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कोरोनिल दवा पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पतंजलि को जारी किया नोटिस, 4 सप्ताह में मांगा जवाब - पतंजली को हाईकोर्ट का नोटिस

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अधिवक्ता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि अयुर्वेद की दवा कोरोनिल को लेकर नोटिस जारी किया है. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीष इंद्रजीत माहन्ती की खंडपीठ ने की है. याचिका में कहा गया है कि, पतंजलि की इस दवा को लॉन्च करने से पहले विधिवत रूप से इसका परीक्षण नहीं किया गया है और ना ही उत्तराखंड सरकार से इस संबंध में लाइसेंस लिया गया है.

कोरोनिल दवा विवाद, Coronil drug controversy
राजस्थान हाईकोर्ट ने पतंजली को जारी किया नोटिस
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Published : Jul 4, 2020, 10:27 AM IST

Updated : Jul 4, 2020, 2:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पतंजलि अयुर्वेद कि दवा कोरोनिल में ट्रायल नियमों की अनदेखी को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहन्ती की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए आयुष मंत्रालय, आईसीएमआर, पतंजलि आयुर्वेद, निम्स अस्पताल, राज्य सरकार और चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. जानकारी के मुताबिक यह याचिका एसके सिंह की ओर से दायर की गई थी.

पढ़ेंः Corona काल में अपने क्रूर मजाक के लिए देश की जनता से माफी मांगे बाबा रामदेव : चिकित्सा मंत्री

आपको बता दें दवा पर जारी विवाद के बीच जयपुर के ज्योतिनगर थाने में भी बाबा रामदेव और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है. इस एफआईआर में योग गुरू बाबा रामदेव, बालकृष्ण, वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, निम्स के अध्य्क्ष डॉ. बलबीर सिंह तोमर, निदेशक डॉ. अनुराग तोमर को आरोपी बनाया गया है.

राजस्थान हाइकोर्ट ने पतंजलि की ओर से कोरोना को ठीक करने के दावे के साथ लॉन्च किए कोरोना किट को लेकर पतंजलि, निम्स यूनिवर्सिटी, आयुष मंत्रालय, ICMR और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश एसके सिंह की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया है कि, पतंजलि ने एक दवा शुरू की है, जिसमें यह दावा किया गया है की यह दवा कोरोना को ठीक कर सकती है. जबकि इसे लॉन्च करने से पहले विधिवत रूप से कोई परीक्षण नहीं किया गया है और ना ही उत्तराखंड सरकार से इस संबंध में लाइसेंस लिया गया है. यहां तक की आयुष मंत्रालय और ICMR तक को इसकी जानकारी नहीं दी गई है.

वहीं इस संबंध में WHO की गाइडलाइन को भी फॉलो नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया की ICMR और आयुष मंत्रालय ने इस दवा को लेकर अपनी मंजूरी नहीं दी है. ऐसे में जो लोग इस दवा का सेवन करेंगे, वे आगे चलकर संक्रमित हो सकते हैं और उनकी मौत तक हो सकती है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने पतंजलि सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

विवादों से पुराना नाता

याचिकाकर्ता एसके सिंह का बाबा रामदेव को लेकर विवादों से जुड़ा पुराना नाता रहा है. बाबा रामदेव की ओर से पतंजलि के बिस्किट को सौ फीसदी गेहूं से निर्मित होने का दावा करने को लेकर भी एसके सिंह ने साल 2018 में शहर के जालूपुरा थाने में बाबा रामदेव के विरुद्ध FIR दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया था की पतंजलि की ओर से निर्मित इस बिस्किट में मैदा भी मिला हुआ है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पतंजलि अयुर्वेद कि दवा कोरोनिल में ट्रायल नियमों की अनदेखी को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहन्ती की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए आयुष मंत्रालय, आईसीएमआर, पतंजलि आयुर्वेद, निम्स अस्पताल, राज्य सरकार और चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. जानकारी के मुताबिक यह याचिका एसके सिंह की ओर से दायर की गई थी.

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आपको बता दें दवा पर जारी विवाद के बीच जयपुर के ज्योतिनगर थाने में भी बाबा रामदेव और अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है. इस एफआईआर में योग गुरू बाबा रामदेव, बालकृष्ण, वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, निम्स के अध्य्क्ष डॉ. बलबीर सिंह तोमर, निदेशक डॉ. अनुराग तोमर को आरोपी बनाया गया है.

राजस्थान हाइकोर्ट ने पतंजलि की ओर से कोरोना को ठीक करने के दावे के साथ लॉन्च किए कोरोना किट को लेकर पतंजलि, निम्स यूनिवर्सिटी, आयुष मंत्रालय, ICMR और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश एसके सिंह की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया है कि, पतंजलि ने एक दवा शुरू की है, जिसमें यह दावा किया गया है की यह दवा कोरोना को ठीक कर सकती है. जबकि इसे लॉन्च करने से पहले विधिवत रूप से कोई परीक्षण नहीं किया गया है और ना ही उत्तराखंड सरकार से इस संबंध में लाइसेंस लिया गया है. यहां तक की आयुष मंत्रालय और ICMR तक को इसकी जानकारी नहीं दी गई है.

वहीं इस संबंध में WHO की गाइडलाइन को भी फॉलो नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया की ICMR और आयुष मंत्रालय ने इस दवा को लेकर अपनी मंजूरी नहीं दी है. ऐसे में जो लोग इस दवा का सेवन करेंगे, वे आगे चलकर संक्रमित हो सकते हैं और उनकी मौत तक हो सकती है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने पतंजलि सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

विवादों से पुराना नाता

याचिकाकर्ता एसके सिंह का बाबा रामदेव को लेकर विवादों से जुड़ा पुराना नाता रहा है. बाबा रामदेव की ओर से पतंजलि के बिस्किट को सौ फीसदी गेहूं से निर्मित होने का दावा करने को लेकर भी एसके सिंह ने साल 2018 में शहर के जालूपुरा थाने में बाबा रामदेव के विरुद्ध FIR दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया था की पतंजलि की ओर से निर्मित इस बिस्किट में मैदा भी मिला हुआ है.

Last Updated : Jul 4, 2020, 2:29 PM IST
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