगत कर लाखों रुपए की वसूली की है. आरोपी दलालों के जरिए बजरी परिवहन करने वालों माफियाओं से प्रति गाड़ी के रुपए वसूल करता था. इसके अलावा प्रकरण में अनुसंधान लंबित है. यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया गया तो वह साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के साथ ही गवाहों को प्रभावित भी कर सकता है.

इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि गत तीन नवंबर को एसओजी ने दूदू सीओ रहते हुए बजरी माफियाओं से मिलीभगत करने, उनकी गाड़ियों को पास कराने और बजरी कारोबारियों को संरक्षण देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था.

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